कांग्रेस में टिकटों पर दांवपेच, सैलजा के दांव से भूपेंद्र सिंह के खेमे में हलचल, सीएम चेहरे की दावेदारी के लिए टक्कर

हरियाणा विधानसभा चुनाव : कांग्रेस में टिकटों पर दांवपेच, सैलजा के दांव से भूपेंद्र सिंह के खेमे में हलचल, सीएम चेहरे की दावेदारी के लिए टक्कर

कांग्रेस में टिकटों पर दांवपेच, सैलजा के दांव से भूपेंद्र सिंह के खेमे में हलचल, सीएम चेहरे की दावेदारी के लिए टक्कर

Tricity Today | भूपेंद्र और सैलजा आमने-सामने

Gurugram News : हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में हलचल शुरू तेज हो रही है। पार्टी में टिकट बंटवारे से पहले आवेदन मंगाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। बड़े नेताओं ने ज्यादा से ज्यादा करीबियों को टिकट दिलवाने के लिए आवेदन कराए हैं। इस सबके बीच सैलजा कैंप ने एक दांव चलकर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के कैंप में हलचल मचा दी है।

हुड्डा और सैलजा कैंप में खींचतानी
इसके साथ ही पार्टी में हुड्डा और सैलजा कैंप के बीच आपसी खींचतानी भी बढ़ने लगी है। हालांकि हाईकमान ने दोनों गुटों को सार्वजनिक तौर पर एकजुटता दिखाने का सख्त संदेश दे रखा है, लेकिन अंदरखाने दोनों ही गुट एकदूसरे की जड़ खोदने में जुटे नजर आ रहे हैं। सैलजा-रणदीप गुट की कोशिश है कि 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में हारने वाले नेताओं को इस बार किसी सूरत में टिकट न मिलने पाए। ऐसे ज्यादातर नेता हुड्‌डा कैंप से आते हैं।

दो चुनाव हारने वाले कांग्रेसी नेता
दो चुनाव हारने वाले कांग्रेसी नेताओं में फतेहाबाद से प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा, टोहाना से परमवीर सिंह, बाढ़ड़ा से पूर्व सीएम बंसीलाल के बेटे रणबीर सिंह महेंद्रा, बवानीखेड़ा से रामकिशन फौजी, जुलाना से धर्मेंद्र सिंह ढुल, नरवाना से विद्या रानी, रतिया से जरनैल सिंह, गुहला से दिल्लूराम बाजीगर, पेहवा से मनदीप सिंह चट्‌ठा और लोहारू सीट से सोमवार सिंह शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के करीबी हैं। इनमें से कई नेता तो ऐसे हैं जो चुनाव में तीसरे स्थान पर खिसक गए थे।

कांग्रेस को इस बार दावा मजबूत लग रहा
कांग्रेस हाईकमान को लगता है कि हरियाणा में इस बार लोगों का झुकाव कांग्रेस की ओर है। लोग राज्य में 10 साल से सत्ता में बैठी भाजपा से नाराज है। लोकसभा चुनाव नतीजों ने उसकी इस थ्योरी को और मजबूती दी है। ऐसे में हाईकमान को लगता है कि पार्टी के पास भाजपा से सत्ता से बाहर करने का इस बार सुनहरा मौका है। पार्टी नेतृत्व इस मौके को गंवाना नहीं चाहता इसलिए हर कदम सोच-समझकर उठाया जा रहा है। पार्टी में किसी तरह की नाराजगी से बचने के लिए राज्य में संगठन बनाने का काम भी होल्ड पर डाल दिया गया है।

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