तीन हजार डॉक्टर हड़ताल पर, मरीजों में मचेगी चीख-पुकार, जानिए पूरा मामला 

गुरुग्राम से बड़ी खबर : तीन हजार डॉक्टर हड़ताल पर, मरीजों में मचेगी चीख-पुकार, जानिए पूरा मामला 

तीन हजार डॉक्टर हड़ताल पर, मरीजों में मचेगी चीख-पुकार, जानिए पूरा मामला 

Google | डॉक्टरों की हड़ताल

Gurugram News : हरियाणा में सरकारी अस्पतालों के तीन हजार से अधिक डॉक्टरों ने हड़ताल की घोषणा कर दी है। डॉक्टरों ने बांड राशि में कटौती और विशेषज्ञों के लिए अलग कैडर बनाने जैसी मांगों को लेकर हड़ताल शुरू की है। उनका कहना है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करने में विफल रही है। हालांकि हड़ताल का असर ओपीडी सेवाओं पर नहीं पड़ेगा।

डॉक्टरों की नाराजगी की वजह
डॉक्टरों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से उनकी मांगों को पूरा करने में सरकार ने कोताही बरती है। इनमें विशेषज्ञों के लिए अलग कैडर बनाने, पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान बांड राशि को एक करोड़ रुपये से घटाकर 50 लाख रुपये करने और प्रमोशन के माध्यम से वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों का चयन करने और ACP स्कीम को लागू करने की मांगें शामिल हैं।

सीधी भर्ती ने प्रमोशन प्रभावित किया
डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों की सीधी भर्ती ने कई डॉक्टरों के प्रमोशन को प्रभावित किया है। एचसीएमएसए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष केशव शर्मा ने कहा कि इन नियमों में संशोधन की जरूरत है और इस पर जल्द विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कुछ राज्यों में प्रमोशन का नियमित प्रावधान है, जबकि हरियाणा में अधिकांश डॉक्टर अपने पूरे करियर में केवल एक ही प्रमोशन प्राप्त करते हैं।

ओपीडी सेवाएं रहेंगी बेअसर
हड़ताल के पहले दिन सेक्टर-10 स्थित सिविल अस्पताल में ओपीडी सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ा। स्वास्थ्य विभाग ने हड़ताल के संभावित प्रभाव को कम करने के लिए सेवानिवृत्त डॉक्टरों, अंतिम वर्ष के मेडिकल कॉलेज के छात्रों, पैरामेडिक्स और रेजिडेंट डॉक्टरों की सहायता ली है। ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों पर सामुदायिक अधिकारियों ने स्थिति संभालने की जिम्मेदारी ली है।

समाधान की संभावना बेहद कम
अधिकारी आशा कर रहे हैं कि बातचीत के माध्यम से एक समाधान तक पहुंचा जा सकता है, जिससे लंबे समय तक चलने वाली हड़ताल को टाला जा सके। स्वास्थ्य मंत्री कमल गुप्ता ने बताया कि बांड राशि कम करने का प्रस्ताव अतिरिक्त मुख्य सचिव के कार्यालय को भेजा गया है। यदि इस पर जल्दी कार्रवाई नहीं की जाती तो राज्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है, जिससे लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
 

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