गुरुग्राम में तेजी से होगा कचरा प्रबंधन, भोंडसी में बना एमआरएफ सेंटर

अच्छी खबर : गुरुग्राम में तेजी से होगा कचरा प्रबंधन, भोंडसी में बना एमआरएफ सेंटर

गुरुग्राम में तेजी से होगा कचरा प्रबंधन, भोंडसी में बना एमआरएफ सेंटर

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Gurugram news : इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन (आईपीसीए) ने बुधवार को गुरुग्राम के भोंडसी क्षेत्र में एक नई मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर की स्थापना की। यह अत्याधुनिक सुविधा दैनिक रूप से गुरुग्राम में तेजी से उत्पन्न होते कचरे का प्रबंधन करने में मदद करेगी।  इसमें उन्नत मशीनरी का उपयोग करके प्लास्टिक कचरे को अलग करने और प्रोसेसिंग करने की सुविधा है, जिससे कचरा प्रबंधन प्रक्रिया को अधिक कुशल और व्यवस्थित बनाया जा सकेगा।  यह पहल 'डेवलप रिस्पॉन्सिबल आउटलुक फॉर प्लास्टिक' (डीआरओपी) परियोजना के तहत की गई है। इस अत्याधुनिक सुविधा का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. किरण बेदी, आईपीएस (सेवानिवृत्त), पूर्व उपराज्यपाल, पुडुचेरी ने किया।

आईपीसीए ग्रेनो और पटियाला में प्रतिदिन 50 टन प्लास्टिक कचरे का करता है पुनर्चक्रण
हाल ही में आई एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार भारत प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करने वाला सबसे बड़ा देश है। अनुमान है कि 2050 तक यह चुनौती और भी बड़ी हो जाएगी लेकिन IPCA ( इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन) ने इस चुनौती का सामना करने की तैयारी 24 साल पहले ही शुरू कर दी थी। वर्तमान में आईपीसीए ग्रेटर नोएडा और पटियाला में प्रतिदिन 50 टन प्लास्टिक कचरे का पुनर्चक्रण करता है, जिससे एक स्वच्छ और हरित भविष्य का निर्माण हो रहा है। इस दौरान डॉ. किरण बेदी ने कहा कि इस प्रकार की सामाजिक पहल का न केवल पर्यावरण पर बल्कि समाज पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। डीआरओपी जैसी परियोजनाएं जमीनी स्तर पर प्लास्टिक कचरा प्रबंधन को न केवल क्रियान्वित कर रही हैं बल्कि समाज को अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए भी प्रेरित करती हैं।

परियोजना ने पांच राज्यों में बनाई पहुंच
आईपीसीए के संस्थापक निदेशक अशिश जैन ने कहा कि डीआरओपी परियोजना प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लेकर आई है। इसने अब तक पांच राज्यों में 19 लाख से अधिक लोगों तक अपनी पहुंच बनाई है। हमारा ध्यान केवल कचरे के संग्रहण पर नहीं है, बल्कि प्लास्टिक के उपभोग और निपटान के प्रति सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने पर भी केंद्रित है। इस पहल के माध्यम से हम समुदायों को जोड़कर और स्थायी कचरा प्रबंधन प्रणालियां स्थापित कर एक स्वच्छ भविष्य की दिशा में काम कर रहे हैं। गुरुग्राम में मैटीरियल रिकवरी फैसिलिटी का उद्घाटन इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

2023 में शुरू हुई थी डीआरओपी परियोजना 
यह परियोजना ऑल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) की पहल है, जिसे आईपीसीए द्वारा 2023 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य नागरिकों में प्लास्टिक के उपभोग और निपटान को बढ़ावा देना है। इस परियोजना के तहत गुरुग्राम, मुंबई, विजयवाड़ा, विशाखापट्टनम और बैंगलोर सहित कई स्थानों पर प्लास्टिक कचरा संग्रह, पृथक्करण और पुनर्चक्रण के लिए व्यापक समाधान प्रदान किए गए हैं। गौरतलब है कि अब तक इस परियोजना के तहत 5000 मीट्रिक टन से अधिक प्लास्टिक कचरा एकत्र किया जा चुका है। इससे एक मिलियन से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं, जिनमें शैक्षणिक संस्थानों की सक्रिय भागीदारी भी शामिल है। डीआरओपी परियोजना के दूसरे चरण में 750 से अधिक आरडब्ल्यूए और शैक्षणिक संस्थानों में प्लास्टिक कचरे के लिए संग्रह तंत्र स्थापित किए गए हैं।

 स्वच्छ भारत अभियान की दृष्टि को साकार करना उद्देश्य
गुरुग्राम में शुरू हुई मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी भी डीआरओपी परियोजना के दूसरे चरण का हिस्सा है। यह सुविधा उन्नत मशीनरी जैसे कन्वेयर, श्रेडर और बेलर से सुसज्जित है, जो कचरा प्रबंधन की दक्षता को बढ़ाने में सहायक होगी। इस पहल का उद्देश्य स्वच्छ भारत अभियान की दृष्टि को साकार करना और क्षेत्र में स्थायी कचरा प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना है।

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