जाली प्रमाण पत्र पर मुफ्त यात्रा करने वालों को पकड़ने के​ लिए बनाया वीडियो

कानपुर में फर्जी दिव्यांग पकड़ना सीख रहे रोडवेज के ड्राइवर : जाली प्रमाण पत्र पर मुफ्त यात्रा करने वालों को पकड़ने के​ लिए बनाया वीडियो

जाली प्रमाण पत्र पर मुफ्त यात्रा करने वालों को पकड़ने के​ लिए बनाया वीडियो

Google Image | Symbolic Image

Kanpur News : रोडवेज की बसों में फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र दिखाकर मुफ्त सफर करने वाले यात्रियों की अब आसानी से पहचान हो सकेगी। इसके लिए बस ड्राइवर और कंडक्टर को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है। जल्द ही यह ट्रेनिंग पूरे प्रदेश में दी जाएगी। खास बात यह है कि इस ट्रेनिंग के लिए एक वीडियो की सहायता ली जा रही है।

दो मिनट में होगी फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र की पहचान
शहर के ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट परिवहन निगम में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र दिखाकर सफर करने वाले यात्रियों के लिए एक वीडियो बनाया गया है। इस वायरल वीडियो में प्रशिक्षण संस्थान के प्रधानाचार्य दो मिनट के भीतर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र की पहचान करना सिखा रहे हैं। रोडवेज अधिकारियों की ओर से इस वीडियो को पूरे प्रदेश के रोडवेज की बस चला रहे ड्राइवर व कंडक्टर को प्रशिक्षण के लिए भेजा गया है। इस वीडिया को फिलहाल ऑनलाइन प्रशिक्षण की तरह विभाग ने अपनाया है। माना जा रहा है कि रोडवेज में इस व्यवस्था के लागू हो जाने के बाद अब सिर्फ असली कार्डधारक ही बस में सफर कर सकेंगे। वीडियो के अलावा प्रशिक्षण संस्थान में भी आने वाले ड्राइवरों को यात्रियों की ओर से की जाने वाली साजिश का पर्दाफाश करना सिखाया जा रहा है। ड्राइविंग ट्रेनिंग एण्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट परिवहन निगम के प्रधानाचार्य एसपी सिंह ने बताया कि इस विशेष प्रशिक्षण को हासिल करने के बाद बस के ड्राइवर व कंडक्टर रोडवेज के राजस्व को घटने से बचा सकेंगे। बस में फर्जी प्रमाण पत्र दिखाकर यात्रा करने वाले यात्रियों को दो मिनट के भीतर ही पकड़ा जा सकेगा।

छात्र व सरकारी कर्मचारी पर नजर
संस्थान के प्रधानाचार्य ने जानकारी दी कि वीडियो के माध्यम से पूरे प्रदेश के ड्राइवर व कंडक्टर जागरूक हो रहे हैं। खास बात यह है कि जागरुकता के बाद ज्यादातर ऐसे यात्री सामने आ रहे हैं, जो छात्र हैं या रोजाना सफर करने वाले सरकारी कर्मचारी हैं। अब दिव्यांग प्रमाण पत्र दिखाने के तुरंत ही बाद कंडक्टर यात्री के प्रमाण पत्र को ऑनलाइन सत्यापित कर सकते हैं।

इस तरह हो रही है पकड़
प्रधानाचार्य की ओर से वीडियो में बताया जा रहा है कि यात्री के दिव्यांग प्रमाण पत्र दिखाने के बाद उसके यूडीआईडी नंबर को जब गूगल पर सर्च किया जाएगा तो उसके रंग से असली या नकली की पहचान हो सकेगी। यदि दिव्यांग का कार्ड असली है तो काले रंग से उसका ब्योरा दिखाई देगा। इसी तरह यदि कार्ड फर्जी है तो उसका ऑनलाइन ब्योरा लाल रंग का दिखाई देगा।
  
मोबाइल नंबर भी बना जरिया
संस्थान के प्रधानाचार्य ने बताया कि दिव्यांगजनों के कार्ड की जांच करने के दौरान कंडक्टर को मोबाइल नंबर भी नजर आएगा। ऐसे में बस कंडक्टर मौके पर ही दिव्यांगजन के मोबाइल नंबर पर फोन कर सकते हैं। ऐसे में दिव्यांग के पास मौजूद मोबाइल पर घंटी बजती है तो असली कार्ड लेकर दिव्यांग यात्रा कर रहा है। यदि यात्री का मोबाइल फोन नहीं बजता है तो यात्री संदेश के दायरे में आएगा।

पूरे प्रदेश में प्रशिक्षण
प्रशिक्षण संस्थान के प्रधानाचार्य एसपी सिंह ने बताया कि कानपुर में बस कंडक्टरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदेशभर में चलाया जाएगा। इसे रोडवेज के सभी ड्राइवर व कंडक्टर तक अभियान के पहुंचाने की योजना बनाई जा रही है। फिलहाल वीडियो के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जरूरी समझने पर इस विषय पर कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.