लखनऊ: गणतंत्र दिवस पर पुलिस कर्मियों को मिलने वाले विभिन्न पदकों के लिए नामों का एलान हो गया है। इसमें उत्तर प्रदेश के एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार को राष्ट्रपति की ओर से वीरता के लिए पुलिस पदक (गैलेंट्री अवॉर्ड) से नवाजा गया है। प्रशांत कुमार को यह सम्मान 2020 में मेरठ में हुई एक मुठभेड़ के लिए दिया गया है। तब उन्होंने एक लाख रुपये के इनामी अपराधी शिव शक्ति नायडू को पुलिस एनकाउंटर में मार गिराया था। दरअसल, यह तीसरा मौका है जब राष्ट्रपति की तरफ से प्रशांत कुमार को वीरता के लिए पुलिस पदक दिया जा रहा है।
इन अफसरों को उत्कृष्ट सेवाओं से नवाजा गया
इससे पहले 2020 और 2021 में उन्हें राष्ट्रपति की ओर से वीरता का पुलिस पदक दिया जा चुका है। बता दें कि इस बार देश भर से कुल 189 पुलिसकर्मियों को मेडल दिए जाएंगे। प्रशांत कुमार के अलावा फायर सर्विस के एडीजी रहे एडीजी विजय प्रकाश, एसपी देवरिया श्रीपति मिश्रा, असिस्टेंट रेडियो ऑफिसर सुशील पांडेय व मिश्री लाल शुक्ला और कानपुर पुलिस कमिश्नरेट में उप निरीक्षक कृष्ण चंद्र मिश्रा को उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक से नवाजा गया है।
एक दर्जन से ज्यादा नायडू पर दर्ज थे मामले
बता दें कि शिव शक्ति नायडू पर यूपी और दिल्ली में एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज थे। नायडू ने दिसंबर 2015 में दिल्ली की भरी अदालत में दिल्ली पुलिस के सिपाही रण सिंह मीणा को गोलियों से भून दिया था। फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा की कंपनी से पांच करोड़ रुपये की लूट भी नायडू ने की थी।
मुठभेड़ में सीने पर चलाई गई थी गोली
बता दें कि इससे पहले प्रशांत कुमार को गौतमबुद्धनगर में 25 मार्च 2018 को डेढ़ लाख के इनामी बदमाश श्रवण को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराने के मामले में वीरता के लिए पुलिस पदक प्रदान किया गया था। मुठभेड़ के दौरान एडीजी के सीने पर बदमाश की ओर से चलाई गई गोली लगी थी, लेकिन बुलेटप्रूफ जैकेट पहने होने की वजह से वह बच गए थे। प्रशांत कुमार 1990 बैच के आईपीएस अफसर हैं, उनका कैडर उत्तर प्रदेश है। राज्य के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर हैं। मूल रूप से बिहार के रहने वाले प्रशांत कुमार का आईपीएस में चयन 1990 में तमिलनाडु कैडर में हुआ था। लेकिन 1994 में वह यूपी कैडर में ट्रांसफर हो गया था।