Google Image | पूर्व आईएएस अरविंद शर्मा भाजपा में हुए शामिल
गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अरविंद कुमार शर्मा ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। अरविंद कुमार शर्मा ने सोमवार को ही वीआरएस लिया था। इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा इस पूर्व आईएएस को उत्तर प्रदेश में सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनाएगी। ट्राइसिटी टुडे ने इस खबर को एक्सक्लूसिव प्रकाशित किया था। ट्राइसिटी टुडे ने लिखा था कि अरविंद कुमार शर्मा को राज्य में विधान परिषद का सदस्य बनाया जाएगा और उन्हें उप-मुख्यमंत्री का पद दिया जा सकता है। गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अरविंद कुमार शर्मा ने ट्राइसिटी टुडे के पहले दावे को सच कर दिया।
गुरुवार को शर्मा ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी में शामिल होकर गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्हें इस बात की खुशी है। पूर्व आईएएस उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपेगी, वह उसका बखूबी निर्वहन करेंगे। गुजरात कैडर में 1988 बैच के आईएएस अरविन्द कुमार शर्मा (Arvind Kumar Sharma) की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के फैसले ने हर किसी को चौंका दिया था। उन्हें सामान्य रूप से जुलाई 2022 में रिटायर होना था, लेकिन अचानक उन्होंने वीआरएस ले लिया।
अरविंद कुमार शर्मा पिछले 20 साल से नरेन्द्र मोदी के सहयोगी अफसर के रूप में काम कर रहे थे। गुजरात के सत्ता प्रतिष्ठान में इन्हें पीएम मोदी का काफी भरोसेमंद माना जाता था। 1 अक्टूबर, 2001 से लेकर 30 मई, 2014 तक एके शर्मा लगातार 13 साल गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में नजदीक से जुड़कर काम करते रहे। जब केन्द्र में मोदी सत्तासीन हुए तो पहली बार वह केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली आये और सीधे तैनाती प्रधानमंत्री कार्यालय बतौर संयुक्त सचिव हुई थी। वह 3 जून, 2014 से लेकर 30 अप्रैल, 2020 तक लगातार 6 साल पीएमओ में तैनात रहे।
कोरोना लॉकडाउन में बदली गई थी भूमिका
देश जिस समय लॉकडाउन जैसी गंभीर चुनौती से जूझ रहा था, उस वक्त पीएम ने इन्हें पीएमओ से बाहर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय का सचिव बनाकर भेज दिया ताकि चुनौतीपूर्ण हालात में देश के छोटे-छोटे उद्योग-धंधों की हालत सुधार सकें। उस समय पीएम ने अरविंद कुमार शर्मा के अलावा एक और आईएएस तरुण बजाज को भी वित्त मंत्रालय में पीएमओ से बाहर तैनाती दी गई थी। तब भी काफी लोगों ने इन दोनों नियुक्तियों को अचरज भरी निगाह से देखा था। करीब आठ महीने के इस कार्यकाल के बाद सोमवार को अचानक शर्मा के वीआएस लेने की खबर सामने आयी थी। इस बारे में राजधानी दिल्ली के सत्ता प्रतिष्ठान में कई भरोसेमंद लोगों का मानना था कि शर्मा का अगला ठिकाना यूपी की राजनीति होगी।
योगी मंत्रीमंडल में डिप्टी सीएम बनने की सम्भावना
मिली जानकारी के मुताबिक शर्मा का ठिकाना योगी मंत्रिमंडल होगा। इन्हें डिप्टी सीएम भी बनाया जा सकता है। नौकरी से डेढ़ साल पहले वीआरएस लेने वाले अरविंद कुमार शर्मा मोदी के पूर्व सहयोगी नृपेन्द्र मिश्रा की तरह ही यूपी के मूल निवासी हैं। शर्मा मूल रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के निवासी हैं। मऊ पहले आजमगढ़ जिले का हिस्सा हुआ करता था। वह मऊ जिले के कजाखुर्द गांव के मूल निवासी हैं।
आजमगढ़, मऊ और प्रयागराज से है गहरा नाता
मऊ जिले की मुहम्मदाबाद गोहना तहसील के रानीपुर ब्लाक के काजा खुर्द गांव के मूल निवासी शर्मा के माता-पिता का नाम शिवमूर्ति राय और शांति देवी हैं। इनके बड़े पुत्र अरविंद का जन्म 11 जुलाई 1962 को हुआ। शुरुआती पढ़ाई गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय से हुई। इसके पश्चात डीएवी इंटर कॉलेज से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इनके गांव के लोग भी वीआरएस की खबर से हैरान हैं और जानना चाहते हैं कि क्या 32 साल लंबी सरकारी नौकरी के बाद अब वे गांव-जिले-प्रदेश से जुड़ेंगे या फिर कुछ और करेंगे।
अब एमएलसी चुनाव में नामांकन पर टिकी निगाहें
इधर यूपी में विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) का चुनाव हो रहा है। 12 सीटों के लिए 28 जनवरी को मतदान होगा। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 18 जनवरी है। माना जा रहा है कि यदि शर्मा का अगला पड़ाव राजनीति हुआ तो ये एमएलसी के रुप में अपना नामांकन कर सकते हैं। अरविंद कुमार शर्मा को फरवरी के प्रथम सप्ताह में संभावित यूपी मंत्रिमंडल के बहुप्रतीक्षित फेरबदल में जगह मिल सकती है। यह जगह कैबिनेट मंत्री की होगी या डिप्टी सीएम की, यह देखना दिलचस्प होगा। इधर अंदरखाने चर्चा इस बात की भी है कि एक डिप्टी सीएम को सुशील मोदी की तरह दिल्ली भी बुलाया जा सकता है।