लखनऊ में खंडित मूर्तियों के लिए 'सुनहरे पंख', जानिए कैसे चल रहा एक ख़ास अभियान

Lucknow : लखनऊ में खंडित मूर्तियों के लिए 'सुनहरे पंख', जानिए कैसे चल रहा एक ख़ास अभियान

लखनऊ में खंडित मूर्तियों के लिए 'सुनहरे पंख', जानिए कैसे चल रहा एक ख़ास अभियान

Tricity Today | अभियान के दौरान सफाई

Lucknow : हिन्दू धर्म के प्रति आस्था की बात तो सभी करते हैं लेकिन जब घर और मन्दिर की पुरानी मूर्तियां तस्वीरें लोग हटाते हैं तो उन्हें सही ढंग से विसर्जित करने के बजाए इधर उधर डाल देते हैं। इसको देखते हुए सुनहरे पंख चैरिटेबल ट्रस्ट ने ऐसे ही मूर्तियों और फोटो इकट्ठा करने का काम किया है। इसके साथ ही उन सब को एक गड्ढे में विसर्जित कर उस पर एक पेड़ लगाने का काम किया जा रहा है। इस तरह से संस्था ने पर्यावरण को बचाने के लिए एक साथ दो सुनहरे कार्य कर रही है।

मूर्तियों को इधर उधर फेंकने से भगवान का होता है अपमान 
फाउंडेशन की अध्यक्ष नीरजा शर्मा ने बताया सभी लोग देखते हैं कि सड़क पर मूर्तियां पड़ी रहती हैं। लेकिन किसी को फर्क नहीं पड़ता है। मुझे बहुत ज्यादा फर्क पड़ा तो मेरे अंदर ये भावना जाग्रत हुई। इस पर काम करने का जन्म लिया मैं अपने हिंदू भाई बहनों से कहना चाहती हूं कि देखिए सिर्फ और सिर्फ फेसबुक और ट्विटर पर जय श्री राम करना ही हिंदुत्व नहीं है हम जिस भी धर्म से हैं हमें उसका सम्मान करना चाहिए। हम लोग साल भर भगवान की पूजा करते हुए जिसके बाद मूर्ति ने जब खंडित हो जाती  हैं तो हम लोग सड़कों पर कहीं पर भी फेंक देते हैं। उसके बाद जानवरों पर बंद मचाते हैं गंदगी फैलाते हैं उसके बावजूद भी हम लोग मूर्तियां इधर उधर फेंक देते हैं। यह बहुत ही गलत है इस तरह से हम लोग अपने भगवान का अपमान कर रही है।

खंडित मूर्तियों को इधर उधर न फेंके लोग- नीरजा
सनातन धर्म का अपमान कर रहे हैं हिंदू धर्म का अपमान कर रहे हैं जोकि सरासर गलत है यह मोहिनी मैंने स्टार्ट की है अपनी टीम के साथ रूबी व गरिमा सिंह के साथ इस मुहिम की शुरुआत मैंने किया है। नीरजा ने सभी से हाथ जोड़कर धर्म का सम्मान करें मूर्तियों को इधर उधर ना फेंकने की अपील की है। उन्होंने कहा कि मूर्तियां आप अपने घर के गमले में भी दबा सकते हैं या उन मूर्तियों को कहीं विसर्जित करें विसर्जित करना अभी कहीं ना कहीं सही नहीं है क्योंकि जहां पर आप विसर्जित करते हैं वहां का पानी भी दूषित होता है। उन्होंने बताया कि इससे पहले जानकीपुरम विस्तार, अलीगंज और कई अन्य जिलों से मूर्तियों को एकत्रित करके मनकामेश्वर मंदिर के पास एक गड्ढा खोदकर उन मूर्तियों को उसमें दबाकर उस पर एक नीम का पौधा लगाया है।

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