प्राइमरी एजुकेशन पर दिए 8 खास सुझाव, प्रत्येक अभिभावक के लिए जानना जरूरी

योगी आदित्यनाथ से मिले धीरेन्द्र सिंह : प्राइमरी एजुकेशन पर दिए 8 खास सुझाव, प्रत्येक अभिभावक के लिए जानना जरूरी

प्राइमरी एजुकेशन पर दिए 8 खास सुझाव, प्रत्येक अभिभावक के लिए जानना जरूरी

Tricity Today | योगी आदित्यनाथ और धीरेन्द्र सिंह | File Photo

Lucknow News : गौतमबुद्ध नगर जिले में जेवर विधानसभा सीट से विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने बुधवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) से मुलाकात की। विधायक ने मुख्यमंत्री को प्राइमरी एजुकेशन, स्कूलों और राइट टू एजुकेशन पर 10 का सुझाव दिए हैं। विधायक का कहना है कि अगर इन सुझावों पर काम किया जाए तो राज्य की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव लाए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने विधायक की बातों को ध्यान से सुना और काम करने का आश्वासन दिया है। धीरेंद्र सिंह (Dhirendra Singh MLA) के सुझाव वाकई काबिले तारीफ हैं। कम से कम अभिभावकों को इन्हें जरूर जानना चाहिए।

1. प्राथमिक विद्यालयों के क्लस्टर बनाए जाएं। प्रत्येक क्लस्टर के लिए एक प्रबंध समिति का गठन किया जाए। इस समिति के पास कॉरपस फंड हो। यह विद्यालयों के रखरखाव और अध्यापकों की कार्यशैली को देखे। शिक्षक बच्चों और विद्यालयों के प्रति कैसा नजरिया रखते हैं, इसका आकलन करे।

2. इस प्रबंधन समिति को अच्छे शिक्षकों की प्रोन्नति करवाने का अधिकार दिया जाए। स्कूलों के प्रधानाध्यापक इन समितियों के प्रति जवाबदेह होने चाहिए। प्रत्येक विद्यालय में छोटे-छोटे रखरखाव से जुड़े खर्च होते हैं। जिसके लिए क्लस्टर स्तर पर बनाई गई समिति पर्यवेक्षण और खर्च करे। इसके लिए हम केंद्रीय विद्यालय की कार्य पद्धति और बाइलॉज का अनुसरण कर सकते हैं।

3. गरीब तबके के बच्चों तक शिक्षा का उजियारा फैलाने के लिए शिक्षा का अधिकार बहुत ही सराहनीय प्रयास है, लेकिन नियमों की कमजोरी और निजी स्कूलों की मनमानी के कारण सरकार की इस योजना का फायदा गरीब तबके को नहीं मिल रहा है। जनपद गौतमबुद्ध नगर के स्कूलों में आरटीई की 18,000 सीट हैं। नियम का कड़ाई से पालन हो तो हजारों छात्रों को फायदा होगा।

4. अथक प्रयास करने के बावजूद गौतमबुद्ध नगर जिले के प्राइवेट स्कूलों में हर साल बमुश्किल 2 से 3 हजार छात्रों को प्रवेश मिल पाता है। निजी स्कूल प्रबंधन तमाम तरह के बहाने बनाकर छात्रों को प्रवेश देने से मना कर देते हैं। आरटीई के तहत स्कूल की सबसे छोटी कक्षा की 25% सीट गरीब वर्ग के लिए आरक्षित होती हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि कड़े नियम बनाए। जिससे 25% सीट पर शत-प्रतिशत गरीब बच्चों को प्रवेश मिले।

5. प्राइवेट स्कूलों के मैनेजमेंट आरटीई के नियमों का फायदा उठाते हैं। नियम है कि यदि प्राइवेट स्कूल से एक किलोमीटर की परिधि में सरकारी स्कूल है तो छात्रों को निजी स्कूल में प्रवेश नहीं मिलेगा। सरकार को इस नियम को समाप्त कर देना चाहिए। जिससे पात्र छात्रों को निजी स्कूलों में प्रवेश मिल सके।

6. जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को आरटीई के तहत कुछ अधिकार मिलने चाहिए। ताकि उनका उपयोग करके मनमानी करने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। निजी स्कूलों में फीस निर्धारण के लिए एक ढांचा तैयार किया जाए। प्रदेश में संचालित सभी बोर्ड इसका पालन अनिवार्य रूप से करें। यह बाध्यकारी होना चाहिए।

7. प्राइवेट स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबों से चल रही पढ़ाई पर रोक लगाई जाए। एनसीईआरटी की किताबों से पठन-पाठन की अनिवार्यता की जाए। दरअसल, कमीशन के लालच में स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबों से शिक्षण कार्य पर जोर देते हैं। इससे अभिभावकों के ऊपर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है।

8. देश में शिक्षा के स्तर को उत्कृष्ट बनाने के लिए भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू की है। इस शिक्षा नीति का पालन स्कूलों में कड़ाई से करवाया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के बाद धीरेंद्र सिंह ने कहा, "राज्य में प्राइमरी स्कूलों का ढांचा बेहद मजबूत है। पिछले 5 वर्षों के दौरान हमारी सरकार ने प्राइमरी एजुकेशन को सुधारने के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। अभी स्कूलों में शिक्षकों के कामकाज पर निगरानी करने की आवश्यकता है। इसके लिए स्कूलों के क्लस्टर बनाकर स्थानीय अभिभावकों की क्रियाशीलता को बढ़ाने की जरूरत है। दूसरी ओर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी चरम पर है। खासतौर से शहरी इलाकों में नामचीन प्राइवेट स्कूल अपने ब्रांड का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे उत्तर प्रदेश में करोड़ों अभिभावक परेशान हैं। मैंने मुख्यमंत्री को केवल गौतमबुद्ध नगर का उदाहरण दिया है। यह समस्या पूरे राज्य में है। शिक्षा के अधिकार कानून को प्राइवेट स्कूलों में ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने विचार करके कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है।"

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