Tricity Today | पीएसी कॉलोनी में इमारतें जर्जर हो चुकी हैं
लखनऊ में शनिवार को महानगर थाना छेत्र स्थित 35वीं वाहिनी पीएसी टाइप 2 के मकान नंबर 36 की छत अचानक से भरभरा कर गिर गयी। छत गिरने की जानकारी होते ही हड़कम्प मच गया। जिसके बाद सूचना पर महानगर पुलिस ने पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया। मकान हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र के नाम आवंटित है और वो यहां रहते है। लेकिन हादसे के वक़्त मकान में कोई मौजूद नहीं था। इसीलिए किसी भी तरह का जानमाल का नुकसान नहीं हुआ। हालांकि इस बार बड़ा हादसा होने से टल गया, लेकिन यह हादसा जिम्मेदारों के लिए कई बड़े सवाल जरूर छोड़ गया।
जर्जर मकानों की खस्ताहाल तस्वीर
ये तस्वीरें महानगर स्थित 35वीं वाहिनी पीएसी के जर्जर भवनों की है। सबकी सुरक्षा करने वालों की सुरक्षा खुद भगवान भरोसे है। हादसों के बावजूद भी जिम्मेदारों की नींद नहीं खुलती है। मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी तक यहां पर आये, लेकिन पुलिसकर्मियों के परिवारों का दर्द ज्यों का त्यों बना हुआ है। अधिकतर भवन तो इतने जर्जर हैं कि कब गिर जाएं, किसी को नहीं पता। कार्यक्रम होने पर मुख्यमंत्री जिस तरफ से आते हैं, उसको तो चमका दिया जाता है। बाकी जगह की स्थिति जस की तस बनी रहती है।
आवेदन दिया गया लेकिन नहीं हुई कोई कार्रवाई
वहां रहने वाले पुलिसकर्मियों के परिवारों का कहना है कि कई बार जर्जर भवनों के सुधार के लिए एप्लीकेशन दी जा चुकी है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है। कई बार तो मकान में लगे बिजली के उपकरणों में करंट भी आ जाता है। कुछ भवन ऐसे भी हैं, जिनके अंदर का हिस्सा थोड़ा-थोड़ा करके गिरता ही रहता है।
बड़े-बड़े अफसरों के लिए करोड़ों के बंगले
अरबों की लागत से बनी सिग्नेचर बिल्डिंग में यूपी के डीजीपी बैठते हैं। वहीं गोमतीनगर में पुलिस एन्क्लेव है, जहां बड़े आईपीएस अफसरों के लिए करोड़ों के बंगले हैं। लेकिन इस सबके बावजूद लखनऊ की पुलिस लाइन जर्जर हो चुकी है। जहां छोटे पद के पुलिसकर्मी अपने परिवारों के साथ रहते हैं। ऐसे हालातों में परिवार के सदस्यों के मन मे ये सवाल है कि सरकार इनकी सुध लेगी की नहीं।