योगी से मिले श्रीचंद शर्मा सहित 6 एमएलसी, तदर्थ और वित्तविहीन शिक्षकों का मुद्दा उठाया

Uttar Pradesh : योगी से मिले श्रीचंद शर्मा सहित 6 एमएलसी, तदर्थ और वित्तविहीन शिक्षकों का मुद्दा उठाया

योगी से मिले श्रीचंद शर्मा सहित 6 एमएलसी, तदर्थ और वित्तविहीन शिक्षकों का मुद्दा उठाया

Tricity Today | योगी से मिले श्रीचंद शर्मा सहित 6 एमएलसी

Lucknow News : मध्य उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल के जिलों में तदर्थ व वित्तविहीन शिक्षकों से जुड़ा बड़ा मुद्दा आजकल सुर्खियों में है। करीब 1,600 तदर्थ शिक्षकों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। दरअसल, यह लोग दो-ढाई दशकों से माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे थे। अब उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड ने नियमित शिक्षकों की नियुक्ति करके जिलों में भेज दिया है। जिसके चलते इनकी नियुक्तियां स्वतः समाप्त हो गई हैं। लंबे अरसे तक विद्यालयों में काम करने के बाद अचानक नौकरी चले जाने से सभी लोग परेशान हैं। इसी मुद्दे को लेकर शुक्रवार को मेरठ-सहारनपुर शिक्षक एमएलसी श्रीचंद शर्मा और 5 अन्य विधान परिषद सदस्यों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इन नेताओं ने नियमावली में बदलाव करने की मांग सीएम से की है।

क्या है पूरा मामला
मुख्यमंत्री से श्रीचंद शर्मा के साथ मुलाकात करने वालों में एमएलसी उमेश द्विवेदी, जयपाल सिंह व्यस्त, अवनीश सिंह, डॉ.मानवेंद्र प्रताप सिंह और अरुण पाठक शामिल थे। श्रीचंद शर्मा ने बताया कि प्रदेश के कुछ जिलों में तदर्थ शिक्षकों के सापेक्ष नियमित शिक्षक भेजने का अध्याचन जिला विद्यालय निरीक्षकों ने चयन बोर्ड को प्रेषित कर दिया था। जिससे चयन बोर्ड ने इन तदर्थ शिक्षकों के सापेक्ष नए चयनित शिक्षक जिलों में भेज दिए हैं। इनमें से बहुत सारे तदर्थ शिक्षक 15-20 वर्षों से माध्यमिक विद्यालयों में अध्यापन कर रहे हैं। लिहाजा, अब उनके सामने अचानक बड़ा संकट आकर खड़ा हो गया है। पूर्व में शासन के आदेश पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने नियम 13(5) के तहत समायोजन का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। जिसमें चयन बोर्ड से चयनित पैनल को उसी जिले के अन्य विद्यालयों में समायोजित करके नियुक्ति देने का निवेदन किया गया था। ऐसा होने से तदर्थ शिक्षकों और चयनित शिक्षकों की आजीविका सुरक्षित रहती। किंतु चयन बोर्ड ने निदेशक का यह प्रस्ताव खारिज कर दिया है।"

नियमावली में बदलाव की मांग
श्रीचंद शर्मा ने कहा, "तदर्थ शिक्षक 15-20 वर्षों से कार्यरत हैं और राजकोष से वेतन ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट एक्ट ल-1921 में नियम 13(5) में यह प्रावधान है कि यदि चयन बोर्ड से चयनित शिक्षक किसी भी कारण आवंटित विद्यालय में कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाता है तो अन्य विद्यालयों में रिक्ति के सापेक्ष उसे नियोजित किया जा सकता है। अब से पहले इस नियम के तहत तदर्थ शिक्षकों को लाभ दिया जा चुका है।" श्रीचंद शर्मा ने मुख्यमंत्री से आगे कहा, "पदस्थापन का कार्य चयन आयोग से लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक को दिया जाए। इन शिक्षकों का पदस्थापन अन्यत्र करा दिया जाए। यह व्यवस्था अन्य प्रांतों में निदेशक के पास है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में भी यह अधिकार निदेशक के पास ही है। ऐसे में नियमावली में बदलाव करके निदेशक को यह जिम्मेदारी दी जाए। चयन बोर्ड से जिलों में भेजे गए शिक्षकों को अन्य विद्यालयों में समायोजित कर दिया जाए। इससे तदर्थ शिक्षकों का भविष्य भी सुरक्षित रहेगा।" 

सीएम ने दिया समाधान का आश्वासन
श्रीचंद शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर गंभीरता से शीघ्र निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। आपको बता दें कि लखनऊ और इलाहाबाद के आसपास वाले जनपदों में ऐसे तदर्थ शिक्षकों की संख्या करीब 1,600 है। इनसे जुड़ा मसला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा लेकिन कोई राहत नहीं मिली। शिक्षक राज्य सरकार से मदद की मांग कर रहे हैं। इसी सिलसिले में तदर्थ शिक्षक लगातार शिक्षक एमएलसी श्रीचंद शर्मा और दूसरे जनप्रतिनिधियों से मुलाकात करके दबाव बना रहे हैं। कई जिलों में जिला विद्यालय निरीक्षक तदर्थ शिक्षकों के पक्ष में हैं। लिहाजा, उन जिलों में आयोग से चयनित शिक्षकों को अभी कार्यभार ग्रहण नहीं करवाया गया है। इसके चलते माध्यमिक शिक्षा विभाग कानूनी दांवपेंच में उलझा हुआ है।

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