22 साल बाद दोनों की शादी टूटी, एबीवीपी में आए थे नजदीक

दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह का तलाक : 22 साल बाद दोनों की शादी टूटी, एबीवीपी में आए थे नजदीक

22 साल बाद दोनों की शादी टूटी, एबीवीपी में आए थे नजदीक

Google Image | दयाशंकर और स्वाति सिंह

Lucknow News : उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और पूर्व मंत्री स्वाति सिंह का प्रेम विवाह आज टूट गया है। लंबे विवादों के बाद मंगलवार को दयाशंकर और उनकी पत्नी स्वाति सिंह का तलाक हो गया है। करीब 22 साल पहले इस रिश्ते की शुरुआत प्रेम विवाह से हुई थी, उसका आज अंत हो गया है। राजधानी लखनऊ की फैमिली कोर्ट में चल रहे डायवोर्स केस पर न्यायधीश देवेंद्र नाथ ने मुहर लगाते हुए मंजूरी दे दी है। इससे पहले अदालत ने दोनों को साथ आने लिए मौके दिए थे लेकिन बात नहीं बनी।

करीब 11 साल अदालत में चला विवाद
यह जगजाहिर था कि दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह काफी वर्षों से अलग-अलग रह रहे थे। पारिवारिक न्यायालय की पूर्व पत्रावली के अनुसार स्वाति सिंह ने पारवारिक विवाद के चलते वर्ष 2012 में तलाक का मुकदमा दाखिल किया था। अदालत ने मामले को विचाराधीन रखते हुए दयाशंकर सिंह को अपना पक्ष रखने और आपत्ति दाखिल करने के लिया नोटिस दिया था। अब करीब 11 साल बाद न्यायालय का फैसला आया है।

लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीपी में काम करते हुए नजदीक आए
स्वाति सिंह और दयाशंकर सिंह का साथ छात्र जीवन से था। दोनों लखनऊ विश्वविद्यालय में साथ-साथ पढ़ते थे। दोनों ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय हुए और राजनीतिक जीवन में भी साथ आ गए। बाद में दोनों ने प्रेम विवाह कर लिया था। अनबन और मनमुटाव के बावजूद दोनों के बीच परिवार ने रिश्ते कायम रखे। जब दयाशंकर सिंह अपने राजनीतिक जीवन में संघर्ष कर रहे थे तो स्वाति सिंह अध्यापन कर रही थीं। परिवार को चलाने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी। 

मायावती पर टिप्पणी करके फंसे दयाशंकर तो खड़ी हुईं स्वाति
वर्ष 2017 में जब दयाशंकर सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पर एक टिप्पणी की और पूरे देश में बवाल हो गया तो दयाशंकर सिंह को जेल जाना पड़ा था। बुरे दौर में स्वाति सिंह ने मोर्चा संभाला था। जिसकी बदौलत स्वाति सिंह रातोंरात चर्चा में आ गई थीं। इसी के चलते उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा का टिकट दिया। वह चुनाव जीत गईं और योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में मंत्री बनीं। इसके बावजूद दोनों के रिश्ते सामान्य नहीं हो पाए। पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अदावत खुलकर सामने आ गई। स्वाति सिंह को भारतीय जनता पार्टी ने टिकट नहीं दिया। दूसरी ओर दयाशंकर सिंह बलिया से टिकट हासिल करने में कामयाब हो गए।

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