तालिबान के कब्जे से बदली फिजा, देश के कारोबारियों को बड़े नुकसान की आशंका

अफगानिस्तान संकट: तालिबान के कब्जे से बदली फिजा, देश के कारोबारियों को बड़े नुकसान की आशंका

तालिबान के कब्जे से बदली फिजा, देश के कारोबारियों को बड़े नुकसान की आशंका

देश के कारोबारियों को बड़े नुकसान की आशंका | प्रतीकात्मक तस्वीर

  • चुनी हुई सरकार के बजाय आतंकी संगठन तालिबान ने कब्जा जमा लिया है
  • भारत के कारोबारियों को इस उलटफेर से बड़ा नुकसान होने की आशंका
  • भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 1.4 बिलियन अमरीकी डालर था
Noida: कोरोना वायरस महामारी के बाद धीरे-धीरे जनजीवन सामान्य हो रहा है। इसी दौरान अफगानिस्तान में बड़ा उलटफेर हुआ है। इस मुल्क पर चुनी हुई सरकार के बजाय आतंकी संगठन तालिबान ने कब्जा जमा लिया है। इससे देश के कारोबारियों को बड़ा डर सता रहा है। दरअसल अफगानिस्तान-भारत के बीच बड़े स्तर पर व्यापार होता है। ज्यादातर भारत से चीजें अफगानिस्तान में निर्यात की जाती हैं। लेकिन अब बदले हालात के बीच फिलहाल कारोबार ठप हो गया है। साथ ही तालिबान, अफ़गानिस्तान का नया भविष्य तय करेगा। तालिबान किस देश के साथ व्यापारिक संबंध ज्यादा मजबूत करेगा, यह कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन भारत के कारोबारियों को इस उलटफेर से बड़ा नुकसान होने की आशंका है।

8 करोड़ व्यापारी जुड़े हैं
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation Of All India Traders-CAIT) के दिल्ली-एनसीआर संयोजक सुशील कुमार जैन ने बताया कि अफगानिस्तान में बदले हालात से काबुल और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा। क्योंकि अफगानिस्तान का भविष्य अनिश्चित है। 8 करोड़ व्यापारियों के प्रमुख संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि अफगानिस्तान सूखे किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पाइन नट, पिस्ता, सूखे खुबानी और खुबानी, चेरी, तरबूज और औषधीय जड़ी-बूटियों जैसे ताजे फल भारत में निर्यात करता है। जबकि भारत, अफगानिस्तान में चाय, कॉफी, काली मिर्च और कपास, खिलौने, जूते और विभिन्न अन्य उपभोग्य वस्तुएं भेजता है। 

510 मिलियन अमरीकी डालर का कारोबार हुआ
सुशील कुमार जैन ने बताया कि भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 1.4 बिलियन अमरीकी डालर था। जबकि 2019-20 में 1.52 बिलियन अमरीकी डालर था। भारत से निर्यात 826 मिलियन अमरीकी डालर था और आयात 2020-21 में 510 मिलियन अमरीकी डालर था। भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिति की अनिश्चितता के कारण बाजारों में कीमतें बढ़ सकती हैं। वर्तमान में आयात-निर्यात शिपमेंट फंसे हुए हैं, जिससे व्यापारियों को भारी नुकसान हो सकता है।

फंस सकता है भुगतान
उन्होंने घरेलू निर्यातकों को सतर्क रहने की सलाह दी। बिगड़े हालात की वजह से बड़ी मात्रा में भुगतान फंसने की संभावना है। इससे व्यापारियों को मुश्किलें आ सकती हैं। सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए और वित्तीय संकट का सामना करने की स्थिति में व्यापारियों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक निश्चित समय के लिए व्यापार पूरी तरह से ठप हो जाएगा। क्योंकि अफगानिस्तान में स्थिति नियंत्रण से बाहर है। "यह भूमि से घिरा देश है और हवाई मार्ग निर्यात का मुख्य माध्यम है। यह बाधित हो गया है। अनिश्चितता कम होने के बाद ही व्यापार फिर से शुरू होगा।

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