उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को ग्लेशियर टूटने से आई आपदा से निपटा जा रहा है। राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है। सोमवार की सुबह तक 170 व्यक्तियों के लापता होने की जानकारी मिली है। जबकि, करीब 30 लोग सुरंग के अंदर फंसे हैं। उन्हें निकालने की कोशिश की जा रही है। अब तक कुल 8 शव बरामद हुए हैं। मौके पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हुए हैं।
एसडीआरएफ के सेनानायक (कमांडेंट) नवनीत भुल्लर ने राहत-बचाव कार्यों के बारे में मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुरंग के अंदर बुरी तरह मलबा भरा है। इस वजह से फिलहाल मार्ग अवरूद्ध है। हम इसे जेसीबी की मदद से खोलने का प्रयास कर रहे हैं। इस बीच बेला गांव के करीब अलकनन्दा नदीं में एक अज्ञात शव मिला है। भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाला विष्णु प्रयाग पुल हादसे में पूरी तरह नष्ट हो गया है।
अधिकारी ने बताया कि अभी तक लगभग 170 लोगों के गायब होने की जानकारी मिली है। इनमें से 22 लोग बाण गंगा परियोजना और 148 एनटीपीसी परियोजना से जुड़े हैं। अब तक कुल आठ शव बरामद हुए हैं। 12 लोगों को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के सहयोग से सुरक्षित निकाला गया है। आपदा में आठ व्यक्ति घायल हुए हैं, जबकि 30 व्यक्ति सुरंग के अंदर फंसे हैं। उन्हें निकालने के लिए तेजी से सुरंग के अंदर जाने के लिए रास्ता बनाया जा रहा है।
वैज्ञानिकों की टीम जोशीमठ के लिए रवाना
चमोली में आई आपदा के बाद सोमवार को वैज्ञानिकों का एक दल देहरादून से जोशीमठ क्षेत्र के लिए रवाना हो गया है। डीआरडीओ के 'बर्फ और हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (एसएएसई) के वैज्ञानिक रविवार रात को ही हवाई मार्ग से देहरादून पहुंच गए थे। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार को इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, “डीआरडीओ-एसएएसई के वैज्ञानिकों का एक दल रविवार की रात देहरादून के लिए विमान से रवाना हुआ था। अब यह दल निरीक्षण करने और प्राथमिक जानकारी एकत्रित करने के लिए जोशीमठ इलाके के लिए निकल रहा है।”
रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट गया था। जिससे अलकनंदा नदी में जल का भारी दबाव आया था। इस हादसे में पॉवर प्रोजेक्ट को नुकसान हुआ। कम से कम दस लोगों की मौत हो गई है तथा 170 लापता हैं। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा था कि रैणी और तपोवन में दो पनबिजली परियोजनाओं में काम करने वाले 153 लोग लापता हैं। इनमें से दस लोगों के शव बरामद हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने जताया दुख, मदद का हाथ बढ़ाया
चमोली आपदा पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने दुख जताया है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो उत्तराखंड में जारी बचाव एवं राहत कार्यों में सहयोग देने के लिए संगठन तैयार है। हिमस्खलन से राज्य में गंगा की सहायक नदियों - धौली गंगा, ऋषि गंगा और अलकनंदा में जल का भारी दबाव बढ़ गया था। इससे भारी क्षति हुई है। सूबे में कई पॉवर प्रोजेक्ट पूरी तरह विनष्ट हो गए हैं।
गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, ''रविवार को भारत के उत्तराखंड राज्य में ग्लेशियर टूटने और उसके परिणामस्वरूप आई बाढ़ में कई लोगों की मौत एवं दर्जनों लोगों के लापता होने की खबर से महासचिव बेहद दुखी हैं। उन्होंने एक वक्तव्य में कहा, ''महासचिव ने पीड़ितों के परिवारों, भारत के लोगों एवं सरकार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। यदि आवश्यकता पड़ती है, तो संयुक्त राष्ट्र वहां जारी बचाव कार्य एवं मदद के प्रयासों में सहयोग देने के लिए तैयार है।
राज्यसभा में हुई चर्चा
उत्तराखंड के चमोली में हिमस्खलन की घटना से हुई तबाही पर राज्यसभा में सोमवार को चिन्ता व्यक्त की गयी। सभापति एम वेंकैया नायडू ने शून्यकाल के बाद कहा कि उत्तराखंड की घटना दुखद है। उन्होंने सोमवार की सुबह ही सूबे के मुख्यमंत्री से बात कर इस घटना के बारे में जानकारी ली है । घटना स्थल पर राहत-बचाव कार्य तेजी से जारी है। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान और अन्य एजेंसियां रेस्क्यू ऑपरेशंस में जुटी हैं।