आप भी बनिए इस ऐतिहासिक पल के साक्षी

मिशन चंद्रयान-3 :  आप भी बनिए इस ऐतिहासिक पल के साक्षी

आप भी बनिए इस ऐतिहासिक पल के साक्षी

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Noida Desk : अब से दो दिन बाद यानि 23 अगस्त की शाम 6:04 बजे 25 किमी की ऊंचाई से चंद्रयान 3 को चंद्रमा की धरती पर उतारने की कोशिश की जाएगी। इस पल का करोड़ों भारतवंशी शिद्दत से इंतजार कर रहे हैं। चंद्रयान-3 की सक्सेसफुल लैंडिंग के साथ भारत के खाते में एक और कीर्तिमान जुड़ जाएगा। भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। तो क्या आप इस ऐतिहासिक पल का साक्षी नहीं बनना चाहेंगे ?
ImageISRO दे रहा है आपको मौका
देश की स्पेश एजेंसी ने इसरो हर भारतवासी को एक अवसर प्रदान किया है, जिसके जरिए दुनिया के किसी भी कोने में होते हुए भी इस ऐतिहासिक लम्हे का साक्षी बन सकता है। वह अपनी आंखों से देश के नाम एक ख्याति को जुड़ते देख सकेगा। ISRO ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग का सीधा प्रसारण अपने Youtube channel ISRO Official के जरिए करने का निर्णय लिया है। इसरो इसका प्रसारण 23 अगस्त की शाम 5:27 बजे से करेगा।

चांद से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर
आपको बता दें, चंद्रयान-3 का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन रविवार रात एक बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ था। इस ऑपरेशन के बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किमी और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है। डीबूस्टिंग में स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को धीमा किया जाता है।

चंद्रमा के साउथ पोल की नई तस्वीरें इसरो ने शेयर की
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO- Indian Space Reasearch Organisation) यानी इसरो ने चंद्रमा की साउथ पोल की तस्वीरें शेयर की हैं। इसे चंद्रयान-3 में लगे लैंडर हैजार्ड डिटेक्शन एंड एवॉइडेंस कैमरा (LHDAC) से 19 अगस्त 2023 को खींचा गया है। यह कैमरा लैंडर को सेफ लैंडिंग एरिया लोकेट करने में मदद करेगा।

चांद पर अशोक स्तंभ की छाप छोड़ेगा प्रज्ञान रोवर
चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के प्रोजेक्ट निदेशक रहे एम. अन्नादुरई के मुताबिक, 23 अगस्त की शाम को चंद्रयान-3 के लैंडर को 25 किमी की ऊंचाई से चांद की सतह तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट लगेंगे। यही समय सबसे क्रिटिकल होगा है। इसके बाद विक्रम लैंडर से रैंप के जरिए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और इसरो से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा। इस दौरान इसके पहिए चांद की मिट्‌टी पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे।
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सब कुछ फेल हो जाए तब भी विक्रम लैंड करेगा
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने 9 अगस्त को विक्रम की लैंडिंग को लेकर कहा था- 'अगर सब कुछ फेल हो जाता है, अगर सभी सेंसर फेल हो जाते हैं, कुछ भी काम नहीं करता है, फिर भी यह (विक्रम) लैंडिंग करेगा, बशर्ते एल्गोरिदम ठीक से काम करे। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि अगर इस बार विक्रम के दो इंजन काम नहीं करेंगे, तब भी यह लैंडिंग में सक्षम होगा।'

14 जुलाई को लांच हुआ था मिशन
भारत की स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया था। फ्यूल का कम इस्तेमाल हो और कम खर्च में यान चंद्रमा पर पहुंच जाए, इसलिए उसने पृथ्वी की ग्रेविटी का इस्तेमाल किया है। इस प्रोसेस में फ्यूल तो बच जाता है, लेकिन समय ज्यादा लगता है। इसलिए चंद्रयान को चांद पर पहुंचने में ज्यादा टाइम लग रहा है।

पिछले सात दशकों में 111 चंद्र मिशनों में से 62 सफल
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के चंद्रमा मिशनों पर डेटाबेस के अनुसार, पिछले सात दशकों में 111 चंद्र मिशनों में से 62 सफल रहे। 41 विफल रहे और आठ को आंशिक सफलता मिली। अब फेलियर वाली लिस्ट में रूस के चंद्रयान लूना-25 का भी नाम जुड़ गया है।

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