कोरोना की कारगर दवाई को DCGI की मंजूरी मिली, कम ऑक्सीजन की जरूरत और जल्दी रिकवरी का दावा, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

DRDO की बड़ी कामयाबी: कोरोना की कारगर दवाई को DCGI की मंजूरी मिली, कम ऑक्सीजन की जरूरत और जल्दी रिकवरी का दावा, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

कोरोना की कारगर दवाई को DCGI की मंजूरी मिली, कम ऑक्सीजन की जरूरत और जल्दी रिकवरी का दावा, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Google Image | DRDO की कोरोना की दवाई को DCGI की मंजूरी मिली

  • ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने मानकों के मुताबिक पाए जाने पर ड्रग 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG) दवा को इस्तेमाल की मंजूरी दी
  • इसे कोरोना के इलाज में इमरजेंसी के तौर पर उपयोग किया जाएगा
  • कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए यह एक कारगर वैकल्पिक इलाज होगा
  • ये दवा कोरोना मरीजों में संक्रमण की रफ्तार को रोकती है
  • 2-DG दवा को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (DRDO) की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ने तैयार किया है
कोरोना की दूसरी लहर से देश में तबाही का मंजर है। हालांकि देश में टीकाकरण की रफ्तार भी तेज है। लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जा रही है। इस बीच एक और बड़ी राहत भरी खबर आई है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने मानकों के मुताबिक पाए जाने पर ड्रग 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG) दवा को शनिवार को इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। इसे कोरोना के इलाज में इमरजेंसी के तौर पर उपयोग किया जाएगा। कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए यह एक कारगर वैकल्पिक इलाज होगा। अब तक के परीक्षण से इस दवा के चौंकाने वाले परिणाम मिले हैं। जिन मरीजों पर इसका इस्तेमाल किया गया, उनकी RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव आई।

शोधकर्ताओं का दावा है कि ये दवा कोरोना मरीजों में संक्रमण की रफ्तार को रोकती है। इससे मरीज को तेजी से रिकवर करने में मदद करती है। 2-DG दवा को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (DRDO) की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ने तैयार किया है। हालांकि इसमें डॉ रेड्डीज लैबोरेटरी ने मदद किया था। अब तक के ट्रायल में पता चला है कि इसके इस्तेमाल से मरीज के ऑक्सीजन लेवल में भी सुधार होता है। यह बेहद राहत देने वाली खबर है।

बड़े स्तर पर हुआ दूसरे फेज का ट्रायल-
  1. DGCI ने मई 2020 में कोरोना संक्रमित मरीजों पर 2-DG का दूसरे फेज का क्लिनिकल ट्रॉयल शुरू किया था।
  2. अक्टूबर 2020 तक ट्रॉयल होने के बाद दवा 2-DG को सुरक्षित पाया गया। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इससे कोरोना मरीजों को तेजी से ठीक होने में मदद मिली।
  3. फेज-2 ट्रायल दो चरण में पूरा किया गया। इसमें 110 कोरोना मरीजों को शामिल किया गया। फेज-2 के पहले चरण में 6 अस्पतालों के मरीज शामिल थे। जबकि फेज-2 के दूसरे चरण में 11 अस्पतालों के मरीज शामिल हुए।
तीसरे फेज के ट्रॉयल के बाद मिले चौंकाने वाले नतीजे
दिसंबर 2020 से मार्च 2021 तक तीसरे फेज का ट्रॉयल किया गया। इसमें 220 कोरोना मरीजों को शामिल किया गया। ये ट्रायल दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 अस्पतालों में किया गया। महज तीन दिनों में ही इसका सकारात्मक असर दिखाई देने लगा। ट्रायल के दौरान तीसरे दिन संक्रमितों की ऑक्सीजन पर निर्भरता 42 फीसदी से घटकर 31 प्रतिशत हो गई। खास बात यह है कि 65 साल से ज्यादा उम्र के मरीजों पर भी दवा बेहद कारगर साबित हुई।

वक्त से पहले रिकवर हुए संक्रमित 
कोविड महामारी की पहली लहर के दौरान अप्रैल 2020 में INMAS-DRDO के वैज्ञानिकों ने हैदराबाद की सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) की मदद से 2-DG को लैब में टेस्ट किया। स्टैंडर्ड ऑफ केयर (SoC) मानक से तुलना करने पर पता चला कि दवा लेने वाले मरीज दूसरे मरीजों से ढाई दिन पहले ठीक हो गए।

पाउडर पैक में उपलब्ध है दवा
DRDO की यह कारगर दवा पाउडर पैक में उपलब्ध है। इसे पानी में घोलकर कोरोना संक्रमित मरीजों को दिया जाता है। ये दवा सीधे उन कोशिकाओं तक पहुंचती है, जहां संक्रमण होता है। फिर यह वायरस को बढ़ने से रोक देती है। कोरोना वायरस का असर धीरे-धीरे खत्म होने लगता है। लैब टेस्टिंग से साबित हुआ है कि ये कोरोना वायरस के खिलाफ काफी प्रभावी है। DRDO ने कहा है कि इसका उत्पादन भारी मात्रा में आसानी से किया जा सकता है। अब देश कोरोना की दूसरी लहर से तबाह है। ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही केंद्र सरकार इसके उत्पादन को लेकर प्रभावी रणनीति बनाएगी।
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