ISRO ने रचा इतिहास, वो किया जिसके बारे में दुनिया सोचती रह गई

11 दिन और दो बड़े मिशन : ISRO ने रचा इतिहास, वो किया जिसके बारे में दुनिया सोचती रह गई

ISRO ने रचा इतिहास, वो किया जिसके बारे में दुनिया सोचती रह गई

Google Image | Aditya L1 Mission Launch

Noida : भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO एक बाद एक कीर्तिमान रच रही है, जिनके बारे में दुनिया भर के वैज्ञानिक और स्पेस एजेंसियां अभी तक सिर्फ विचार ही कर रही हैं और भारतीय वैज्ञानिकों ने वो कर दिखाया है। हाल ही में 23 अगस्त को भारत के चंद्रयान 3 को सफलतापूर्व चंद्रमा के साउथ पोल पर उतारा था और अब ठीक 11 दिन बाद सूर्य की स्टेडी के लिए Aditya L1 Mission Launch कर नया कीर्तिमान देश के वैज्ञानिकों ने अपने नाम कर लिया। देशवासियों को ISRO के हमारे वैज्ञानिकों ने एक बार फिर गौरवपूर्ण पल दे दिए, जिस पर सभी गर्व कर सकें।

23 अगस्त 2023 : भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने चांद पर चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग का ऐलान किया। चांद के साउथ पोल पर जहां कोई देश नहीं पहुंच पाया था, वहां भारत पहली बार पहुंचा। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने 23 अगस्त से ही अपना काम शुरू कर दिया और पिछले 10 दिनों में कई ऐसी खोज की हैं, जिनसे दुनियाभर के वैज्ञानिक अचंभित हैं। इसरो की इस सफलता पर नासा से लेकर दुनिया की बड़ी स्पेस एजेंसियां उसकी शान में कसीदे पढ़ रही हैं। भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा, दक्षिणी पोल पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश है। 

2 सितंबर 2023 : चंद्रयान-3 की लैंडिंग के ठीक 11 दिन बाद आदित्य एल-1 (Aditya L1) की लॉन्चिंग हुई। इस मिशन का मकसद सूरज और पृथ्वी के बीच मौजूद एल-1 पॉइंट पर स्थापित होना और फिर वहां से सूरज का अध्ययन करना है। अभी तक दुनिया के 3-4 देश ही यहां पहुंच पाए हैं और भारत भी अब इस एलिट ग्रुप में शामिल होगा। भारत ने पहली बार सूरज का अध्ययन करने के लिए अपना कोई पूर्ण मिशन शुरू किया है। करीब चार महीने के सफर के बाद इसरो का आदित्य एल-1 अपनी मंजिल पर पहुंच जाएगा।

आदित्य एल-1 मिशन से जुड़ी जानकारी :
सूरज का अध्ययन करने के लिए इसरो ने आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च किया है। 2 सितंबर को इसने उड़ान भरी और करीब 4 महीने के भीतर ये एल-1 पॉइंट पर पहुंचेगा।
सूरज और पृथ्वी के बीच एल-1 एक ऐसा पॉइंट है, जहां से सूरज पर लगातार नज़र रखी जा सकती है और उसकी आग से भी बचा जा सकता है। ये पृथ्वी से करीब 15 लाख किमी. दूर है।
400 करोड़ रुपये के बजट वाले इस प्रोजेक्ट से सूरज की कोरोना लेयर, वहां के वायुमंडल, एल-1, सूरज की किरणों, वहां के भूत और भविष्य से जुड़ी जानकारियों का अध्ययन करने का मौका मिलेगा।

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