दिल्ली-मुंबई के बीच 1300 किमी लंबा ई-हाईवे बनेगा, देश में पहली बार सड़कों पर बिछेगी बिजली की लाइनें, जानें पूरा प्रोजेक्ट

बड़ी खबरः दिल्ली-मुंबई के बीच 1300 किमी लंबा ई-हाईवे बनेगा, देश में पहली बार सड़कों पर बिछेगी बिजली की लाइनें, जानें पूरा प्रोजेक्ट

दिल्ली-मुंबई के बीच 1300 किमी लंबा ई-हाईवे बनेगा, देश में पहली बार सड़कों पर बिछेगी बिजली की लाइनें, जानें पूरा प्रोजेक्ट

Google Image | दिल्ली-मुंबई के बीच 1300 किमी लंबा ई-हाईवे बनेगा

  • केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग  मंत्रालय प्रोजेक्ट पर कर रहा है विचार
  • भारत सरकार से मंजूरी के बाद शुरू होगी प्रक्रिया
  • 1,300 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर एक अलग ‘ई-हाईवे’ का निर्माण होगा
  • माल ढुलाई की लागत में 70 फीसदी तक की कमी आएगी
केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग  मंत्रालय 1,300 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर एक अलग ‘ई-हाईवे’ का निर्माण करने की योजना पर काम कर रहा है। इस ई-हाईवे पर ट्रक और बसें 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से फर्राटा भरेंगी। इससे देश में माल ढुलाई बेहद सस्ती होगी और इस क्षेत्र में अभुतपूर्व बदलाव आएगा। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार निरंतर प्रयासरत है। विगत साल ही भारत स्टेज VI (BS VI) उत्सर्जन मानकों के वाहनों को चलाने की मंजूरी मिली थी। साथ ही नई व्हीकल स्क्रैपेज (वाहन परिमार्जन) पॉलिसी लागू की गई थी। इससे पता चलता है कि केंद्र सरकार प्रदूषण को लेकर चौतरफा प्रयास कर रही है। 

इस देश में हो चुका है सफल प्रयोग
बताते चलें कि इस तरह का एक सफल प्रयोग जर्मनी में पहले ही किया जा चुका है। जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर के पास छह मील लंबे प्रखंड पर मई 2019 में इस तकनीक की शुरुआत की गई थी। अच्छी बात यह है कि अब इसका दूसरे देशों में भी अनुसरण किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर बिजली की व्यवस्था की जाएगी। हालांकि इस योजना को केंद्र सरकार से मंजूरी मिलना बाकी है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का मानना है कि इस कदम से लॉजिस्टिक की कीमतों में 70 फीसदी तक की कमी आएगी।



1951 से 2015 तक 700 गुना वाहन बढ़े हैं
तेज रफ्तार से हो रहे शहरीकरण के साथ-साथ भारत में गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण से स्थिति बेहद खतरनाक होती जा रही है। पर्यावरण के बारे में स्टड़ी करने वाली संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक रिपोर्ट आंखें खोलने के काफी है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में पंजीकृत वाहनों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है। साल 1951 में सिर्फ 0.3 मिलियन वाहन पंजीकृत थे। लेकिन वर्ष 2015 तक गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन में 700 फीसदी का इजाफा हुआ है। साल 2015 तक देश में 210 मिलियन वाहन पंजीकृत हुए हैं। 

बस के मुकाबले कार और बाइक ज्यादा खतरनाक
इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘कार या दोपहिया वाहन राजधानी दिल्ली का एक चक्कर लगाने में एक बस के मुकाबले 14 गुना ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं।’ इससे समझा जा सकता है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में कितने गंभीर स्तर पर सुधार की दरकार है। हालांकि भारत सरकार इस दिशा में लगातार कोशिश कर रही है। हाल ही में देश में भारत स्टेज VI (BS VI) मानक के वाहनों को चलाने की अनिवार्यता लागू की गई थी। साथ ही केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने संसद में नई व्हीकल स्क्रैपेज (वाहन परिमार्जन) पॉलिसी पेश किया था।
 
120 किलोमीटर की रफ्तार से फर्राटा भरेंगे ट्रक
अब केंद्रीय परिवहन मंत्रालय एक नई और दूरदर्शी योजना पर काम कर रहा है। इसके मुताबिक 1,300 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर एक अलग 'ई-हाईवे' का निर्माण किया जाएगा। इस हाईवे पर ट्रक और बसें 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगी। इसे जर्मनी में इस तरह की एक सफल योजना के आधार पर लागू करने पर बल दिया जाएगा। मई 2019 में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर के बाहर छह मील लंबे प्रखंड पर इस तकनीक का सफल इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें 670-वोल्ट डायरेक्ट-करंट ओवरहेड केबल का उपयोग किया गया है। इलेक्ट्रिक ट्रक इन केबल से बिजली खींचते हैं और चलते-चलते अपनी बैटरी को रिचार्ज करते हैं।

माल ढुलाई की लागत में 70 फीसदी की कमी आएगी
हालांकि इस योजना को भारत सरकार से मंजूरी मिलनी बाकी है। लेकिन केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी इस प्रोजेक्ट को लेकर बेहद सकारात्मक हैं। उनका कहना है कि इस हाईवे के निर्माण से माल ढुलाई की लागत में 70 फीसदी की कमी आएगी। साथ ही इससे प्रदूषण जैसी विकराल समस्या का हल मिलेगा। यह हाईव कई मायने में महत्वपूर्ण होगा। सीमेंस का कहना है कि इस तकनीक को मौजूदा सड़क सुविधाओं के साथ जोड़ा जा सकता है। इसके लिए अलग से ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी। देश में हाईवे इस तरह के प्रोजेक्ट के लिए उपयुक्त हैं। हाईवे पर बिजली की व्यवस्था कर ट्रकों को रफ्तार मिलेगी। इससे प्रदूषण की वैश्विक समस्या से भी निजात मिलेगी। इससे ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों का भी दोहन कम होगा।

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