बप्पा के आगमन की तैयारियां शुरू, जानें गणपति स्थापना की विधि और मुहूर्त

Ganesh Chaturthi : बप्पा के आगमन की तैयारियां शुरू, जानें गणपति स्थापना की विधि और मुहूर्त

बप्पा के आगमन की तैयारियां शुरू, जानें गणपति स्थापना की विधि और मुहूर्त

Google Image | Ganesh Chaturthi

Ganesh Chaturthi : भारत त्योहारों का देश है। हर त्योहार को ना सिर्फ पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है, बल्कि ये एक उत्सव बन जाता है। गणेश चतुर्थी भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 19 सितंबर से शुरू हो रहा है। यह 10 दिन का पर्व है, जिसमें पहले दिन गणेश चतुर्थी को भगवान गणपति की मूर्ति की स्थापना की जाती है। इस दिन से गणेश जी की खास पूजा होती है। जगह-जगह गणपति पंडाल सजते हैं, मंदिरों में भी गणेश भगवान की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक भजनों और गीतों पर उत्सव होता है।

गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त
 गणेश चतुर्थी के दिन बप्‍पा के भक्‍त उन्‍हें ढोल-नगाड़ों के साथ धूमधाम से घर पर लाते हैं और उनकी स्‍थापना करते हैं। इस दिन शुभ मुहूर्त में ही लोग घरों में गणपति को स्थापित करते हैं। चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 9 मिनट पर होगी और इसका समापन 19 सितंबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 13 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जाएगी। गणेश मूर्ति की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 11 बजकर 7 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक है। 

गणेश स्थापना की विधि 
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। घर के मंदिर को साफ करें और बप्‍पा के आगमन के लिए घर को सजाएं। ईशान कोण में लकड़ी की चौकी की स्थापित करें और चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्‍त्र बिछाएं। सही मुहूर्त में गणपति की मूर्ति को घर लाएं और चौकी पर विराजमान करें। गणपति की मूर्ति के दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि को भी स्थापित करें और साथ में एक-एक सुपारी रखें।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि
गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना से पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ कर लें।
फिर पूजा की चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर गणपति बप्पा को चौकी पर स्थापित करें।
अब गणेश जी पर दूर्वा से गंगाजल छिड़कें।
उन्हें हल्दी, चावल, चंदन, गुलाब, सिंदूर, मौली, दूर्वा, जनेऊ, मिठाई, मोदक, फल, माला और फूल अर्पित करें।
अब गणपति बप्पा के साथ-साथ शिव जी और माता पार्वती की भी पूजा करें।
फिर लड्डू या मोदक का भोग लगाएं और आरती करें।
इसी तरह 10 दिन तक रोज सुबह शाम पूजा और आरती करें। 

क्‍या है गणेश उत्‍सव का महत्‍व
भगवान गणेश को दुखहर्ता, शुभकर्ता और विघ्‍नहर्ता जैसे नामों से जाना जाता है। मान्‍यता है कि गणेश चतुर्थी के दौरान गणपति की स्‍थापना जिस घर में की जाती है, विधि-विधान से पूजन वगैरह किया जाता है, उस घर के सारे कष्‍ट, परेशानियां और विघ्‍न गणपति अपने साथ ले जाते हैं। ऐसे घर में सब कुछ मंगल ही मंगल होता है। पूरे साल लोग इस पर्व का इंतजार करते हैं और धूमधाम से इसे मनाते हैं। महाराष्‍ट्र में गणेश उत्‍सव को बहुत बड़े स्‍तर पर मनाया जाता है।

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