सभी राज्य-केंद्र शासित प्रदेश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को नियमित आधार पर मामलों और मौतों की जानकारी देते हैं
इसके मुताबिक दूसरी लहर के दौरान सिर्फ ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है
प्रदेशों ने विशेष रूप से ऑक्सीजन की कमी की सूचना दी
दूसरी लहर के दौरान देश में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग लगभग 9000 मीट्रिक टन (एमटी) तक पहुंच गई थी
कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान सबसे ज्यादा भूचाल ऑक्सीजन की कमी को लेकर आया था। देशभर के अस्पतालों ने नोटिस चस्पा कर कहा था कि उनके पास ऑक्सीजन की कमी है। राजधानी दिल्ली सहित पड़ोसी जनपदों गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के तमाम सरकारी और निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत के कई मामले सामने आए। दूसरी लहर का असर कम हो गया है। अब केंद्र सरकार ने कहा है कि दूसरी लहर के दौरान किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में सिर्फ ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई मौत नहीं हुई है।
कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल के एक सवाल के जवाब में कि क्या दूसरी लहर में ऑक्सीजन की भारी कमी के कारण सड़कों और अस्पतालों में बड़ी संख्या में कोविड रोगियों की मौत हुई, स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने हैरान करने वाली जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य राज्यों का विषय है। सभी राज्य-केंद्र शासित प्रदेश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को नियमित आधार पर मामलों और मौतों की जानकारी देते हैं।
किसी राज्य ने नहीं दी रिपोर्ट
इस सवाल के जवाब में उन्होंने लिखित उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने राज्यों को पूरा सहयोग दिया है। इलाज और ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के कोरोना काल के दौरान सरकार ने लगातार अभियान चलाकर मदद दी। उन्होंने आगे कहा, "स्वास्थ्य राज्य का विषय है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों को मौतों की रिपोर्ट करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके मुताबिक सभी राज्य-केंद्र शासित प्रदेश नियमित आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को मामलों और मौतों की जानकारी साझा करते हैं।
9000 मीट्रिक टन पहुंची थी जरूरत
इसके मुताबिक दूसरी लहर के दौरान सिर्फ ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है। राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों ने विशेष रूप से ऑक्सीजन की कमी की सूचना दी है। भारत सरकार ने राज्यों का समर्थन किया है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए उनकी देखभाल सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा ऑक्सीजन, और अन्य मेडिकल सुविधाओं के प्रावधान सहित कई कदम उठाए हैं। डॉ पवार ने बताया कि दूसरी लहर के दौरान देश में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग लगभग 9000 मीट्रिक टन (एमटी) तक पहुंच गई थी। जबकि पहली लहर के दौरान 3095 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी।
केंद्र सरकार ने जरूरत के मुताबिक वितरण किया
उन्होंने आगे बताया, "अस्पतालों को चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति और चिकित्सा ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता के बीच संविदात्मक व्यवस्था द्वारा निर्धारित की जाती है। हालांकि, दूसरी लहर के दौरान चिकित्सा ऑक्सीजन की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण देश में मांग लगभग 9000 मीट्रिक टन तक पहुंच गई। पहली लहर के दौरान 3095 मीट्रिक टन की जरूरत थी। इस वजह से केंद्र सरकार को राज्यों को समान वितरण के लिए कदम उठाना पड़ा।
संख्या में संशोधन हुआ है
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, “राज्य-केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा कोविड से होने वाली मौतों को छिपाने की कोई रिपोर्ट नहीं है। हालांकि, कुछ राज्यों ने मृत्यु दर के आंकड़ों के मिलान के आधार पर अपने आंकड़े संशोधित किए हैं। ऐसे राज्यों को सलाह दी गई है कि वे तारीखों और जिलों के संदर्भ में अपने डेटा को सही ढंग से अपडेट करें। ताकि महामारी की सही तस्वीर का पता चल सके।”