Vijay Diwas 2020: नम आंखों से पाकिस्तानी जनरल नियाजी ने 93 हजार सैनिकों संग किया था आत्मसमर्पण, फैसले के लिए सिर्फ 30 मिनट का मिला था वक्त

विजय दिवस पर खास Vijay Diwas 2020: नम आंखों से पाकिस्तानी जनरल नियाजी ने 93 हजार सैनिकों संग किया था आत्मसमर्पण, फैसले के लिए सिर्फ 30 मिनट का मिला था वक्त

Vijay Diwas 2020: नम आंखों से पाकिस्तानी जनरल नियाजी ने 93 हजार सैनिकों संग किया था आत्मसमर्पण, फैसले के लिए सिर्फ 30 मिनट का मिला था वक्त

Google Image | समर्पण दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते जनरल नियाज़ी

भारत-पाकिस्तान के बीच वर्ष 1971 में हुए युद्ध के आज पचास साल पूरे हो गए। भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध 16 दिसंबर, 1971 को समाप्त हुआ था। इसी युद्ध के बाद बांग्लादेश अस्तित्व में आया। तीन दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान ने लड़ाई की शुरुआत की थी। परंतु, भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस के सामने पाकिस्तानी सेना  टिक नहीं सकी, और सिर्फ 13 दिनों में ही घुटने टेक दिए। यह युद्ध भारतीय सेना  के पराक्रम को दर्शाता है। पाकिस्तान के जनरल नियाजी ने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के समक्ष समर्पण कर दिया था।

अपने ही लोगों का दमन कर रहा था पाकिस्तान

बंटवारे के बाद से ही पूर्वी हिस्से के अपने नागरिकों को लेकर पाकिस्तान का रवैया बर्बरतापूर्ण रहा था। बाद के सालों में ये नफरत और बढ़ती गई। पाकिस्तान का सैनिक तानाशाह याहिया खां अपने ही देश के पूर्वी हिस्से में रहने वाले लोगों का दमन करने लगा। पहले ये दमनचक्र छोटे स्तर पर चलता रहा। परंतु, 25 मार्च, 1971 को उसने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को पूरी तरह कुचलने का आदेश दे दिया।

पूर्वी पाकिस्तान में आंदोलन कर रहे  नेता शेख मुजीबुर्रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया। पाकिस्तानी सेना ने विध्वंस का भयानक खेल खेला। जान बचाने के लिए लोग भारत की तरफ पलायन करने लगे। ऐसी बद्तर स्थिति के बाद भारत सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की मदद करने का फैसला लिया।

जनरल मानिक शॉ ने संभाली कमान

पाकिस्तान के जुल्म से पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को बचाने के लिए भारत ने तैयारी शुरू की। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेनाध्यक्ष जनरल मानिक शॉ से इस बारे में बात की। भारतीय सेना के पास भी तब ज्यादा सहुलियतें नहीं थीं। भारत के पास सिर्फ एक माउंटेन डिवीजन था और उसके पास भी पुल निर्माण की क्षमता नहीं थी। मानसून की वजह से भारी बारिश की पूरी संभावना थी। ऐसे में पूर्वी पाकिस्तान में प्रवेश करना बहुत जोखिमभरा था। हालात की गंभीरता को समझते हुए जनरल शॉ ने पूरी तैयारी के बाद ही युद्ध में जाने की बात कही।

पाकिस्तान ने कर दिया हमला

तीन दिसंबर, 1971 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कलकत्ता (कोलकाता) में एक जनसभा कर रही थीं। उसी दिन शाम के समय पाकिस्तान की वायुसेना ने पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर, आगरा और दूसरे सैन्य हवाई अड्डों पर बमबारी शुरू कर दी। इसके बाद भारत के पास युद्ध के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। भारत सरकार ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए तैयारी कर ली।

भारत ने दुश्मन को दिया जवाब

पहले ही झटके में भारतीय सैनिकों ने पूर्वी पाकिस्तान के जेसोर व खुलना पर कब्जा कर लिया। 14 दिसंबर को भारतीय सेना ने एक गुप्त संदेश डिकोड किया। इसके मुताबिक पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारियों की बैठक ढाका के गर्वनमेंट हाउस में होने वाली थी। उस बैठक के दौरान ही भारतीय मिग-21 विमानों ने बम गिराकर ढाका गवर्नमेंट हाउस को मिट्टी में मिला दिया।

समर्पण के लिए दिया सिर्फ 30 मिनट का वक्त

इसके बाद पाकिस्तानी सेना के हौसले पस्त हो चुके थे। 16 दिसंबर को पाकिस्तान के जनरल नियाज़ी ने भारत और बांग्लादेश की सेनाओं के समक्ष  आत्मसमर्पण कर दिया।  उसी दिन समर्पण के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर  किया गया। जिस दिन जनरल नियाज़ी ने आत्मसमर्पण के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किया, उस दिन नियाज़ी के पास ढाका में 26, 400 सैनिक थे, जबकि भारत के सिर्फ 3000 सैनिक मोर्चे पर मौजूद थे। इस तरह पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तान के आतंक का अंत हुआ और पूर्वी पाकिस्तान, बांग्लादेश के रूप में नया राष्ट्र बना।

पीएम मोदी ‘स्वर्णिम विजय मशाल’ प्रज्ज्वलित करेंगे

वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 साल पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को राजधानी दिल्ली के राष्ट्रीय समर स्मारक की अमर ज्योति से ‘स्वर्णिम विजय मशाल’ प्रज्ज्वलित करेंगे।

रक्षा मंत्रालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय समर-स्मारक पर लगातार जलती रहने वाली ज्योति से चार विजय मशाल प्रज्ज्वलित की जाएंगी।  इन मशालों को 1971 के युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेताओं के गांवों सहित देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाया जाएगा। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ‘इन विजेताओं के गांवों के साथ-साथ 1971 के युद्ध स्थलों की मिट्टी को नई दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में रखा जाएगा।’

गृह मंत्री अमित शाह और दूसरे नेताओं ने सेना को सराहा

विजय दिवस के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सेना और देशवासियों को बधाई दी है. गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि '1971 में आज ही के दिन भारतीय सेना ने अपने अदम्य साहस और पराक्रम से मानवीय स्वतंत्रता के सार्वभौमिक मूल्यों की रक्षा करते हुए विश्व मानचित्र पर एक ऐतिहासिक बदलाव किया. इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित यह शौर्यगाथा हर भारतीय को गौरवान्वित करती रहेगी. विजय दिवस की शुभकामनाएं।'

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