Google Image | प्रतीकात्मक फोटो
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने हाल ही में स्नातक और परास्नातक कक्षाओं की परीक्षा को लेकर एक गाइडलाइन जारी की थी। जिस पर देशभर से मिली-जुली प्रतिक्रिया आई हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय ऐसे हैं, जो यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की गाइडलाइन को फॉलो करते हुए परीक्षाओं का आयोजन करेंगे। यूजीसी ने एक प्रेस रिलीज जारी करके बताया है कि भारत में 560 विश्वविद्यालयों ने उसके दिशा निर्देशों का अनुपालन किया है। ये सारे विश्वविद्यालय इस साल टर्मिनल सेमेस्टर के छात्रों के लिए फाइनल परीक्षा आयोजित करने जा रहे हैं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने बताया कि 560 विश्वविद्यालयों ने परीक्षा के संचालन के संबंध में अपने निर्णय की घोषणा की है। उनमें से 366 विश्वविद्यालय अगस्त या सितंबर में परीक्षा आयोजित करेंगे और बाकी ने पहले ही परीक्षा आयोजित कर दी थीं। दरअसल, कोरोना वायरस महामारी के कारण 23 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया था। इसके चलते बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं स्थगित और रद्द करनी पड़ी थीं।
अब जब अनलॉक शुरू हुआ तो राज्यों से यह जानकारी मिल रही थी कि विश्वविद्यालय प्रशासन, शिक्षक को सरकार बिना परीक्षा आयोजित किए स्नातक और परास्नातक कक्षाओं में पढ़ रहे सभी छात्र छात्र-छात्राओं को पदोन्नत करना चाहते हैं। इस पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक गाइडलाइन जारी की। बताया कि प्रथम और द्वितीय वर्ष में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को पदोन्नत करने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन अंतिम वर्ष और अंतिम सेमेस्टर में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को बिना परीक्षा आयोजित किए पदोन्नत करने से उनकी डिग्रियां अवैधानिक हो सकती हैं। लिहाजा विश्वविद्यालयों को अंतिम वर्ष और अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाओं का आयोजन करना चाहिए।
अब इस गाइडलाइन पर देश भर से आई प्रतिक्रियाओं की जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने आधिकारिक बयान में कहा, " देशभर में 945 विश्वविद्यालयों हैं। 755 विश्वविद्यालयों, जिनमे 120 डीम्ड विश्वविद्यालय, 274 निजी विश्वविद्यालय, 40 केंद्रीय विश्वविद्यालय और 321 राज्य विश्विद्यालय से प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई थीं।" बयान में आगे कहा गया है, "755 विश्वविद्यालयों में से 560 विश्वविद्यालयों ने परीक्षा आयोजित कर ली है या परीक्षा आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।"
परीक्षाओं को लेकर यूजीसी की गाइडलाइन कुछ इस तरह है
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन भारत में उच्च शिक्षा का शीर्ष नियामक निकाय है। यूजीसी ने विश्वविद्यालय में परीक्षा के संचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। जिसमें कहा गया है कि देशभर के सभी विश्वविद्यालयों को इस साल टर्मिनल सेमेस्टर के छात्रों के लिए फाइनल परीक्षा आयोजित करनी चाहिए। आयोग ने परीक्षाओं को शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बताया है। आयोग ने यह भी कहा कि जो छात्र विदेशी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश चाहते हैं, उनके लिए परीक्षा आवश्यक है। हम देश के घरेलू विश्वविद्यालयों में तो बिना परीक्षा दिए पदोन्नत हुए छात्रों को स्वीकार कर सकते हैं, लेकिन विदेशी विश्वविद्यालयों में इस रीति से पदोन्नत किए गए छात्रों को तरजीह मिलेगी, इसमें संशय की स्थिति बन जाएगी।
यूजीसी ने देशभर के सभी विश्वविद्यालयों को सितंबर 2020 तक ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में परीक्षा आयोजित करने के लिए कहा है। हालांकि, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के इस फैसले की देशभर की राज्य सरकारों और छात्रों ने बहुत आलोचना की है। शिक्षक संगठनों, राज्य सरकारों और छात्र संगठनों की ओर से केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भी चिट्टियां भेजी गई हैं।
सरकार से मांग की गई है कि वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा निर्देशों पर संज्ञान ले। इस वक्त पूरे देश में कोरोना वायरस का संक्रमण हावी है। ऐसे समय में परीक्षाओं का आयोजन करवाना खतरे से खाली नहीं होगा। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सरकार ने अंतिम वर्ष और सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित करने, परीक्षा परिणाम घोषित करने और ग्रेजुएट-पोस्ट ग्रेजुएट कक्षाओं में नए दाखिले करने के लिए विस्तृत कार्यक्रम जारी कर दिया है। देश के सबसे बड़े ओपन विश्वविद्यालय इग्नू ने भी परीक्षा कार्यक्रम घोषित कर दिया है।