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Greater Noida: भट्टा पारसौल सहित छह गांव के किसानों के लिए प्रदेश सरकार जल्दी अच्छी खबर देने वाली है। सरकार में भट्टा पारसौल कांड में किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लिए जाने की तैयारी चल रही है। दरअसल, गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने भी किसानों के पक्ष में रिपोर्ट दी है। ऐसा पहली बार हुआ है। जिसके बाद किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने का रास्ता आसान हो गया है।
गौतमबुद्ध नगर जिला अदालतों में 6 गांव के 81 किसानों पर 9 मुकदमों में सुनवाई चल रही है। इन मुकदमों में कई बार किसानों की गिरफ्तारी और कुर्की वारंट जारी हो चुके हैं। किसान संगठनों और जनप्रतिनिधियों की मांग के बावजूद प्रदेश सरकार अब तक इन मुकदमों को वापस नहीं ले सकी है। इसके पीछे कई बड़े कारण हैं। जिले की पुलिस किसानों के पक्ष में रिपोर्ट नहीं देती थी। अब शासन की मंशा के अनुरूप पुलिस प्रशासन द्वारा किसानों के पक्ष में गोपनीय रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। इस रिपोर्ट पर सरकार में कवायद चल रही है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि जल्दी ही सरकार इस संबंध में निर्णय ले सकती है। किसानों के पक्ष में भेजी गई रिपोर्ट की पुष्टि पुलिस विभाग के अधिकारियों ने भी की है।
पुलिस विभाग के आला अफसर किसानों की गिरफ्तारी और कुर्की वारंट जारी होने के बाद प्रभावी कार्यवाही चाहते थे लेकिन सरकार के दबाव के कारण ऐसा नहीं हो सका है। यह सरकार की मंशा का ही संकेत था। किसानों की कुर्की वारंट मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत से तीन बार जारी हो चुके हैं। किसानों के दबाव के चलते पुलिस वारंट जारी होने के बाद आगे की कार्रवाई नहीं कर सकी।
2018 में सीबीसीआईडी ने लगाई थी चार्जशीट
भट्टा पारसौल कांड में किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों की जांच सीबीसीआईडी ने की थी। सीबीसीआईडी ने वर्ष 2018 में भट्टा गांव के 6, पारसौल गांव के 22 और आछेपुर गांव के 2 किसानों के खिलाफ 7 मई 2011 की घटना में आरोप पत्र दाखिल किया था। इनमें से कुछ किसान आज तक अदालत में हाजिरी नहीं हुए। जो किसान अदालत में हाजिर नहीं हुए उनके कई बार गिरफ्तारी और कुर्की वारंट जारी हो चुके हैं। जिन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
भट्टा परसौल कांड पर एक नजर
7 मई 2011 को किसानों और प्रशासन के बीच भट्टा गांव में टकराव हो गया था। इस संघर्ष में तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल को गोली लगी थी। वहीं, भट्टा पारसौल गांव के राजवीर, राजपाल और दो सिपाही मनवीर और मनोहर की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद एकाएक भट्टा पारसौल देश-विदेश की मीडिया की सुर्खियों में आ गया था।
300 किसानों पर दर्ज हुए थे 21 मुकदमे
जनवरी 2011 से मई 2011 के दौरान 3 माह 20 दिन के किसान आंदोलन में 300 से अधिक किसानों के खिलाफ दनकौर, रबूपुरा, ककोड़ थानों में 21 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए थे।
6 गांव के 81 किसानों पर 9 मुकदमों में चल रही है सुनवाई
भट्टा, पारसौल मुतैना, आछेपुर, सक्का और मिर्जापुर सहित 6 गांव के 81 किसानों पर 9 मामले अदालत में विचाराधीन है। इन पर लगातार सुनवाई चल रही है।
12 मुकदमे सपा सरकार में हुए वापस भट्टा पारसौल के किसानों पर आंदोलन के दौरान दर्ज हुए 21 मुकदमों में से 12 मुकदमें समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान किसानों से वापस ले लिए गए। बाकी मुकदमे हत्या, हत्या के प्रयास, सरकारी असलहों की लूट और सरकारी अफसरों के अपहरण से जुड़े होने के कारण वापस नहीं हो सके थे। किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी के लिए गांव के किसान क्षेत्रीय विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले थे। योगी आदित्यनाथ ने किसानों को आश्वासन दिया था।
2 माह पूर्व शासन ने मांगी थी रिपोर्ट
विधायक धीरेंद्र सिंह की मांग पर करीब 2 माह पूर्व उत्तर प्रदेश शासन ने जिलाधिकारी बीएन सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण से रिपोर्ट मांगी थी। एसएसपी ने दनकौर पुलिस से भट्टा पारसौल के किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। जिला प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार डीएम और एसएसपी ने मुकदमे वापस लेने पर अनापत्ति जाहिर की है।
किसानों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने का आग्रह किया था। सीएम ने आश्वासन दिया था और कानून विभाग को प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया था। इस बार पुलिस और प्रशासन ने मुकदमे वापस लेने की सहमति दे दी है। अभी तक पुलिस की ओर आपत्ति जाहिर की जाती थी। भट्टा परसौल कांड के वक्त भाजपा के साफ रुख था कि किसानों पर तत्कालीन बसपा सरकार ने अन्याय किया था। अब भाजपा की सरकार मुकदमे वापस लेकर अपना वादा पूरा कर रही है।
धीरेंद्र सिंह, विधायक, जेवर