EXCLUSIVE: 13 अरब के महाघोटाले में UPSIDC के ये बड़े अफसर शामिल, कल कोर्ट सुनवाई करेगी

EXCLUSIVE: 13 अरब के महाघोटाले में UPSIDC के ये बड़े अफसर शामिल, कल कोर्ट सुनवाई करेगी

EXCLUSIVE: 13 अरब के महाघोटाले में UPSIDC के ये बड़े अफसर शामिल, कल कोर्ट सुनवाई करेगी

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GREATER NOIDA : ग्रेटर नोएडा में ग्रांड वेनिस मॉल बनाने के नाम पर 13 अरब रुपये के महाघोटाले को सतिंदर सिंह भसीन ने उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) के 16 बड़े अफसरों के साथ मिलकर अंजाम दिया है। इन लोगों ने सरकार, बैंकों और हजारों प्रोपर्टी खरीदारों को 1,296.14 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया है। पुलिस ने सतिंदर सिंह भसीन के खिलाफ जिला न्यायालय में दाखिल चार्जशीट में यूपीएसआईडीसी के इन अधिकारियों के नामों का खुलासा किया है। चार्जशीट ट्राई सिटी टुडे डॉट कॉम के पास उपलब्ध है।


पुलिस ने न्यायालय को बताया है कि सतिंदर सिंह भसीन, जेएस भसीन और क्विंसी भसीन ने मिलकर 30 मुखौटा कंपनियां बनाईं। उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीएसआईडीसी) के अधिकारियों से मिलीभगत करके ग्रेटर नोएडा की साइट-4 में पार्क की भूमि अपनी कंपनियों के नाम आवंटित करवाई। फर्जी ढंग से जमीन का लैंड यूज कमर्शियल में बदला गया था। बाद में इसी तरह फर्जीवाड़ा करके एफएआर बदला गया, बिजली के कनेक्शन दिलाए गए और बैंकों के लिए मोरगेज परमिशन दी गईं। पुलिस ने जांच में पाया कि इस भूखंड पर सतिंदर भसीन को न तो निर्माण करने और न ही प्रोपर्टी बेचने का अधिकार था। सबकुछ जाली दस्तावेजों के जरिए किया गया है।


चार्जशीट में बताया गया है कि सतिंदर सिंह भसीन ने यूपीएसआईडीसी के तत्कालीन इंजीनियर संतोष कुमार, चीफ इंजीनियर अरुण कुमार मिश्रा, प्रोजेक्ट मैनेजर डीके गर्ग, प्रबंध निदेशक सीके वर्मा, संयुक्त निदेशक तपेंद्र प्रसाद, जूनियर इंजीनियर एसी तोमर, क्षेत्रीय प्रबंधक सुरेश कुमार, वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक केके यादव, प्रभारी सहायक टाउन प्लानर मनमोहन, नीरज चतुर्वेदी, क्षेत्रीय प्रबंधक मयंक श्रीवास्तव के कार्यकाल में इस घोटाले को अंजाम दिया। उस वक्त यूपीएसआईडीसी के बोर्ड के चेयरमैन तत्कालीन औद्योगिक विकास मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा थे। जांच अधिकारी ने चार्जशीट में बताया है कि इन सारे लोगों की मिलीभगत रही है। इनसे पूछताछ करने के लिए नोटिस भेजे गए हैं।


चार्जशीट के मुताबिक सतिंदर सिंह भसीन ने 700 करोड़ रुपये की ठगी प्रोपर्टी खरीदारों से की है। बैंकों को 238 करोड़ रुपये का चूना लगाया और उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) को 258.14 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है। यूपीएसआईडीसी को हुई राजस्व हानि के लिए अधिकारी जिम्मेदार हैं। इन अधिकारियों की अनदेखी, मिलीभगत और जाली दस्तोवज बिल्डर को देने में बड़ी भूमिका रही है। जिनके बल पर बिल्डर ने आम आदमी और बैंकों से ठगी को अंजाम दिया है।
सतिंदर सिंह भसीन ने अधिकारियों से मिले सहयोग की बदौलत सरकार, बैंकों और हजारों प्रोपर्टी खरीदारों को 1,296.14 करोड़ रुपये (13 अरब) का चूना लगाया है। पुलिस ने चार्जशीट अदालत में दाखिल की है। गौतमबुद्ध नगर के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय इस मामले में 17 सितंबर (मंगलवार) को सुनवाई करेंगे। चार्जशीट में आईपीसी की धारा 406, 420, 467, 468, 471, 504, 506 और 120-बी के तहत मुकदमा चलाने का निवेदन किया गया है।


गौरतलब है कि सतिंदर भसीन के खिलाफ केवल ग्रेटर नोएडा में  85 मुकदमे दर्ज हैं। सतिंदर भसीन की 19 जमानत याचिकाएं अपर जिला न्यायाधीश षष्टम पवन प्रताप सिंह की अदालत ने खारिज कर दी हैं। न्यायालय ने माना है कि आरोपी के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी, अमानत में खयानत, मनी लॉन्ड्रिंग और ब्लैक मनी अर्जित करने के पर्याप्त साक्ष्य अभियोजन के पास उपलब्ध हैं।


दूसरी ओर सत्येंद्र भसीन की पत्नी क्विंसी भसीन और पिता जेएस भसीन ने अग्रिम जमानत हासिल करने के लिए अपर जिला न्यायाधीश प्रथम विनोद रावत की अदालत में 8 याचिकाएं दायर की थीं। अपर जिला न्यायाधीश प्रथम विनोद रावत ने सभी आठों अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। अब सतिंदर भसीन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर करके जमानत की अपील की है।

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