Tricity Today | कृष्णान्त रौसा
इस वक्त वैश्विक महामारी से निपटने के लिए आम आदमी से लेकर खास आदमी तक जुटा हुआ है। ऐसे में छोटे-छोटे मासूम बच्चे भी आगे बढ़कर योगदान दे रहे हैं। ग्रेटर नोएडा के एक सील हॉटस्पॉट में तालाबंदी का सामना कर रहे कक्षा छह के बच्चे ने रविवार को अपना जन्मदिन मनाने की बजाय केक खरीदने के लिए परिवार की ओर से मिले ₹201 पीएम केयर फंड में ट्रांसफर कर दिए। छात्र ने एक वीडियो जारी करके लोगों से अपील की है कि वह तालाबंदी का पूरा पालन करें और सरकार की हर संभव मदद करें।
छोटे बच्चे कृष्णान्त रौसा ने प्रधानमंत्री फंड केयर में अपने जन्मदिन के पैसे ट्रांसफर कर दिए और मोमबत्ती जलाकर अपना जन्मदिन मनाया। कृष्णकांत रौसा ग्रेटर नोएडा के बिशनूली गाव के निवासी हैं, जो कि छठी क्लास में पढ़ते हैं। वे प्रत्येक वर्ष केक काटकर अपना जन्मदिन अपने परिवार के साथ मनाते हैं।
कृष्णकांत ने बताया कि हमारा देश कोरोना जैसी महामरी से लड़ रहा है।इसलिए उन्होंने देश के लिए अपनी तरफ से छोटा सा योगदान दिया है और उन्होंने सभी लोगों से अपील की है कि आप भी पीएम फंड केयर में पैसे ट्रांसफर करें। इसलिए उन्होंने अपना जन्मदिन ना मनाकर जन्मदिन के पैसों को पीएम फंड केयर में ट्रांसफर किया है।
आपको बता दें कि बिशनूली वह गाव है, जिसमें कोरोना के मरीज की पुष्टि हुई है और वर्तमान में हॉटस्पॉट की श्रेणी में है। इस समय पूरा गांव सील है। कृष्णकांत रौसा ने एक वीडियो भी जारी किया है। जिसमें वह मोमबत्ती जलाकर अपना जन्मदिन मना रहे हैं और लोगों से अपील कर रहे हैं।
कृष्णकांत ने अपील में कहा, देश के डॉक्टर, पुलिस वाले और सफाई कर्मचारी दिन-रात काम कर रहे हैं। सभी लोग इनकी मदद कीजिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मदद कीजिए। मैं ऐसे समय में अपना जन्मदिन नहीं मना सकता हूं। केक खरीदने के लिए मिले ₹201 प्रधानमंत्री केयर फंड को भेज रहा हूं। यह धनराशि बहुत छोटी है लेकिन मैं सभी से अपील करता हूं कि अगर हम छोटी-छोटी धनराशि भी भेजेंगे तो प्रधानमंत्री की बड़ी मदद कर सकते हैं।
आपको बता दें कि इससे पहले ग्रेटर नोएडा के निवासी और जूनियर गोल्फ में वर्ल्ड चैंपियन अर्जुन भाटी ने अपनी 102 ट्रॉफी या बेचकर ₹4,30,000 अर्जित किए थे और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केयर फंड में ट्रांसफर कर दिए थे। जिसके बाद प्रधानमंत्री ने अर्जुन भाटी की सराहना की थी और ट्वीट करके धन्यवाद भी दिया था। कुल मिलाकर बड़े, बुजुर्ग और बच्चे, हर कोई इस अभियान में सरकार के साथ खड़ा है और अपनी सामर्थ्य के हिसाब से मदद करने के लिए तत्पर है।