BREAKING: ग्रेटर नोएडा वेस्ट में लैंड यूज़ बदलने वाले दो अफसरों पर हुई कार्रवाई

BREAKING: ग्रेटर नोएडा वेस्ट में लैंड यूज़ बदलने वाले दो अफसरों पर हुई कार्रवाई

BREAKING: ग्रेटर नोएडा वेस्ट में लैंड यूज़ बदलने वाले दो अफसरों पर हुई कार्रवाई

Tricity Today | Greater Noida Authority

नियोजन विभाग की डीजीएम और सीनियर मैनेजर को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई gangaइन दोनों अफसरों का अगले 3 वर्षों तक कोई प्रमोशन नहीं किया जाएगाgangaअभी 14 और अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई होनी बाकी हैgangaकई महाप्रबन्धकों को शासन ने क्लीन चिट दे दी है, कई नौकरी छोड़ गए

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में भू-उपयोग बदलने के मामले में शासन ने दो अधिकारियों को प्रतिकूल प्रविष्टि दे दी है। अब इनको तीन साल तक प्रमोशन नहीं मिलेगा। अभी इस मामले में 14 अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई होनी बाकी है। शीघ्र ही इन पर भी शासन कार्रवाई कर सकता है।

बसपा शासनकाल में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में किसानों से जमीन अधिग्रहित की गई थी। उस पर उद्योग लगाने की योजना थी। बाद में रातो रात विकास प्राधिकरण के अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस जमीन का उपयोग बदल दिया था। प्राधिकरण ने 374 हेक्टेयर जमीन का भू उपयोग बदला था। बाद में बिल्डरों को जमीन आवंटित कर दी गई। जब इसकी जानकारी किसानों को मिली तो वह हाईकोर्ट चले गए। 

वर्ष 2011 में हाईकोर्ट ने मामले की जांच करके करके दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए कहा था। इसके बाद प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार आ गई। तत्कालीन प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) संजय अग्रवाल ने इस मामले की जांच की। जांच में 26 अधिकारियों के नाम सामने आए और कार्रवाई की सिफारिश करके रिपोर्ट शासन को दे दी थी। एकबार फिर यह मामला दब गया। राज्य में भारतीय जनता पार्टी की योगी आदित्यनाथ सरकार आने के बाद जेवर के विधायक ठाकुर धीरेन्द्र सिंह ने मामला विधानसभा में उठाया। औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कार्रवाई का आश्वासन दिया था।

प्राधिकरण अफसरों के मुताबिक, 19 अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है। इसमें तत्कालीन डीजीएम निमिषा शर्मा व वरिष्ठ प्रबंधक मनीष लाल को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है। नियोजन विभाग की तत्कालीन जीएम लीनू सहगल शासन से बरी हो गई हैं। इसके अलावा तत्कालीन महाप्रबन्धक रविंद्र सिंह ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की नौकरी छोड़ चुके हैं। जबकि ललित विक्रम बसंतवानी प्रतिनियुक्ति पर आए थे और वह वापस चले गए। सपा शासनकाल में यह मामला कमजोर पड़ गया था। 

दरअसल, जिन जमीनों का भू-उपयोग बदला गया था, उसे भी मास्टर प्लान 2021को मंजूरी दे दी गई थी। इस मामले में कार्रवाई नहीं हो सकी थी। प्रदेश में भाजपा की सरकार आई तो इस मामले ने तूल पकड़ा। जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने इस मामले को सदन में उठाया। इसके बाद हरकत में आई सरकार ने 26 अधिकारियों को चार्जशीट दे दी।जवाब आने पर सात अधिकारी बरी हो गए हैं। अभी इस मामले 14 अधिकारी-कर्मचारी कार्रवाई की जद में हैं।

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