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शुक्रवार को अखिल भारतीय किसान सभा गौतम बुद्ध नगर ने केंद्र सरकार द्वारा कृषि अध्यादेश के विरुद्ध प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन देने पहुंचे। एक ज्ञापन प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम दिया गया। मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन में अधिग्रहण से प्रभावित किसानों की लीजबैक की कार्रवाई को शुरू करने के संबंध में मांग की गई है।
किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नेताजी ने मौजूद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए कृषि अध्यादेश किसान विरोधी हैं। आज भी देश में केवल 6% किसानों की फसलों को न्यूनतम खरीद मूल्य पर खरीदा जाता है। जबकि 94% किसान खुले बाजार में मामूली कीमत पर अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं। इस तथ्य के बावजूद न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को खत्म किया जाना आजादी के बाद सबसे बड़ा किसान विरोधी कदम है।
किसान सभा के उपाध्यक्ष वीरसेन नागर ने संबोधित करते हुए मांग की कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को लीगल बनाया जाए। जो भी व्यापारी घोषित समर्थन मूल्य से कम दाम पर फसल की खरीद करे, तो उसके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई करने के प्रावधान किए जाएं।
किसान सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ब्रहम सिंह नागर ने आवश्यक वस्तु अधिनियम जिसमें खाद्यान्न तिलहन दलहन को बाहर करते हुए जमाखोरी कालाबाजारी को कानूनी बनाने का काम किया है। उसको वापस लेने की मांग करते हुए कहा आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन से किसानों की कमर टूट जाएगी। बिचौलिए खाद्य प्रसंस्करण कंपनियां मुनाफाखोरी के लिए गरीब किसानों की कमर तोड़ देंगी। साथ ही सरकार द्वारा खाद्यान्न की खरीद खत्म कर दी जाएगी।
सीआईटीयू के जिला अध्यक्ष गंगेश्वर दत्त शर्मा ने किसान मजदूर विरोधी कानूनों का विरोध करते हुए कहा है कि मोदी सरकार पूंजीपतियों के हित में काम कर रही है। किसानों व मजदूरों को बाजार के भरोसे छोड़ने का काम किया जा रहा है। दोनों वर्गों की सुरक्षा के लिए बने कानून खत्म किए जा रहे हैं। बाजारी शक्तियों के पूरी तरह निरंकुश होने पर किसानों की उनकी फसलों के दाम नहीं मिलेंगे। मजदूरों को फैक्ट्रियों में न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलेगा।
ज्ञापन देने के दौरान करण सिंह सैनी, महेश गुर्जर खैरपुर, चमन मास्टर जी, ब्रह्मपाल सूबेदार, गजेंद्र खारी, एडवोकेट महासचिव हरेंद्र खारी, अजब सिंह नागर, जगबीर नंबरदार, सलमू सैफी, देवपाल अवाना, विनोद भाटी एडवोकेट, ज्ञानू पंडित जी, मुकेश अनमोल, महेंद्र नागर सैनी, भरत डेंजर और जयदीप अवाना एडवोकेट आदि मौजूद रहे।