महिलाओं को अपनी आधी योग्यता साबित करने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है: अंजुली चंद्रा

महिलाओं को अपनी आधी योग्यता साबित करने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है: अंजुली चंद्रा

महिलाओं को अपनी आधी योग्यता साबित करने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है: अंजुली चंद्रा

Tricity Today | अंजुली चंद्रा

ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सो मार्ट सेंटर में चल रही इलेक्रॉमा प्रदर्शनी में बिजली क्षेत्र की एक अनुभवी उद्यमी अंजुली चंद्रा ने कहा कि महिलाओं को अपनी आधी योग्यता साबित करने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है। जब उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लिया था, तब वह वहां आने वाली एकमात्र महिला थीं। कॉलेज भी ऐसा, जिसमें महिलाओं के लिए बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं थीं।

पीएसईआरसीई की सदस्य अंजुली चंद्रा ने कहा कि मुझे अनिच्छा से प्रिंसिपल के वशरूम का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। ‘इलेक्रामा-2020 में आयोजित महिला सशक्तिकरण की पहल ‘वूमैन एम्पावर‘ पर चर्चा के दौरान उन्होंने यह बात कहीं। 

उन्होंने कहा कि यह एकमात्र चुनौती नहीं थी, जिसका सामना उन्हें 40 साल के अपने प्रतिष्ठित कॅरियर में करना पड़ा था। उन्होंने कहा, कि मेरे कॅरियर के दौरान एक समय ऐसा भी आया, जब घाटी में आतंकवादी गतिविधियों के कारण कश्मीर की स्थिति अस्थिर और खतरनाक थी। उस समय, पूरे देश में एपीडीआरपी योजना शुरू की गई थी और इसे जम्मू-कश्मीर में लागू किया जाना था, जिसके लिए कोई भी संगठन जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता था। 

आखिरकार इसे केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को आवंटित कर दिया गया। मेरे अफिस का कोई भी आदमी जाना नहीं चाहता था। डिप्टी डायरेक्टर होने के बावजूद, मैं कश्मीर जाने और काम पूरा करने के लिए तैयार हो गई। इस दौरान  वूमैन एम्पावर पहल के दौरान देश की पहली इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ए ललिता को इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके जबरदस्त योगदान के लिए श्रद्घांजलि अर्पित की गई। साथ ही, दोबार नोबेल पुरस्कार विजेता मैडम क्यूरी को भी दुनिया को प्रेरणा देने के लिए श्रद्घांजलि दी गई। 

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