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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को कहा कि उन्होंने राज्य के राज्यपाल कलराज मिश्र के व्यवहार के बारे में जानकारी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है। दरअसल अशोक गहलोत अपना बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहते हैं। दूसरी ओर राज्यपाल इस पर कोई शपथ निर्णय नहीं ले रहे हैं।
अशोक गहलोत ने फेयरमोंट होटल से बाहर निकलते हुए कहा, "मैंने कल (रविवार को) प्रधानमंत्री के साथ बात की थी और उन्हें राज्यपाल के व्यवहार के बारे में बताया था। मैंने उनसे सात दिन पहले लिखे पत्र के बारे में बात की थी।" इससे पहले दिन में कांग्रेस विधायकों ने "लोकतंत्र बचाओ-संविधान बचाओ" कार्यक्रम के तहत होटल परिसर में प्रार्थना सभा का आयोजन किया था। जिसमें गहलोत और पार्टी के अन्य नेताओं ने भाग लिया था।
राज्य के राजनीतिक संकट में फंसने के बाद कांग्रेस विधायक करीब दो सप्ताह से होटल में ठहरे हुए हैं, क्योंकि सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। दूसरी ओर राजस्थान के गवर्नर कलराज मिश्रा ने सोमवार को विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव के बारे में राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
"राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा ने विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। मिश्रा ने सरकार से पूछा है कि क्या आप मोशन ऑफ कॉन्फिडेंस को आगे बढ़ाना चाहते हैं? इस प्रस्ताव में इसका उल्लेख नहीं है। लेकिन मीडिया में इसके बारे में आप बोल रहे हैं।"
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मिश्रा ने यह भी कहा कि COVID-19 महामारी के मद्देनजर विधानसभा सत्र के लिए सभी विधायकों को बुलाना मुश्किल होगा। गवर्नर की ओर से पूछे गए स्पष्टीकरण में लिखा गया है, "क्या आप विधानसभा सत्र बुलाने पर 21 दिन का नोटिस दे सकते हैं?" इससे पहले दिन में विधानसभा सत्र पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
राजस्थान में सत्ता संघर्ष ने एक नया मोड़ ले लिया था। जब राज्यपाल ने कांग्रेस सरकार के अनुरोध पर राज्य विधानसभा के सत्र को तत्काल बुलाने का अनुरोध स्वीकार नहीं किया था। इससे पहले राजस्थान के राज्यपाल सचिवालय ने कहा था कि राज्य सरकार ने 23 जुलाई की रात को विधानसभा के सत्र को बहुत ही कम समय में बुलाने का प्रस्ताव पेश किया था। उनके कागज का विश्लेषण किया गया था और कानूनी विशेषज्ञों से इस पर परामर्श लिया गया था।
राजभवन की ओर से यह कहा गया कि सामान्य प्रक्रियाओं के अनुसार सत्र बुलाने के लिए 21 दिवसीय नोटिस की आवश्यकता है। कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह गहलोत सरकार को गिराने में लिप्त है। भाजपा ने आरोपों को खारिज किया है। इस बीच सोमवार की सुबह नहीं घटनाक्रम में राजस्थान के स्पीकर सीपी जोशी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका को वापस ले लिया गया है। इस याचिका के जरिए स्पीकर ने राजस्थान हाईकोर्ट के अपने अधिकार क्षेत्र में दखलअंदाजी करने के लिए याचिका दायर की थी।