Google Image | प्रतीकात्मक फोटो
शाहबेरी में अवैध निर्माण को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही जांच के मामले में सोमवार को एक नया मामला सामने आया है। शाहबेरी के खरीदार और एक बैंक मैनेजर की बातचीत की ऑडियो वायरल हुई है। जिसमें बैंक मैनेजर कह रहा है कि शाहबेरी में होम लोन के लिए नक्शे की कोई आवश्यकता नहीं है और यह किसी भी अथॉरिटी के क्षेत्र में नहीं आता है।
शाहबेरी के पीड़ित खरीदार अभिनव खरे और जीआईसी बैंक मैनेजर की बातचीत में यह नया खुलासा हुआ है। अभिनव खरे ने बताया कि बातचीत की ऑडियो में बैंक मैनेजर ने कबूला किया है उसके पास कोई नक्शा नहीं है और न ही उसने लिया है। बैंक मैनेजर ने ये भी कहा कि शाहबेरी में होम लोन के लिए नक्शे की जरूरत ही नहीं है। बैंक मैनेजर ने यह भी कहा कि शाहबेरी किसी भी अथॉरिटी के क्षेत्र में नहीं आती। बैंक मैनेजर ने ये भी बोला कि चुनाव आने वाले हैं इसलिए इस मुद्दे को उछाला जा रहा है, बाद में सब मैनेज हो जाएगा और गारंटी भी ली।
उन्होंने बताया कि इस ऑडियो में बैंक मैनेजर ने कहा कि हमने होम लोन लीगल और आर्किटेक्ट की रिपोर्ट के आधार पर दिया है। लेकिन जब लीगल और आर्किटेक्ट की रिपोर्ट मांगी तो मैनेजर ने देने से मना कर दिया।
शाहबेरी के खरीदार अभिनव खरे और सचिन राघव ने बताया कि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण का गठन 1991 में हुआ था और 21-02-1994 को शाहबेरी ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में आ चुका था। औद्योगिक विकास अधिनियम -1976 की धारा 9 के अनुसार अधिसूचित क्षेत्र में आने के बाद ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की बिना अनुमति निर्माण नहीं हो सकता था। 2013 से शाहबेरी में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया लंबित है और भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 4 व 6 की कार्यवाही हो चुकी है। शाहबेरी के जमीन मालिकों ने भूमि अधिग्रहण रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय इलाहाबाद में 25 याचिकाएं दाखिल की थी। जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार, कलेक्टर गौतमबुद्ध नगर, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी पक्षकार हैं। उन याचिकाओं पर 2014 को उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने सभी पक्षकारों को शाहबेरी में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था जो अभी भी लागू है।
अभिनव खरे ने बताया कि बैंकों ने आरबीआई के नियमों का उल्लंघन करके बिल्डरों से सांठगांठ कर शाहबेरी की जनता को फंसाया है। 80 खरीदारों की 20 शिकायतें दिए हुए 10 महीने से ज्यादा हो गए। लेकिन अभी तक पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। पुलिस ने नवंबर 2019 में सभी बैंकों को नोटिस दिए थे और सभी बैंकों से जबाब भी आ गया। जिसमें सब जबाब गुमराह करने वाले और झूठे थे, इसके बाबजूद पुलिस ने 7 महीनों में बैंकों पर कोई कार्यवाही नहीं की।
उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि खरीदारों की एफआईआर दर्ज की जाए और पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई एवं ईडी से कराई जाए। अवैध निर्माण के समय तैनात रहे जिलाधिकारी, दादरी रजिस्ट्रार , विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ, एसीईओ, सीनियर मैनेजर, मैनेजर, इंजीनियर आदि तथा नोएडा पुलिस के बिसरख थाना क्षेत्र में तैनात रहे पुलिसकर्मियों पर पर भी कार्रवाई की मांग की गई है। साथ ही शाहबेरी के अवैध घरों के बदले सुरक्षित घर देने की गुहार लगाई है।