ट्राईसिटी टुडे इम्पैक्ट: शाहबेरी में प्राधिकरण ने अवैध निर्माण गिराया, बिल्डरों पर कार्रवाई होगी

ट्राईसिटी टुडे इम्पैक्ट: शाहबेरी में प्राधिकरण ने अवैध निर्माण गिराया, बिल्डरों पर कार्रवाई होगी

ट्राईसिटी टुडे इम्पैक्ट: शाहबेरी में प्राधिकरण ने अवैध निर्माण गिराया, बिल्डरों पर कार्रवाई होगी

Tricity Today | ट्राईसिटी टुडे इम्पैक्ट

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी गांव में रोक के बावजूद अवैध निर्माण शुरू हो गया। लॉकडाउन का फायदा उठाते हुए लोगों ने अवैध निर्माण कर लिया। वहां बिल्डरों ने दोबारा फ्लैटों की खरीद-फरोख्त शुरू कर दी और रजिस्ट्री शुरू हो गई थीं। जिस पर ट्राइसिटी टुडे ने 7 जून को विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी। अब गुरुवार को ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के दस्ते ने अवैध निर्माण को गिरा दिया है। पहले गिराई गईं दीवारों को दोबारा बना लिया गया था। अब एकबार फिर गिराया गया है। 

कुछ दुकानों में शटर लगा दिए गए थे। उन शटर को भी तोड़ा गया है। प्राधिकरण का कहना है कि अवैध निर्माण करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। शाहबेरी में जुलाई 2018 में दो इमारत गिर गई थीं। इसमें 9 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद यहां की इमारतों को लेकर खूब बवाल मचा था। प्राधिकरण के क्षेत्र में इतना बड़ा निर्माण कार्य हो गया और किसी ने कार्रवाई नहीं की। इसके बाद दिल्ली आईआईटी से इन इमारतों का ऑडिट कराया गया ताकि प्रभावी कार्रवाई हो सके। लेकिन अभी तक बहुत प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है।

अब लॉकडाउन के बीच यहां पर फिर अवैध निर्माण शुरू हो गया। यहां बने अवैध फ्लैट्स की एक बार फिर खरीद-फरोख्त शुरू कर दी गई। बिल्डर सक्रिय हो गए। ऐसे मामले भी पता चले, जिनमें बिल्डरों ने फ्लैट की रजिस्ट्री की हैं। इस पर ट्राइसिटी टुडे ने 7 जून को विस्तृत समाचार प्रकाशित किया था। अब गुरुवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की टीम ने शाहबेरी में खसरा नंबर 60 पर बिल्डिंग स्ट्रक्चर नंबर 966 पर बुल्डोजर चला दिया। यहां जिंदल इन्फ्राटेक और सिटी प्लाजा में फिर से निर्माण शुरू हो गया था। प्राधिकरण ने पहले जिन दीवारों को तोड़ा था, वहां फिर से दीवार बना दी गई थीं। 

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने जेसीबी के जरिए इन दीवारों को फिर से तोड़ दिया गया है। साथ ही वहां रखे गए सामान को हटाया गया है। यहां कुछ दुकानों में शटर लगा दिए गए थे। जिन्हें तोड़ दिया गया है। प्राधिकरण का कहना है कि अगर कोई यहां पर निर्माण करता है तो कार्रवाई की जाएगी।

प्राधिकरण की कार्रवाई पर सवाल उठे
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की इस कार्रवाई पर वहां के लोगों ने सवाल उठाए हैं। खरीदारों के मुद्दे उठा रहे सचिन राघव ने बताया कि जिस बिल्डिंग पर तोड़फोड़ की गई, वे आईआईटी दिल्ली की रिपोर्ट के अनुसार खतरनाक श्रेणी में नहीं हैं। इसके बावजूद यह कार्रवाई की गई है। अवैध निर्माण और यहां की रजिस्ट्री पर रोक नहीं लगाई जा रही है। खाली इमारतों तक को सील नहीं किया गया है। आरोप लगाया कि प्राधिकरण ने इस पूरे गोरखधंधे के लिए जिम्मेदार अपने जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की।

शाहबेरी की इमारतों की मियाद 10 साल
शाहबेरी में बनी इमारतों की मियाद महज 5 से 10 साल ही है। इसका खुलासा आईटीआई दिल्ली ने शाहबेरी की बिल्डिंगों के सुरक्षा ऑडिट में किया है। इसमें सिर्फ तीन बिल्डिंग सुरक्षित हैं। शेष इमारतों में विस्तृत विश्लेषण की आवश्यकता है। शाहबेरी में 11 कमर्शियल और 426 आवासीय इमारतें बनी हुई हैं।

आईटीआई दिल्ली ने शाहबेरी में बिल्डिंगों को 4 श्रेणियों में बांटा है। पहली श्रेणी में तीन बिल्डिंगों को सुरक्षित बताया गया है। दूसरी श्रेणी में कोई बिल्डिंग नहीं ली गई है। तीसरी श्रेणी में शामिल 434 बिल्डिंगों को विस्तृत विश्लेषण की आवश्यकता बताई गई है। जबकि, चौथी श्रेणी में कोई इमारत नहीं है।

एक से डेढ़ मीटर तक निकले हैं छज्जे
शाहबेरी निवासी सचिन राघव की ओर से फ़ाइल की गई आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि अधिकतर बिल्डिंगों में एक से डेढ़ मीटर तक के छज्जे निकाल रखे हैं। जिन पर बाथरूम बनाए गए हैं। पहली नजर में इमारत के लिहाज से कॉलम का साइज छोटा पाया गया है। बहुत सी बिल्डिंग में कॉलम के बीच की दूरी 6 मीटर है, जो अधिक है। शाहबेरी की अवैध इमारतें भूकंप अजुत तेज बारिश आदि झेलने में सक्षम नहीं है। प्रत्येक बिल्डिंग का अलग समरसेबल है। आईटीआईदिल्ली ने अपनी रिपोर्ट में भी यही कहा है कि सभी बिल्डिंग में बोरवेल से पानी निकाला जा रहा है। जो बिल्डिंगों की नींव को कमजोर करने का कारण बन रहे हैं।

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