जेवर एयरपोर्ट को जमीन देने वाले किसानों के साथ अन्याय न करे प्राधिकरण, धीरेंद्र सिंह ने सीईओ को पत्र लिखा

जेवर एयरपोर्ट को जमीन देने वाले किसानों के साथ अन्याय न करे प्राधिकरण, धीरेंद्र सिंह ने सीईओ को पत्र लिखा

जेवर एयरपोर्ट को जमीन देने वाले किसानों के साथ अन्याय न करे प्राधिकरण, धीरेंद्र सिंह ने सीईओ को पत्र लिखा

Tricity Today | MLA Dhirendra Singh with CEO Dr. Arunvir Singh

विधायक ने यमुना प्राधिकरण के सीईओ को पत्र लिख कर कहा, किसानों से किए गए वादे पूरे करेंgangaकिसानों को आबादी की 50 प्रतिशत जमीन विकसित करके दी जाए, विस्थापन पर काम शुरू नहीं हो रहा

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर के प्रभावित किसानों के पुनर्वास में वादों के मुताबिक सुविधाएं नहीं मिलने की बात सामने आई है। जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह ने इसको लेकर यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र लिखा है। विधायक ने कहा कि किसानों को गांवों में उनकी मौजूदा आबादी का 50 प्रतिशत क्षेत्रफल वाला भूखंड देने का वायदा किया गया था। अब आच्छादित क्षेत्र का 50 प्रतिशत देने की बात हो रही है। यह किसानों के साथ अन्याय है।

जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह ने यमुना प्राधिकरण के सीईओ को लिखे पत्र में बताया कि अगस्त 2018 में 6 गांवों के किसानों एयरपोर्ट के लिए जमीन देने पर सहमति नहीं दे रहे थे। इसके बाद जेवर एयरपोर्ट को राजस्थान या हरियाणा राज्यों में शिफ्ट करने के कयास लगाए जाने लगे थे। इसके बाद वह जेवर एयरपोर्ट के लिए चिन्हित की गई जमीन वाले 6 गांवों के किसानों के घर-घर गए। उनसे वादे किए थे। किसानों से सहमति लेने के लिए कई वादे किए गए थे।

धीरेंद्र सिंह ने कहा, इसमें एक वादा यह भी था कि किसान जमीन अधिग्रहण के बदले में मिलने वाले मुआवजे से जमीन खरीदते हैं तो उन किसानों को स्टांप शुल्क में छूट दी जाएगी। इसके अलावा शिफ्ट होने वाले किसानों को उनकी मौजूदा आबादी की 50 प्रतिशत जमीन विकसित करके दी जाएगी। विधायक ने बताया कि अब पता चला है कि किसानों की आबादी के आच्छादित क्षेत्र की 50 प्रतिशत जमीन ही दी जाएगी। यह प्रस्ताव शासन के पास भेज दिया गया है।

विधायक ने कहा कि यह जेवर एयरपोर्ट के लिए खुशी-खुशी जमीन देने वाले किसानों के साथ वादा खिलाफी है। गांवों में अगर जाकर देखेंगे तो किसानों के घर छोटे होते हैं और घरों चारों ओर खाली अहाते बड़े-बड़े होते हैं। ऐसे में 1,000 मीटर के घर में आच्छादित भवन का क्षेत्रफल बमुश्किल 250 मीटर होता है। जिस फार्मूले पर पुनर्वास की बात कही जा रही है, उसके मुताबिक ऐसे किसान को केवल 125 वर्ग मीटर आवासीय भूमि टाउनशिप में दी जाएगी। मतलब, वह अब तक अगर 1,000 वर्ग मीटर के घर में रह रहा था तो अब उसे केवल 125 वर्ग मीटर के घर में रहना पड़ेगा। यह किसानों के लिए बड़ा कष्टकारी होगा।

विधायक के पास गांवों के किसान रोजाना शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। रोही गांव के प्रधान भगवान सिंह का कहना है कि किसानों ने विधायक के कहने पर जमीन दी थी। किसान कभी सरकार, विकास प्राधिकरण और जिला प्रशासन पर भरोसा नहीं करते। विधायक ने आश्वासन दिया था कि उन्हें आबादी की जमीन का 50 फीसदी क्षेत्रफल वाला प्लॉट दिया जाएगा। मकान की कीमत मिलेगी। अगर किसान मुआवजे के पैसे से जमीन खरीदेंगे तो केवल 100 रुपये का स्टांप पेपर लगेगा। अब इनमें से कोई वादा नहीं माना जा रहा है। इस बात से विस्थापन के समय एयरपोर्ट से प्रभावित गांवों के किसानों में आक्रोश पनप सकता है।

विधायक धीरेंद्र सिंह ने सीईओ डा. अरुणवीर सिंह से कहा कि किसानों से किए गए वादों को पूरा किया जाए। दूसरी ओर जेवर एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहीत की गई जमीन पर बसे दो गांवों का पुनर्वास किया जाना है, जिस पर काम शुरू नहीं किया जा रहा है। जिससे प्रोजेक्ट की टाइम लाइन पर असर पड़ेगा।

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