Tricity Today | Arvind Kejriwal
दिल्ली पर कोरोना वायरस का संकट हावी होता जा रहा है। हर रोज बड़ी संख्या में संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ रही है। दिल्ली सरकार के अस्पताल पूरी तरह भरे हुए हैं। दूसरी ओर प्राइवेट अस्पतालों का भी बुरा हाल है। यही वजह थी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बॉर्डर सीलिंग का आदेश जारी किया था। अब उन्होंने बॉर्डर सीलिंग का ऑर्डर तो वापस ले लिया है लेकिन ऐलान कर दिया है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में केवल दिल्ली के रहने वाले लोगों का ही इलाज किया जाएगा।
इस नए आदेश के मुताबिक अब हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के जिलों से दिल्ली पहुंचने वाले बीमार लोग दिल्ली सरकार के अस्पतालों में इलाज नहीं करवा पाएंगे। हालांकि, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि केंद्र सरकार के अस्पतालों में देशभर से आए मरीज उपचार करवा सकते हैं। मतलब, दिल्ली में केंद्र सरकार के एम्स जैसे अस्पताल देशभर के मरीजों के लिए खुले रहेंगे, लेकिन दिल्ली सरकार के अस्पताल केवल दिल्ली के निवासियों का इलाज करेंगे।
दरअसल, दिल्ली में बड़ी संख्या में लोग कोरोना वायरस से ग्रसित हो रहे हैं। अस्पतालों में इलाज को लेकर मारामारी का आलम है। बड़ी संख्या में लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। जिसके चलते दिल्ली सरकार को आलोचनाओं और विरोध का शिकार होना पड़ रहा है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों को केवल दिल्ली के निवासियों के लिए रिजर्व कर दिया है।
अरविंद केजरीवाल के इस आदेश की खासी आलोचना भी हो रही है। नोएडा, गाजियाबाद समेत एनसीआर के तमाम जिलों में लोग अरविंद केजरीवाल पर गलत फैसला लेने का आरोप लगा रहे हैं। लोगों का कहना है कि अस्पताल सभी के होते हैं और मरीज के लिए सीमाएं और राज्य का बंटवारा नहीं किया जा सकता है। बीमार कहीं का भी हो अगर उसे उपचार की जरूरत है तो मिलना ही चाहिए।
ट्विटर पर एक व्यक्ति ने लिखा है, जब 2 मुल्कों के बीच युद्ध होता है तो वहां घायल सैनिक को इलाज देने के लिए रेड क्रॉस सोसाइटी वाले यह नहीं देखते कि यह हमारे दुश्मन मुल्क का सैनिक है। यहां तो हम एक ही देश के लोग हैं। इसके बावजूद अरविंद केजरीवाल इस तरह का बंटवारा कर के आखिर क्या साबित करना चाहते हैं।