Tricity Today | नोएडा के शाहबेरी कांड पर tricity today का बड़ा खुलासा
Greater Noida West के Shahberi गांव में भू-माफिया और बिल्डरों ने मिलकर Greater Noida Authority को हजारों करोड़ रुपए का चूना लगा दिया। अवैध इमारतों का एक पूरा बड़ा शहर बसाकर खड़ा कर दिया। इन अवैध इमारतों ने 9 लोगों की जान भी ले ली। यूपी के मुख्यमंत्री Yogi Adityanath, Allahabad High Court, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण, गौतमबुद्ध नगर पुलिस और प्रशासन भी मिलकर इन बिल्डरों पर लगाम लगाने में नाकाम रहे हैं। शाहबेरी में भू-माफिया और बिल्डर बेखौफ है। अब इसे सिस्टम का फैलियर ना कहा जाए तो क्या कहा जाएगा? सवाल यह भी उठता है कि आखिर वह कौन लोग हैं, जिनकी शह पर शाहबेरी का खेल अभी भी धड़ल्ले से चल रहा है।
17 जुलाई 2018 की रात शाहबेरी में दो इमारतें जमींदोज हो गई थीं। इसके बाद पूरे देश की निगाहें इस हादसे ने अपनी और खींची। मामला खुला तो पता चला कि यह महज हादसा नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ा गोरखधंधा है। एक ऐसा अवैध गोरखधंधा, जिसमें हर कोई काली कमाई कर रहा है। बैंकों, विकास प्राधिकरण, पुलिस और प्रशासन से लेकर नेताओं तक पर उंगलियां उठीं। खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर कड़ा रुख अख्तियार किया। धड़ाधड़ मुकदमे दर्ज किए गए। गैंगस्टर एक्ट लगा। एनएसए तक की कार्यवाही करने के लिए फाइलें चलीं। कई बिल्डरों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया। इनमें बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल थीं।
आईआईटी दिल्ली ने जांच की। रिपोर्ट भी दी। पुलिस ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया। सबको लगने लगा कि शहर पर लगाया गया कोढ़ साफ हो गया है। लेकिन क्या शाहबेरी में चल रहा गोरखधंधा रुक पाया है? क्या वाकई बिल्डर भूमाफिया और उनके सर प्रश्नों का यह गोरखधंधा खत्म हो सका है? अब इस सवाल का जवाब तलाश करते हैं।
17 जुलाई 2018 को शाहबेरी में बिल्डिंग गिरने के एक साल बाद 29 जुलाई 2019 को ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी कृष्ण कुमार गुप्त ने गौतमबुद्ध नगर के तत्कालीन जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को एक चिट्ठी भेजी। (बता दें कि तब तक जिले में कमिश्नरेट सिस्टम लागू नहीं किया गया था।) इस चिट्ठी में एसीईओ ने दोनों अफसरों को बताया कि मुख्यमंत्री ने 24 जुलाई को लखनऊ में शाहबेरी प्रकरण पर एक समीक्षा बैठक की है। वहां किए गए अवैध निर्माण को लेकर कुछ खास आदेश दिए हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 16 अक्टूबर 2014 को एक आदेश के जरिए शाहबेरी क्षेत्र में यथास्थिति बनाए रखने को कहा था। इसके बावजूद यहां अवैध निर्माण किया गया है।
एसीईओ ने अपने पत्र में दो महत्वपूर्ण बातें लिखी हैं
केके गुप्त ने डीएम और एसएसपी को लिखे पत्र में वैसे तो 8 बिंदुओं की जानकारी दी है, लेकिन इनमें से आज की खबर के लिए 2 बिंदु महत्वपूर्ण हैं। पहला, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि यह अवैध निर्माण 431 बिल्डरों ने किया है। जिनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। उनके खिलाफ जिला प्रशासन ने निबंधक कार्यालय से सूची प्राप्त करके एनएसए और गैंगस्टर की कार्यवाही की है। बिल्डरों को जेल भेजा है। एफआईआर से जुड़ी सभी संपत्तियों को केस प्रॉपर्टी के रूप में जब्त और अटैच कर लिया जाए। दूसरा बिंदु है कि शाहबेरी में अब आगे कोई निर्माण और दूसरी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए। यह आदेश मुख्यमंत्री ने दिया है। इस पूरे प्रकरण में शिथिलता बरतने वाले और मिलीभगत करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की सूची मुख्यमंत्री ने मांगी है।
इस साल अब तक सैकड़ों फ्लैट बेचे जा चुके हैं और 143 रजिस्ट्री हुई हैं
मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए पहले आदेश में प्रॉपर्टी को सीज करने, आगे खरीद-फरोख्त, निर्माण और रजिस्ट्री नहीं होने देने की बात कही गई थी। शाहबेरी में बिल्डर और भूमाफिया बदस्तूर सक्रिय हैं। अगर इसी साल 01 जनवरी से लेकर 28 अगस्त तक की बात करें तो दादरी के सब रजिस्ट्रार कार्यालय में 143 रजिस्ट्री शाहबेरी में की गई हैं। यह सभी निर्मित फ्लैट, विला और प्लॉट हैं। जिनका क्षेत्रफल 45 वर्ग मीटर से 200 वर्ग मीटर तक है। बड़ी बात यह है कि यह सभी फ्लैट और विला उसी अवैध निर्माण में शामिल हैं, जिन्हें रोकने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट मुख्यमंत्री और जिले का सारा हमला लगा हुआ है। अगर शाहबेरी में इमारत गिरने की तारीख से लेकर अब तक हुई खरीद-फरोख्त और प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन का डाटा देखें तो 2,195 रजिस्ट्री हो चुकी हैं। यह पूरा डाटा ट्राइसिटी टुडे के पास उपलब्ध है। हम यहां केवल 01 जनवरी से 28 अगस्त 2020 तक हुई रजिस्ट्री का डाटा प्रकाशित कर रहे हैं।
कहां है जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों की सूची
मुख्यमंत्री ने इस समस्या के लिए विकास प्राधिकरण के जिम्मेदार और संलिप्त अधिकारियों व कर्मचारियों की सूची मांगी थी। आज तक इस मामले में जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों के नाम सामने नहीं आए हैं। विकास प्राधिकरण ने क्या जांच की और क्या निकल कर आया, इस बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री के आदेशों पर विकास प्राधिकरण की ओर से गेंद जिला प्रशासन और पुलिस के पाले में डालने की कोशिश की गई है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि विकास प्राधिकरण हमेशा अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करने के लिए इस तरह का पत्राचार करता रहता है। मुख्यमंत्री ने अवैध निर्माण को गिराने का आदेश दिया था। जिस पर आज तक विकास प्राधिकरण की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
प्राधिकरण के दो हजार करोड़ रुपए शाहबेरी में फंसे हुए हैं
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के करीब 2,000 करोड रुपए शाहबेरी में फंसे हुए हैं। प्राधिकरण ने वर्ष 2009-10 में यह पैसा वहां की भूमि का अधिग्रहण करने के लिए काश्तकारों को बतौर मुआवजा दिया था। यह पैसा अभी तक वहां के किसानों ने विकास प्राधिकरण को वापस नहीं लौट आया है। प्राधिकरण की ओर से कई बार मुआवजा वापस लौटाने के लिए नोटिस भेजे गए हैं, लेकिन रिकवरी के लिए सही तरह से कदम नहीं उठाया गया है। दरअसल, विकास प्राधिकरण को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह छूट दी है कि वह चाहे तो यहां दोबारा भूमि का अधिग्रहण कर सकता है। ऐसे में यह विकास प्राधिकरण की जिम्मेदारी बनती थी कि शाहबेरी में अवैध निर्माण नहीं होने दिया जाए। प्राधिकरण से मुआवजा ले चुके किसानों से ही बिल्डर और भूमाफियाओं ने जमीन खरीद कर अवैध निर्माण खड़ा किया है।
फ्लैट खरीदकर धोखाधड़ी का शिकार हुए लोगों का भरोसा डगमगाया
शाहबेरी में अवैध रूप से बनाए गए फ्लैट खरीदकर फंसे हजारों खरीददार परेशान हैं। बड़ी बात यह है कि इन लोगों का विकास प्राधिकरण, पुलिस और प्रशासन से भरोसा डगमगा गया है। यह लोग चाहते हैं कि इस पूरे प्रकरण की जांच केंद्रीय एजेंसियों से करवाई जानी चाहिए। प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री, प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई से इस मामले की लगातार शिकायत कर रहे सचिन राघव का कहना है कि विकास प्राधिकरण के अधिकारी मुख्यमंत्री की बैठकों में झूठ बोलते हैं। लीपापोती करके कागज भेज देते हैं। यही वजह है कि अब तक यह गोरखधंधा बदस्तूर चल रहा है। यह संभव ही नहीं है कि प्राधिकरण अफसरों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर निर्माण कर दिया जा सके।
सचिन का कहना है मुख्यमंत्री ने जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट मांगी। जो अब तक विकास प्राधिकरण ने नहीं दी है। हम लोग विकास प्राधिकरण से लगातार पत्राचार करते हैं, कोई जवाब नहीं दिया जाता है। अब तक सीलिंग, जांच और डिमोलिशन के नाम पर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने केवल लीपापोती की है। हमारे पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं। सैकड़ों बार विकास प्राधिकरण को दस्तावेज भेजे गए हैं। प्राधिकरण ने आज तक संज्ञान भी नहीं लिया है। इससे बड़ा अंधेर खाता क्या हो सकता है कि यहां अवैध निर्माण जिन लोगों के कार्यकाल में हुआ, उनका तबादला तक नहीं किया गया है।
रेवेन्यू लॉ में हमें रजिस्ट्री रोकने का अधिकार नहीं दिया गया है : डीएम
इस पूरे प्रकरण को लेकर गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई से बातचीत की गई। पूरे मसले पर डीएम ने विस्तार से जानकारी दी है। जिलाधिकारी सुहास एलवाई का कहना है, "स्टैंप रजिस्ट्रेशन एक्ट और दूसरे राजस्व कानूनों में कहीं भी किसी संपत्ति की रजिस्ट्री रोकने का अधिकार हमें नहीं मिला हुआ है। यही वजह है कि हम चाह कर भी शाहबेरी में रजिस्ट्री नहीं रोक पा रहे हैं। वह बताते हैं कि मेरे पूर्वर्ती जिलाधिकारी ने रजिस्ट्री रोकने के लिए एक आदेश पारित किया था। जिसके खिलाफ कुछ लोगों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने तत्कालीन कलेक्टर का आदेश खारिज करते हुए जुर्माना भी लगा दिया था। यही वजह है कि शाहबेरी में रजिस्ट्री नहीं रुक पा रही हैं।" अब सवाल यही उठता है कि क्या 16 अक्टूबर 2014 को प्राधिकरण की याचिका पर शाहबेरी में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पारित किया था, वह यहां हो रही रजिस्ट्री को रोक सकता है या नहीं? इस मसले पर जिलाधिकारी जल्दी ही जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व और दूसरे कानून विदेशों से राय लेंगे।
प्राधिकरण अफसरों को अभी मुद्दे पर बात करने की फुर्सत नहीं
इस पूरे मसले पर बातचीत करने के लिए ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में जिम्मेदार अधिकारी एडिशनल चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर केके गुप्त से संपर्क करने की कोशिश की गई। चिर परिचित अंदाज में उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। उन्हें मैसेज के माध्यम से प्रकरण पर बात करने के लिए निवेदन किया गया। एसीईओ की ओर से इसका भी कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया गया है। हम उनकी ओर से जवाब आने का इंतजार कर रहे हैं। इस पूरे मामले पर अब तक पुलिस की ओर से की गई छानबीन और भूमाफिया-बिल्डर पर लिए गए एक्शन के बारे में गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट से विस्तृत जानकारी मांगी गई है। जिसके मिलने में कुछ समय लग सकता है। जैसे ही पुलिस कमिश्नरेट की ओर से सूचनाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी, उसके बारे में हम अलग से समाचार प्रकाशित करेंगे।