BIG NEWS: बाइक बोट घोटाले में पांच जिलों में छापे, 178 बाइक बरामद

BIG NEWS: बाइक बोट घोटाले में पांच जिलों में छापे, 178 बाइक बरामद

BIG NEWS: बाइक बोट घोटाले में पांच जिलों में छापे, 178 बाइक बरामद

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में हुए हजारों करोड रुपए के बाइक बोट घोटाले में सोमवार को आर्थिक अपराध शाखा ने 5 जिलों में ताबड़तोड़ छापेमारी की हैं। आर्थिक अपराध शाखा ने 178 बाइक बरामद की हैं। जैसे-जैसे बाइक बोट घोटाले में जांच आगे बढ़ रही है, उसके साथ नए-नए खुलासे हो रहे हैं। सोमवार को मेरठ जोन के 5 जिलों में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की टीम ने छापेमारी की है। 

प्रशाखा से मिली जानकारी के मुताबिक इस छापेमारी में मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और बागपत में करीब 30 स्थानों पर छापे पड़े हैं। आर्थिक अपराध शाखा की टीम ने  इन सभी स्थानों से कुल 178 बाइक बरामद की हैं। ये सभी बाइक गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स के नाम पर रजिस्टर्ड हैं।

ईओडब्ल्यू की मेरठ सेक्टर की 5 टीमों ने एक साथ पांच जिलों में छापेमारी की है। इस छापेमारी में भारी मात्रा में गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स के नाम पर रजिस्टर बाइक बरामद की गई हैं। आर्थिक अपराध शाखा ने बताया कि मुजफ्फरनगर से 50, गाजियाबाद से 72, हापुड़ से 22, मेरठ से 21 और बागपत से 13 बाइक बरामद की गई हैं। 1,500 करोड़ रुपये से अधिक के इस बाइक बोट घोटाले की जांच अब सीबीआई कर रही है।

बाइक बोट कंपनी का मालिक संजय भाटी फ्रॉड करने वालों का रोल मॉडल बन चुका था। उससे प्रभावित होकर कई अन्य लोगों ने भी ऐसी कंपनी बनाकर फ्रॉड किया। इनमें से नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 3 कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो चुकी हैं। इनके निवेशक अपनी रकम वापस पाने के लिए थानों के चक्कर काट रहे हैं। कहा जा रहा है कि मामला सीबीआई के पास जाने के बाद अब इस केस में कई अन्य बड़े चेहरे भी बेनकाब हो सकते हैं।

क्या है पूरा मामला?
साल 1998 में काशीपुर (उत्तराखंड) से कैमिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर चुके संजय भाटी ने जनवरी 2010 में गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड कंपनी खोली थी। वर्ष 2017 में बाइक बोट के नाम से स्कीम शुरू की। इसमें एक बाइक पर 62100 रुपये निवेश करने पर एक साल में 1 लाख 17 हजार 180 रुपये मासिक किस्तों में लौटाए जाने की योजना थी। बाइक बोट स्कीम लॉन्च होने के कुछ ही दिनों में यूपी के अलग-अलग जिलों से होती हुई राजस्थान, गुड़गांव, रोहतक, पानीपत, पंजाब, मध्य प्रदेश, इंदौर, महाराष्ट्र और उत्तराखंड तक फैल गई।

संजय भाटी की बोगस स्कीम में देशभर से कई लाख लोगों ने हजारों करोड़ रुपए का निवेश किया था। शुरुआत में इस कंपनी ने लोगों को मोटी रकम वापस लौटाई। जिससे लोगों का भरोसा जम गया। जैसे-जैसे कंपनी का कारोबार फैलता गया उसके साथी धोखाधड़ी का धंधा भी शुरू हो गया। लोगों को पैसा लौटाना वापस बंद कर दिया गया। कम्पनी के जोनल और रीजनल हैड भूमिगत हो गए। लोग बाइक बोट के अधिकारियों को ढूंढते हुए घूमने लगे। बहुत सारे लोगों ने अपने घर, जमीन, जायदाद, गहने और एफडी बेचकर बाइक बोट में निवेश किया था।

एक के बाद एक सैकड़ों की संख्या में लोग नोएडा और ग्रेटर नोएडा में पुलिस से शिकायतें करने लगे। शुरुआत में इस पूरे मामले पर पुलिस ने चुप्पी साधे रखी। अंततः मामले अदालतों में जाने लगे। अदालतों ने सीआरपीसी 156 (3) के तहत कंपनी के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने का आदेश दिया। इसके बाद पुलिस ने पूरे घोटाले में जांच शुरू की। जांच शुरू होते ही ग्रेटर नोएडा पुलिस के हाथ बड़ा घोटाला लगा। गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने संजय भाटी समेत कंपनी के 14 निदेशकों और बड़े पदों पर बैठे लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा।

इसके बाद गौतमबुद्ध नगर के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने इस मामले को सीबीआई ट्रांसफर करने की मांग की। एसएसपी की मांग पर उत्तर प्रदेश सरकार ने बाइक बोट घोटाले की जांच सीबीआई भेज दी। हालांकि, इस मामले में गौतमबुद्ध नगर पुलिस की ओर से संजय भाटी समेत 14 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। अब सीबीआई, ईडी और आर्थिक अपराध शाखा ने अपने स्तर पर नए सिरे से जांच शुरू की है।

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