Yamuna Authority पहुंची सीबीआई, दो घंटे तक फाइल खंगाली और जानकारी जुटाई

Yamuna Authority पहुंची सीबीआई, दो घंटे तक फाइल खंगाली और जानकारी जुटाई

Yamuna Authority पहुंची सीबीआई, दो घंटे तक फाइल खंगाली और जानकारी जुटाई

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदकर किए गए 126 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के लिए सोमवार को CBI की टीम Yamuna Authority के कार्यालय ग्रेटर नोएडा पहुंची। टीम ने किसानों से सीधे जमीन खरीदने और अधिग्रहण से जमीन लेने को लेकर भूलेख विभाग से जानकारी जुटाई। साथ ही जमीन के भुगतान की प्रक्रिया को लेकर भी जांच पड़ताल की। टीम करीब 2 घंटे तक रही। सीबीआई की टीम आने से दफ्तर में गहमागहमी का माहौल रहा।

यमुना प्राधिकरण में 2014 में नियमों को ताक पर रखकर मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदी गई। प्राधिकरण की आंतिरक जांच के बाद इस मामले को सरकार ने सीबीआई को दे दिया। सीबीआई इसकी जांच कर रही है। बताया जाता है कि इस सिलसिले में सोमवार सुबह करीब 11 बजे  सीबीबाई की टीम यमुना प्राधिकरण के कार्यालय पहुंची। टीम सीधे भू लेख विभाग पहुंची। दरअसल टीम को जमीन खरीद को लेकर जानकारी जुटानी थी। टीम ने यह जानने की कोशिश की कि किसानों से सीधे किस तरह जमीन खरीदी जाती है और अधिग्रहण करके किस तरह जमीन ली जाती है। टीम ने भूलेख विभाग में कागजात की जांच की। इसके अलावा जमीन खरीद का भुगतान किस तरह से किया गया। सीबीआई टीम को ऐसे दर्जनों सवालों के जवाब की तलाश थी। करीब दो घंटे बाद सीबीआई की टीम यहां से निकल गई।

सीधे जमीन खरीदकर दिया गया लाभ

इस जमीन घोटाले में सीधे जमीन खरीदकर फायदा पहुंचाया गया। सीधे जमीन खरीद में एक दर तय कर दी जाती है। जबकि, भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत किया जाता है। इस मामले को भी सीबीबाई देख रही है। इन बिंदुओं से भी आरोपियों पर शिकंजा कस सकता है।

इस तरह गांवों में खरीदी गई जमीन

2014 में मथुरा के सात गांवों मादौर, सेउपट्टी बांगर, सेउपट्टी खादर, कौलाना बांगर, कौलाना खादर, सौतीपुरा बांगर व नौहझील बांगर में 57.15 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई थी। इस जमीन पर प्राधिकरण की कोई परियोजना प्रस्तावित नहीं थी। यह जमीन मास्टर प्लान से बाहर थी। अब भी यह जमीन खाली पड़ी है। इस जमीन खरीद से प्राधिकरण को करीब 126 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह जमीन उस समय की मुआवजे की तय दर से अधिक कीमत पर खरीदी गई थी। उस समय मुआवजा दर 693 से लेकर 1021 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी। जबकि जमीन 768 रुपये से लेकर 2268 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर पर खरीदी गई थी।

विकास प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार ने इसकी जांच सीबीआई से कराने के लिए प्रदेश सरकार को पत्र लिखा था। सरकार की सिफारिश पर गत वर्ष सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू कर दी थी।

किसानों से जमीन खरीदने 3-4 माह बाद प्राधिकरण ने खरीदा था
प्राधिकरण की जांच रिपोर्ट बताती है कि जिन लोगों से प्राधिकरण ने जमीन खरीदी उन्होंने किसानों से तीन से चार माह पहले ही खरीदी थी। यानी सब कुछ पहले से तय कर लिया गया था। इस जमीन को खरीदने का कारण बाजना- नौहझील पर रैंप बनवाने और किसानों को सात फीसदी भूखंड आवंटित करना बताया गया।

पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता अभी जेल में हैं

यमुना प्राधिकरण ने आंतिरक जांच कराने के बाद इसमें मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता जेल में हैं। जबकि तहसीलदार समेत 11-12 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। सीबीआई के शिकंजे एक-दो आरोपी आ चुके हैं। सीबीआई की जांच के बाद कई और गिरफ्तारी हो सकती हैं। इस मामले में 19 कंपनियों पर भी मुकदमा दर्ज है। सोमवार को इसको लेकर प्राधिकरण में भी गहमागहमी रही।

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