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Central Board of Secondary Education (CBSE) : इस बार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) अपनी मार्कशीट और सर्टिफिकेट में बड़े बदलाव करने जा रहा है। दसवीं और बारहवीं के इन शैक्षणिक प्रमाण पत्रों पर इसी साल से यह बदलाव नजर आएंगे। इससे दस्तावेज सुरक्षित हो जाएंगे। नकल करने और जालसाजी की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी।
सीबीएसई (CBSE )से मिली जानकारी के मुताबिक अब मार्कशीट और सर्टिफिकेट पर स्कूल प्रिंसिपल के डिजिटल हस्ताक्षर होंगे। इसके लिए सीबीएसई ने देशभर के सभी स्कूल प्रिंसिपल से डिजिटल सिग्नेचर देने को कहा है। सभी ने हस्ताक्षर बोर्ड को भेज दिए हैं। इसकी शुरुआत बोर्ड ने 9वीं और 11वीं के रजिस्ट्रेशन से की है। 10वीं और 12वीं के एलओसी (लिस्ट ऑफ कैंडिडेट) भरने के लिए भी डिजिटल सिग्नेचर प्रयोग किए जाएंगे।
आपको बता दें कि सीबीएसई ने पहली बार सभी स्कूल प्राचार्य के डिजिटल सिग्नेचर मंगवाए हैं। सीबीएसई के अधिकारीयों ने बताया कि इस हस्ताक्षर का इस्तेमाल बोर्ड के अलावा स्कूल गतिविधियों में भी किया जायेगा। प्रिंसिपल के सिग्नेचर को बोर्ड के साथ स्कूल रिकॉर्ड में रखा जायेगा। जब जरूरत होगी तो हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया जा सके। बोर्ड का कहना है कि इससे समय की बचत होगी। अभी तक स्कूलों में सभी कामकाज के लिए सिग्नेचर वाली मुहर का इस्तेमाल किया जाता है।
इस व्यवस्था के यह फायदे होंगे
सीबीएसई के कोऑर्डिनेटर ने कहा, 'अब प्राचार्य के डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया जायेगा। इसके लिए बोर्ड ने सभी प्राचार्य से डिजिटल सिग्नेचर मांगा है।इससे स्कूल के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कार्यों में सुविधा होगी।' उन्होंने कहा, अब प्राचार्य के सिग्नेचर के लिए छात्रों को इंतजार नहीं करना पड़ेगा। मार्क्स वेरिफिकेशन और प्रमाणपत्र वेरिफिकेशन का काम जल्दी होगा। बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय और स्कूल के बीच होने वाले सारे काम में तेजी आयेगी। प्राचार्य के डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल स्कूल स्टाफ द्वारा किया जा सकेगा। प्राचार्य के स्कूल में उपलब्ध नहीं होने पर भी छात्र का काम आसानी से हो जायेगा।
स्कूलों में फर्जीवाड़ा रोकने की कोशिश
अब स्कूल प्रिंसिपल का फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। बोर्ड में फर्जीवाड़ा आसानी से पकड़ा जा सकेगा। बोर्ड की मानें तो आए दिन स्कूल बिना किसी सूचना के स्कूल मैनेजमेंट प्रिंसिपल को बदल देते हैं। अब प्रिंसिपल को बदलने से पहले स्कूल प्रशासन पहले बोर्ड को इसकी जानकारी देंगे। इससे बोर्ड के पास किस स्कूल में कौन प्राचार्य है, इसकी पूरी जानकारी रहेगी।