इस बार क्यों टूट गया ब्रिटेन वालों और 300 साल पुराने इस कब्रिस्तान का कनेक्शन

Christmas Special: इस बार क्यों टूट गया ब्रिटेन वालों और 300 साल पुराने इस कब्रिस्तान का कनेक्शन

इस बार क्यों टूट गया ब्रिटेन वालों और 300 साल पुराने इस कब्रिस्तान का कनेक्शन

Tricity Today | 300 साल पुराना ये कब्रिस्तान ऐतिहासिक है।

- प्रदेश के सबसे पुराने कब्रिस्तान में क्रिसमस से फरवरी तक अपनों की तलाश करने आते हैं विदेशी नागरिक
- 1773 से 1856 तक कब्रिस्तान में दफन हुए 704 लोगों को क्यों तलाश करते हैं ब्रिटेन के नागरिक


Kanpur: क्रिसमस पर इस बार प्रदेश में मौजूद 300 साल पुराने कब्रिस्तान से ब्रिटेन वासियों का कनेक्शन टूट गया है। प्रदेश के सबसे पुराने माने जाने वाले इस कब्रिस्तान में 25 दिसंबर से फरवरी महीने तक विदेशी नागरिक अपने पूर्वजों की तलाश करने आते थे। सन 1773 में बने इस कब्रिस्तान में 704 लोग दफन है। कब्रिस्तान में अंतिम कब्र सन 1856 में तैयार की गई थी।

पुरातत्व विभाग के अनुसार कानपुर का कचहरी कब्रिस्तान उस समय का माना जाता है जब अवध के नवाब से सन 1765 ईसवी में हुए अनुबंध के बाद यूरोपियन पलटन कानपुर आई थी। उस वक्त इस स्थान को अफसरों के कब्रिस्तान के नाम से जाना गया। इसके बाद 1857 के संग्राम के बाद जब यहां बने फ्लैग स्टाफ बैरक्स यानी कचहरी लॉ कोर्ट में बदल गया तभी से इसे कचहरी कब्रिस्तान के नाम से जाना गया। इस कब्रिस्तान में विशिष्ट यूरोपियन पुरुष और महिलाएं, फौजी, अफसरों समेत ईस्ट इंडिया कंपनी के नौकरशाह, विशिष्ट व्यापारी, उनकी पत्नियां और बच्चे दफन है। कब्रिस्तान में 1773 से 1856 ईसवी तक की 704 कब्रे मौजूद है।

291 कब्र की पहचान
पुरातत्व विभाग ने अब तक यहां पर मौजूद 704 कब्र में से 291 कब्र की पहचान की है। बाकी की कब्रों की पहचान के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़े बड़े अधिकारियों और व्यापारियों की कब्रे होने की वजह से ब्रिटेन से अब भी विदेशी नागरिक यहां पर कब्रों की पहचान करने और शोध कार्य के लिए आते हैं। इनमें कई ऐसे भी विदेशी नागरिक हैं जो अपने पूर्वजों की कब्र को देखने अपने परिवार संग कब्रिस्तान में आते हैं।

महामारी का पड़ा असर
वरिष्ठ संरक्षक सहायक मनोज कुमार वर्मा ने जानकारी दी की हर वर्ष क्रिसमस से लेकर फरवरी महीने तक विदेशी नागरिक कब्रिस्तान में आते थे। विदेशी नागरिकों के आने की सूचना उनकी ओर से कब्रिस्तान प्रशासन को भी दी जाती थी। इस बार महामारी की वजह से किसी भी विदेशी नागरिक के आने की कोई सूचना नहीं आई है।

परिजनों ने बना रखा है संगठन
कब्रिस्तान पर शोध कर रहे लोगों ने जानकारी दी कि ब्रिटेन के कुछ युवाओं ने आपस में मिलकर एक संगठन भी बना रखा है। यह संगठन ऐसे परिवारों को उनके पूर्वजों के बारे में जानकारी देता है  जिनके पूर्वज यहां पर दफन है। वहां के कई ऐसे युवा अपने पूर्वजों की तलाश करते हुए कब्रिस्तान में शोध कार्य के लिए आते हैं।

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