पॉलुशन और कोरोना वायरस के कॉकटेल से दिल्ली-एनसीआर वालों पर दोहरी मार, जानिए विशेषज्ञों की राय

पॉलुशन और कोरोना वायरस के कॉकटेल से दिल्ली-एनसीआर वालों पर दोहरी मार, जानिए विशेषज्ञों की राय

पॉलुशन और कोरोना वायरस के कॉकटेल से दिल्ली-एनसीआर वालों पर दोहरी मार, जानिए विशेषज्ञों की राय

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राष्ट्रीय राजधानी में पॉलुशन और कोरोना वायरस के कॉकटेल से दिल्ली-एनसीआर वालों पर दोहरी मार का सबब बन गया है। पिछले करीब एक सप्ताह के दौरान वायु की गुणवत्ता में आई गिरावट और कोरोना वायरस के मामलों में तेजी श्वांस संबंधी परेशानियों से जूझ रहे लोगों के लिए 'दोहरी मार साबित हुई है। क्योंकि उनकी मुश्किलें बढ़ गयी हैं और उनमे से कई कोविड-19 से संक्रमित भी हो गये हैं। विशेषज्ञों ने बुधवार को यह जानकारी दी है।

कई डॉक्टरों और चिकित्सा विशेषज्ञों ने पहले चेताया था कि इस महामारी के दौर में बढ़ते वायु प्रदूषण से फेफड़े या सांस संबंधी परेशानियों से जूझ रहे लोगों के लिए स्थिति बदतर हो सकती है। परिस्थितियों को सांस संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे लोगों के लिए 'दोहरी मार करार देते हुए अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक सुरनजीत चटर्जी ने कहा, '' पिछले छह दिनों में वायु की गुणवत्ता बहुत ही खराब रहने के चलते हम श्वांस की समस्या वाले मामलों में वृद्धि देख रहे हैं। पिछले नवंबर की तुलना में स्थिति अधिक गंभीर हैं, पिछले नवंबर में भी प्रदूषण स्तर बहुत ऊंचा था। लेकिन यह अप्रत्याशित वायरस है ही कुछ ऐसा, कि वह अधिक जटिलताएं पैदा कर रहा है।

मंगलवार को स्मॉग ने दिल्ली को ढक लिया था और यहां की वायु गुणवत्ता 'आपात स्थिति में पहुंच गयी थी। शहर में कोविड-19 के एक दिन में सर्वाधिक 7830 नये मामले भी आये और यहां इस महामारी के मामले साढ़े चार लाख के पार चले गये। दिल्ली में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 476 था जो 'गंभीर श्रेणी में आता है । पड़ोस के शहरों फरीदाबाद में एक्यूआई 448, गाजियाबाद में 444, नोएडा में 455, ग्रेटर नोएडा में 436 और गुड़गांव में यह 427 रहा। यानी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भी वायु की गुणवत्ता गंभीर रही।

दिल्ली में मंगलवार को लगातार छठे दिन वायु की गुणवत्ता 'गंभीर रही। पिछले साल भी नवंबर में सात दिन 'गंभीर वायु गुणवत्ता वाले दिन थे। डॉक्टरों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से बढ़ते प्रदूषण एवं कोविड-19 के बढ़ते मामलों के चलते अस्पतालों पर बोझ बढ़ गया है और बेड कम पड़ते जा रहे है। साथ ही शीर्ष निजी अस्पतालों और बड़े केंद्र संचालित अस्पतालों में जीवनरक्षक प्रणाली वाले आईसीयू बेड बढ़ते मामले के चलते भरते जा रहे हैं और पिछले कुछ दिनों में बड़ी संख्या में लोगों की जान भी गयी है।

फोर्टिस अस्पताल की श्वसन रोग चिकित्सक ऋचा सरीन ने कहा, ''निश्चित ही, दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण एवं बिगड़ते वायु गुणवत्ता सूचकांक के बीच कोविड-19, श्वांस संबंधी और अस्थमा के मामले बढ़ रहे और उनमें गंभीरता भी आ रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वायु प्रदूषण नाक, नासिका नली और फेफड़े में संक्रमण की आशंका को बढ़ा देता है। इससे श्वांस संबंधी संक्रमण जैसे कोविड-19 से प्रभावित होने की संभावना तेज हो जाती है।

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