गौतमबुद्ध नगर में आपराधिक घटनाओं के खिलाफ कलेक्ट्रेट पर धरना शुरू, काली पट्टी बांधकर बैठे सामाजिक संगठन

गौतमबुद्ध नगर में आपराधिक घटनाओं के खिलाफ कलेक्ट्रेट पर धरना शुरू, काली पट्टी बांधकर बैठे सामाजिक संगठन

गौतमबुद्ध नगर में आपराधिक घटनाओं के खिलाफ कलेक्ट्रेट पर धरना शुरू, काली पट्टी बांधकर बैठे सामाजिक संगठन

Tricity Today | गौतमबुद्ध नगर में आपराधिक घटनाओं के खिलाफ कलेक्ट्रेट पर धरना शुरू, काली पट्टी बांधकर बैठे सामाजिक संगठन

गौतमबुद्ध नगर में लगातार हो रही आपराधिक घटनाओं के खिलाफ बुधवार को जिले के सामाजिक संगठनों ने सूरजपुर स्थित जिला मुख्यालय पर धरना देने का ऐलान किया था। विरोध जाहिर करने के लिए तमाम सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी कलेक्ट्रेट में काली पट्टी बांधकर बैठ गए हैं। जिले भर से लोग धरने में पहुंच रहे हैं। सामाजिक संगठनों का कहना है कि गौतमबुद्ध नगर में लगातार हत्या, लूट और बलात्कार जैसे जघन्य वारदात हो रही हैं। जिनका खुलासा करने और जिम्मेदार अपराधियों को पकड़ने में पुलिस नाकाम है।

इस धरने और विरोध प्रदर्शन का आयोजन नोएडा महानगर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कृपाराम शर्मा के संयोजन में किया जा रहा है। कृपाराम शर्मा का कहना है कि आपराधिक घटनाओं का खुलासा करने में पुलिस नाकाम है। अपराधियों को गिरफ्तार नहीं कर पा रही है। आए दिन होने वाली मुठभेड़ फर्जी हैं। निर्दोष लोगों को पकड़कर ने गोली मारी जा रही हैं। अपराध के लिए जिम्मेदार अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में हजारों एनकाउंटर होने के बावजूद अपराध नियंत्रण में नहीं है। गौतमबुद्ध नगर में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद आम आदमी में एक आशा की किरण जगी थी। लोगों को उम्मीद थी कि यह व्यवस्था अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण कर पाएगी, लेकिन इस नई पुलिसिंग व्यवस्था से भी जिले को लाभ नहीं मिल रहा है। कृपाराम शर्मा का कहना है कि पुलिस अधिकारियों में अपराध को रोकने की मानसिकता और इच्छाशक्ति नहीं है। 

धरने में शामिल गौतमबुद्ध नगर कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अतुल शर्मा ने कहा, "किसी परिवार के मुखिया या सदस्य के साथ हत्या जैसी आपराधिक वारदात होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार चेहरा और बिरादरी देखकर आर्थिक सहायता कर रही है। जिस जाति के नुमाइंदे मजबूती से सरकार के सामने अपनी बात रख पाते हैं, उन्हें ज्यादा पैसे मिल जाते हैं। जिन लोगों का कोई पैरोकार नहीं है, उन्हें कुछ नहीं दिया जा रहा है। यह दोहरा और गैर कानूनी मापदंड है। अगर सरकार को आर्थिक सहायता देनी है तो इसके लिए मानक तय किए जाने चाहिए। पीड़ित परिवारों को समान रूप से आर्थिक मदद दी जानी चाहिए। लोगों की जाति और धर्म देखकर आर्थिक सहायता देना न केवल अमानवीय है बल्कि गैर कानूनी भी है। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में यह गलत परंपरा कायम कर रही है।"

बुधवार की सुबह 11:00 बजे सूरजपुर में कलेक्ट्रेट पर यह धरना शुरू हुआ है। बड़ी संख्या में लोग जिलेभर से धरने में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं। आयोजकों ने सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक और धार्मिक संगठनों को इस धरने में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया है। आयोजकों का कहना है कि इसका किसी राजनीतिक दल या विचारधारा से कोई सरोकार नहीं है। यह धरना गौतमबुद्ध नगर के आम आदमी की सुरक्षा और अधिकारों के लिए रखा गया है। शांतिपूर्वक और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए लोग काली पट्टी बांधकर बैठेंगे और सामान्य रूप से अपने विचार व्यक्त करेंगे।

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