एमिटी विश्वविद्यालय में स्वास्थय सेवाओं पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन

एमिटी विश्वविद्यालय में स्वास्थय सेवाओं पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन

एमिटी विश्वविद्यालय में स्वास्थय सेवाओं पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन

Tricity Today |

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक हेल्थ एंव एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट द्वारा भारत सरकार के विज्ञान एंव तकनीकी मंत्रालय के विज्ञान एंव तकनीकी विभाग के सहयोग से ‘‘पांरपरिक चिकित्सा - सस्ती एंव सुलभ स्वास्थय सेवाओं के लिए आधुनिक दृष्टिकोण’’ विषय पर 10 से 14 फरवरी तक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका शुक्रवार को समापन हो गया। 

इस समापन समारोह में उत्तर प्रदेश के परिवार कल्याण के महानिदेशक डा बद्री विशाल सिंह, केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा असीम अली खान, होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा अनिल खुराना, एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती एंव एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के निदेशक डा राजीव जर्नादन ने प्रतिभागीयों को सर्टिफिकेट प्रदान किये।


इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के विभिन्न पांरपरिक चिकित्सा संस्थानों जैसे अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद, डिफेंस इंस्टीटयूट ऑफ फिजियोलाॅजी एंड एलाइड सांइस, डा बी आर सुर होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय, मोरराजी देसाई नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ योगा से लगभग 29 प्रतिभागीयों ने हिस्सा लिया।

उत्तर प्रदेश के परिवार कल्याण के महानिदेशक डा बद्री विशाल सिंह ने कहा कि, औषधियों एंव पांरपरिक चिकित्सा का अभ्यास हमारे पूर्वजों द्वारा किया जाता रहा है। वर्तमान समय में जिस तेजी में मरीजों की संख्या बढ़ रही है उसके अनुपात में चिकित्सों की संख्या कम है और चिकित्स रोगी को पूर्ण समय नही दे पाते। डा सिंह ने कहा कि चिकित्सा पद्धती कोई भी हो हर एक की अपनी एक विशेषता होती है। कई ऐसे रोग निवारण मामले देखे गये है जिसेमें एलोपैथी की बजाय आयुर्वेद या होम्योपैथी अधिक कारगर है। हर विद्या की अपनी योग्यता है और अपना ही महत्व है अहम बात यह है कि आप उसका किस तरह उपयोग करते है। उन्होेने कहा कि वर्तमान समय विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के समन्वय का समय है आपको अन्य पद्धतियों एंव उनके महत्व को समझना होगा। उन्होेने प्रतिभागीयों से कहा कि विभिन्न चिकित्सा पद्धतीयों में आपसी समन्वय बढ़ाने के लिए नितियों का निर्माण करना होगा।

केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा असीम अली खान ने आयुष मंत्रालय के संर्दभ में जानकारी देते हुए कहा कि आयुष में आयुर्वेद, योगा एंव नैचुरपैथी, यूनानी, स्दिधा एंव होम्योपैथी सभी का समावेश है। आयुष ने भारत में चिकित्सा को नये आयाम दिये है। डा खान ने कहा कि हमारा कार्य सिर्फ पूर्वजों द्वारा दिये गये पारंपरिक चिकित्सा के ज्ञान को उपयोग करना ही नही बल्कि इनको सुरक्षित रखना भी है। हमे शोध एंव नवोन्मेष के जरीए इस पांरपरिक चिकित्सा का उपयोग आधुनिक तकनीकी के माध्यम से करना है। पांरपरिक एंव आधुनिक चिकित्सा पद्धतीयों का समन्वय आवश्यक है तभी उनके मध्य के रिक्त स्थान को हम भर सकते है। इस दौरान डा खान ने आयुष मंत्रालय द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं की जानकारी प्रदान की।

एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने अतिथियों एंव प्रतिभागीयों को संबोधित करते हुए कहा कि एमिटी में पांरपरिक चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्रों में शोध कार्य का संचालन किया जा रहा है। योग के क्षेत्र में पाठयक्रम का संचालन भी हो रहा है। वर्तमान समय मेें व्यक्ति आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा एंव होम्योपैथी चिकित्सा से रोगों का इलाज या स्ंवय को स्वस्थ रखने की प्रक्रिया को अधिक अपना रहा है। एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा ना केवल छात्रों को पांरपरिक चिकित्सा के क्षेत्र मे शोध हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा हेै बल्कि विभिन्न क्षेत्रों के लिए मानव संसाधन भी तैयार किये जा रहे है। उन्होनें कहा हम सदैव से व्यक्ति के शारिरीक, मानसिक समाजिक, आध्यात्मिक कल्याण के पक्षधर रहे है।

इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में आज एक तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया जिसमें केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा असीम अली खान और सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ हदय रोग विशेषज्ञ डा एस सी मनचंदा ने अपने विचार रखे। समापन समारोह से पूर्व एक परिचर्चा सत्र का आयोजन भी किया गया जिसमें परिवार कल्याण के महानिदेशक डा बद्री विशाल सिंह, केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा असीम अली खान, होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा अनिल खुराना, एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती एंव एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के निदेशक डा राजीव जर्नादन ने ‘‘स्वास्थय सेवा वितरण में आयुष की मुख्यधारा’’ पर अपने विचारों को व्यक्त किये।
 

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