नोएडा-ग्रेटर नोएडा में ढाई लाख फ्लैट खरीदारों पर कोरोना की मार, अब घर एक साल और देरी से मिलेंगे, Lockdown Stories

नोएडा-ग्रेटर नोएडा में ढाई लाख फ्लैट खरीदारों पर कोरोना की मार, अब घर एक साल और देरी से मिलेंगे, Lockdown Stories

नोएडा-ग्रेटर नोएडा में ढाई लाख फ्लैट खरीदारों पर कोरोना की मार, अब घर एक साल और देरी से मिलेंगे, Lockdown Stories

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो

मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट सेक्टर और बरसों से घर मिलने का इंतजार कर रहे खरीदारों के लिए एक और बुरी खबर है। बिल्डरों और फ्लैट खरीदारों के बुरे हाल में यह लॉकडाउन "कोढ़ में खाज" की तरह काम करेगा। जहां एक ओर रियल एस्टेट सेक्टर को तगड़ा आर्थिक झटका लगा है वहीं, दूसरी ओर बरसों से घर मिलने की बाट जोह रहे फ्लैट खरीदारों को और लंबा इंतजार करना पड़ेगा। रियल एस्टेट सेक्टर के विशेषज्ञों का कहना है कि अधूरे पड़े फ्लैट्स की डिलीवरी कम से कम 1 साल और लंबी खिंचेगी।

कोरोना वायरस ने फ्लैट मिलने की वर्षों से उम्मीद लगाए बैठे लोगों को झटका दे दिया है। इससे एक बार फिर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के करीब ढाई लाख खरीदारों को फ्लैट को लंबा इंतजार करना पड़ेगा। जीरो पीरियड नीति के तहत जून 2021 तक काफी खरीदारों को फ्लैट मिलने थे, लेकिन अब एक साल में फ्लैट मिलने संभव नहीं हैं।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ढाई लाख फ्लैट खरीदार 10 साल से फ्लैट पाने के लिए चक्कर काट रहे हैं। इन दोनों शहरों में अधूरी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए शासन ने कुछ शर्तों के साथ 5 दिसंबर 2019 में जीरो पीरियड नीति लागू की थी। इसके अंतर्गत जो बिल्डर अधूरी परियोजनाओं को जून 2021 तक पूरा करेंगे, उनको बकाये में राहत दी जाएगी। इससे उन पर आर्थिक रूप से भार कम पड़ेगा और वह परियोजना जल्दी पूरी कर सकेंगे। बीते सालों में कोर्ट के आदेश समेत कई कारणों से काम बंद रहने के कारण बिल्डर जीरो पीरियड की मांग कर रहे थे।

शासन से आदेश आने के बाद दिसंबर में नोएडा विकास प्राधिकरण ने जीरो पीरियड के लिए आवेदन मांगे थे। जनवरी 2020 में अंतिम तारीख तक 32 परियोजनाओं के लिए बिल्डरों ने आवेदन किए थे। इसके बाद प्राधिकरण ने समिति गठित करके आवेदनों की जांच शुरू कर दी। अधिकारियों ने बताया कि मार्च के तीसरे सप्ताह तक 17 परियोजनाओं से संबंधित आवेदनों का निस्तारण कर दिया था। इनमे से 7 के आवेदन को खारिज करते हुए 10 परियोजनाओं को जीरो पीरियड के लिए मंजूरी दे दी थी। 

अब 2021 में घर मिलना सम्भव नहीं
अधिकारियों ने बताया कि जिन 10 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी, उनमें 9,641 फ्लैट हैं। बाकी आवेदनों की जांच होनी थी लेकिन कोरोना वायरस की वजह से सारा मामला अटक गया है। अब चिंता की बात ये है कि जिनको प्राधिकरण ने मंजूरी दे भी दी, वह कोरोना के चलते काम शुरू नही कर पाए हैं। जबकि, उनके करीब 5 महीने बीत चुके हैं और अब सिर्फ एक साल रह गया है। अभी ठीक ढंग से यह नहीं कहा जा सकता कि काम कब शुरू हो पाएगा। इससे साफ है कि ख़रीदारों को 2021 में भी घर नहीं मिल पाएंगे।

फ्लैट खरीदारों की संस्था नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार का कहना है कि अब हालात बिल्कुल बदल गए हैं। अभी तक आर्थिक मंदी, कोर्ट के पचड़े और प्राधिकरण कि हीला हवाली के कारण प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। अब लॉकडाउन के कारण स्थिति और ज्यादा खराब हो गई है। करीब 10-10 वर्षों से घर मिलने का इंतजार कर रहे लोगों को उम्मीद थी कि 2020 और 2021 में ज्यादातर लोगों को उनके घर मिल जाएंगे। लेकिन अब इंतजार और लंबा होता नजर आ रहा है।

इस बारे में प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण जीरो पीरियड नीति का पूरा सिस्टम गड़बड़ा गया है। ऐसे में अब शासन को परियोजनाएं पूरी करवाने के लिए नए सिरे से समय देना होगा। दूसरी ओर बिल्डर भी यह मांग करने लगे हैं। बिल्डरों की संस्था क्रेडाई के प्रेजिडेंट प्रशांत तिवारी का कहना है की कोरोना से पहले एनजीटी की वजह से काम बंद था। करीब तीन महीनों तक कोई काम नहीं हुआ। अब स्थिति को देखते हुए 6 महीने से पहले काम शुरू होने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में जिन परियोजनाओं की डेडलाइन 2020 और 2021 थीं, उनको एक साल का समय और देना पड़ेगा। क्रेडाई के वाइस प्रेजिडेंट अमित मोदी ने कहा कि जीरो पीरियड के तहत परियोजना पूरी करने के लिए 2 साल अतिरिक्त चाहिएं। बिल्डरों की दूसरी संस्था नेरेडको ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 30 जून 2023 तक का समय देने की मांग की है।

बिल्डरों की मांग नाजायज नहीं है
रियल एस्टेट सेक्टर के मामलों के विशेषज्ञ रविंद्र शर्मा का कहना है कि बिल्डरों की मांग नाजायज नहीं है। कोरोनावायरस और लॉकडाउन के कारण कई नई परेशानियां पैदा हो गई हैं। जिनका असर आने वाले वक्त में नजर आएगा। मसलन, पूरे दिल्ली एनसीआर से लेबर वापस जा चुकी है। बिहार, उड़ीसा, बंगाल, नॉर्थ ईस्ट और पूर्वी उत्तर प्रदेश जा चुके मजदूर आसानी से वापस नहीं लौटेंगे। दूसरी ओर स्टील, सीमेंट और ईट उद्योग भी बंदी की मार झेल रहे हैं। इन सबको शुरू होने में वक्त लगेगा। बिल्डरों पर बैंकों के कर्ज बढ़ रहे हैं और बाजार में लिक्विडिटी खत्म हो चुकी है। अब पैसे का इंतजाम करना आसान बात नहीं है।

रविन्द्र शर्मा कहते हैं, "सही मायने में रियल एस्टेट सेक्टर की सप्लाई चैन पूरी तरह टूट चुकी है। मजदूरों को वापस बुलाने, सप्लाई चैन को शुरू करने और फंड का इंतजाम करने में बिल्डरों को लंबा वक्त लगने वाला है। जिसका सीधा असर फ्लैट्स की डिलीवरी पर ही पड़ेगा।" रविंद्र शर्मा का कहना है, "मुझे नहीं लगता कि अगर आज लॉकडाउन खत्म कर दिया जाए तो 6 महीने से पहले काम रफ्तार पकड़ पाएगा। ऐसे में फ्लैट्स की डिलीवरी में 9 महीने से 1 साल की देरी होना तय है।"

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