Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो
भारत में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार भी लगातार कदम उठा रही है। इस बीच कोरोना वायरस के खतरे के कारण बाजार में मास्क और सेनिटाइजर की अनुपलब्धता को देखते हुए सरकार ने इन दोनों वस्तुओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल करने का फैसला किया है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि कुछ हफ्तों से कोरोना वायरस के मौजूदा प्रकोप के मद्देनजर कोरोना प्रबंधन के लिए लॉजिस्टिक संबंधी चिंताओं को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। दरअसल, मास्क (2 प्लाई और 3 प्लाई सर्जिकल मास्क, एन95 मास्क) और हैंड सेनिटाइजर या तो बाजार में मौजूद नहीं है या बहुत ज्यादा कीमतों पर इनकी बिक्री की जा रही है।
मंत्रालय के बयान के मुताबिक, सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की अनुसूची में संशोधन किया है। इसके तहत मास्क और सेनिटाइजर को 30 जून 2020 तक आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु के रूप में घोषित करने का आदेश दिया है।
सरकार ने विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत एक एडवाइजरी भी जारी की गई है। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत राज्य, विनिर्माताओं के साथ विचार-विमर्श करके उनसे इन वस्तुओं की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, आपूर्ति श्रृंखला को सुचारु बनाने के लिए कह सकते हैं जबकि विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत राज्य इन दोनों वस्तुओं की अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर बिक्री सुनिश्चित कर सकते हैं।
आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत केंद्र सरकार की ओर से साल 1972 से 1978 के आदेशों के माध्यम से राज्यों को शक्ति प्रदान की गई हैं। इसलिए राज्य/संघ राज्य क्षेत्र आवश्यक वस्तु अधिनियम और चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। वहीं आवश्यक वस्तु अधिनियम का उल्लंघन करने वालों को सात साल तक की कैद की सजा भी हो सकती है। इसके अलावा उन्हें जुर्माना भी भरना पड़ सकता है या जेल और जुर्माना दोनों की सजा दी जा सकती है।