डॉक्टर कफील खान की रासुका के तहत हिरासत रद्द, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्काल रिहाई का आदेश दिया

डॉक्टर कफील खान की रासुका के तहत हिरासत रद्द, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्काल रिहाई का आदेश दिया

डॉक्टर कफील खान की रासुका के तहत हिरासत रद्द, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्काल रिहाई का आदेश दिया

Google Image | डॉक्टर कफील खान

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने डॉक्टर कफील खान की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत मंगलवार को रद्द कर दी और उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा किए जाने का आदेश पारित किया। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की पीठ ने डॉक्टर कफील की मां नुजहत परवीन की याचिका पर यह आदेश पारित किया। नुजहत परवीन ने डॉक्टर कफील की रिहाई की मांग की थी।

याचिका में आरोप लगाया गया था कि डॉक्टर कफील को फरवरी में एक सक्षम अदालत द्वारा जमानत दे दी गई और उन्हें रिहा किया जाना था। हालांकि उन्हें चार दिन तक रिहा नहीं किया गया और बाद में उन पर रासुका लगा दिया गया। इसलिए उनकी हिरासत अवैध थी। हिरासत का आदेश रद्द करते हुए अदालत ने कहा, ''इस मामले में हमने पाया कि कारण संबंधी कड़ी गायब है या पूरी तरह से टूटी हुई है। वास्तव में हिरासत में लेने वाले अधिकारियों ने समर्थन वाले तथ्यों के बगैर ही आशंका जाहिर कर दी है जिसका कोई आधार नहीं है।

अदालत ने कहा, ''हमने इस हिरासत की वैधता भी परखी है जिसमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 22 के उपबंध (5) के तहत डॉक्टर कफील को हिरासत के आधार और तथ्य उपलब्ध कराए गए जिससे वह जल्द से जल्द सक्षम अधिकारियों को इसकी प्रस्तुति दे सकें। जो सामग्री उन्हें उपलब्ध कराई गई वह उनके उस भाषण को सीडी में डालकर दिया गया था जो उन्होंने 12 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिया था।

पूछे जाने पर अदालत को बताया गया कि डॉक्टर खान को भाषण की नकल नहीं उपलब्ध कराई गई। यदि डॉक्टर खान को सीडी चलाने का उपकरण उपलब्ध कराया गया होता तो भाषण की नकल उपलब्ध नहीं कराए जाने का कोई असर नहीं होता।

अदालत ने आगे कहा कि इस मामले का और एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हिरासत बढ़ाने का आदेश डॉक्टर खान को कभी नहीं उपलब्ध कराया गया। हमें दिखाये गए रिकार्ड से पता चलता है कि हिरासत की अवधि बढ़ाने के राज्य सरकार के आदेश से संबंधित केवल रेडियोग्राम डॉक्टर खान को उपलब्ध कराया गया।

रेडियोग्राम में इस बात का उल्लेख है कि वास्तविक आदेश स्पीड पोस्ट के जरिए भेजा जाएगा, लेकिन वास्तव में डॉक्टर खान को रेडियोग्राम के अलावा कुछ भी नहीं दिया गया। इन बातों को देखते हुए हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि ना तो डॉक्टर कफील खान की रासुका के तहत हिरासत और ना ही हिरासत की अवधि बढ़ाया जाना कानून की नजर में कायम रहने वाला है।

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