Tricity Today | DM Gautam Buddh Nagar, Suhas LY, IAS
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी में अवैध हाउसिंग प्रोजेक्ट में देशभर के बैंकों ने बिल्डरों के साथ मिलीभगत करके फ्लैट खरीदारों को लोन दिया है। अब फ्लैट खरीददार इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। बड़ी संख्या में फ्लैट खरीदारों ने बैंकों को एमआई चुकानी भी बंद कर दी हैं। इस विवाद के मद्देनजर सोमवार को बैंकों के साथ जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने बैठक की। इस दौरान उन्होंने सभी बैंकों के प्रबंधकों को निर्देश दिया कि विकास प्राधिकरण से विधिवत अनुमति प्राप्त नहीं करने वाले बिल्डरों की आवासीय योजनाओं में निवेश नहीं करें।
गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई की अध्यक्षता में सोमवार को डिस्ट्रिक्ट लेवल कंसलटेटिव कमिटी (डीएलसीसी) की मीटिंग हुई। जिसमें जून महीने की तिमाही के कामकाज की समीक्षा की गई है। बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने कहा, "सभी बैंक जिले में चल रही आवासीय परियोजनाओं को फाइनेंस करने से पहले जरूरी जांच-पड़ताल करके नियम और कानूनों के अनुसार फाइनेंस करें। जिले में बिल्डरों और कॉलोनाइजर को नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिसूचित इलाकों में अनुमति के बिना किसी भी तरह का निर्माण करने का अधिकार नहीं है। इस तरह के प्रोजेक्ट, जिन्हें जरूरी अनुमति नहीं दी गई हैं, झूठे वायदों के आधार पर बेचे जाते हैं। ऐसी परियोजनाएं बैंक फाइनेंस के लिए क्वालीफाई नहीं करती हैं। अगर ऐसी आवासीय परियोजनाओं में कोई बैंक पैसा अवमुक्त कर रहा है तो इसके लिए संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होगा।"
जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने कहा, "मैंने सभी नेशनल बैंकिंग और फाइनेंशियल निगमों को निर्देश दिया है कि वह भारतीय रिजर्व बैंक के नियम-कायदों का अक्षरसः पालन करें। गाइडलाइंस को नहीं तोड़ें। अगर वैसा करेंगे तो उनकी जिम्मेदारी तय की जाएगी।"
बिल्डरों के विज्ञापन में बैंकों के नाम और लोगो नहीं छपेंगे
जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने कहा, "यह भी देखने में आता है कि कुछ बिल्डर अपने विज्ञापनों और दूसरे प्लेटफार्म पर बैंकों से प्रोजेक्ट संस्तुत होने का दावा करते हैं। वह बैंकों के नाम और लोगो अपने विज्ञापनों में इस्तेमाल करते हैं। बैंकों को यह देखने की आवश्यकता है कि कोई उनकी क्रेडिबिलिटी और नाम का गलत इस्तेमाल ना करें। इस तरह के अवैधानिक और झूठे वायदे करने से खरीदारों की आर्थिक सुरक्षा को हानि पहुंचती है। यह जरूरी है कि वैधानिक कार्यों को नियत समय और तौर-तरीकों के साथ पूरा किया जाना चाहिए। दूसरी और अवैधानिक कार्यों से निपटने के लिए कढ़ाई के साथ काम करने की आवश्यकता है।"
शाहबेरी मामले को ध्यान में रखते हुए डीएम ने फैसला लिया
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी में बैंकों ने करीब 7,000 फ्लैट खरीदारों को फाइनेंस किया है। करीब 1,400 करोड़ रुपये के लोन देशभर के बैंकों ने किए हैं। फ्लैट खरीदार सचिन राघव का कहना है, "बैंकों ने जानबूझकर इन अवैध फ्लैट को लोन दिया है। यहां फ्लैट खरीदने वाले लोगों ने दो बातों को देखकर कदम आगे बढ़ाया है। सबसे पहले बैंक लोन कर रहे थे। लोगों को लगा कि जब बैंक लोन कर रहे हैं तो प्रोजेक्ट कानूनी है। इसके बाद बिना किसी रोक-टोक के घरों की रजिस्ट्री हो रही थी। इसके बाद कौन सोच सकता है कि शाहबेरी में बनाए गए हजारों घर अवैध हैं।"
दूसरे खरीदार अभिनव खरे ने कहा, "हम लोगों ने बैंकों के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहां प्राधिकरण ने कहा है कि उनकी जमीन पर अवैध निर्माण किया गया है। इस निर्माण में बैंकों को फाइनेंस करने का अधिकार नहीं है। यह बात अब प्राधिकरण ने तब कही है जब हम लोगों ने हाईकोर्ट में मुद्दा उठाया है। अगर विकास प्राधिकरण पहले से ही यह कदम उठा देता तो लोग बर्बाद होने से बच जाते।"