Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो
पूरी दुनिया में चल रही महामारी का इलाज भी आसान नहीं है। इससे पीड़ित लोगों का उपचार कर रहे डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को बहुत सारे नियम-कायदों का पालन करना पड़ता है। उनके लिए बाकायदा एक प्रोटोकॉल बुक है, जिसमें लिखी एक-एक बात का अक्षरशः पालन करना होता है। अगर डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ इन नियम-कायदों का पालन करने में मामूली सी चूक कर दें तो खुद की जान को खतरा पैदा हो सकता है। दूसरी ओर संक्रमित मरीज के लिए भी परेशानी खड़ी हो सकती हैं। आखिर डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ कैसे इलाज के दौरान जीवन जीते हैं। इस पर पेश है Tricity Today की खास रिपोर्ट।
राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के आइसोलेशन वार्ड में रहने वाले स्टाफ को बड़ी कठिन ड्यूटी करनी पड़ती है। इनके ऊपर तमाम पाबंदियां लागू होती हैं। अपनी शिफ्ट के समय खाने-पीने पर पूरी तरह पाबंदी रहती है। ड्यूटी शुरू करने से दो घंटे पहले खाना-पीना पूर करना होता है। ड्यूटी पूरी होने के बाद पर्सनल प्रोटेक्शन एक्यूपमेंट (पीपीई) को नष्ट कर दिया जाता है।
राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (GIMS) में 20 बेड का आइसोलेशनल वार्ड बना हुआ है। इस वार्ड में मरीजों का इलाज किया जाता है। लेकिन यहां तैनात डॉक्टरों और स्टाफ को मरीजों से कहीं अधिक सतर्कता बरतनी पड़ती है। नियम-कानून का पूरी तरह से पालन करना चुनौती है। दरअसल, यहां तैनात होने वाले स्टाफ को पीपीई पहनना पड़ता है। इसका प्रयोग एक ही बार होता है। इसलिए इसको उतारा नहीं जाता है।
6 घण्टे की ड्यूटी के दौरान टॉयलेट नहीं का सकते
जिम्स के आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी करने वाले डॉ. मोहित कृष्णा बताते हैं, "डॉक्टरों को छोड़कर अन्य स्टाफ की ड्यूटी 6-6 घंटे की शिफ्ट में होती है। इस दौरान तो कुछ खा सकते हैं और न ही प्यास लगने पर पानी भी पी सकते हैं। इस दौरान शौचालय तक में जाने की अनुमित नहीं होती है। यह सब सुरक्षा उपायों के लिए किया जाता है।" डॉ कृष्णा आगे बताते हैं, "ड्यूटी से दो घंटे पहले भोजन करना पड़ता है। ड्यूटी शुरू होने से 2 घंटे पहले खाना-पीना हो जाता है ताकि नित्य क्रिया की जरूरत ड्यूटी के दौरान ना पड़े। अंदर खाने-पीने पर पाबंदी रहती है। इसलिए डाइट भी बहुत सोच-समझकर लेते हैं। ड्यूटी के दौरान मरीजों की जांच करनी होती है। खास दिक्कत वाले मरीज को लगातार देखना पड़ता है। इस कठिनाई के बाद भी अपने कर्तव्य के लिए सभी स्टाफ जुटा रहता है।"
ड्यूटी के बाद दो बार बॉडी वॉश करना जरूरी होता है
इस आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी डॉ. सौरभ श्रीवास्तव ने कहा, "पीपीई का इस्तेमाल केवल एक बार किया जाता है। ड्यूटी पूरी करने के तुरन्त बाद इसे नष्ट कर दिया जाता है। यह ऊपर से नीचे तक का एक सूट होता है। यह विशेष पॉलीथिन मिक्स्ड फाइबर से बना होता है। इसलिए इसको बदला नहीं जा सकता है। यही कारण है कि ड्यूटी के दौरान पाबंदी होती है। ड्यूटी के बाद स्टाफ दो बार नहाता है। इसके बाद अपने रूटीन के काम करता है।"
परिवार से अलग रह रहे हैं डॉक्टर और स्टाफ
ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कोरोना संक्रमित लोगों का उपचार कर रहे डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के लिए सबसे बड़ी परीक्षा अपने परिवार से अलग रहने की है। डॉक्टर बताते हैं कि वह ड्यूटी खत्म करने के बाद रोजाना अपने घर तो जाते हैं लेकिन पिछले एक महीने से कोई भी डॉक्टर या नर्सिंग स्टाफ अपने परिवार के लोगों के संपर्क में नहीं हैं। इन लोगों को सख्त हिदायत है कि वह घर जाकर अपने परिवार के लोगों के साथ घुलेंगे मिलेंगे नहीं। एक तरह से डॉक्टरों ने अपने घरों में खुद को क्वॉरेंटाइन करके रखा हुआ है।
डॉक्टर्स ने अपने कपड़े, बर्तन और दैनिक जरूरत के तमाम चीजें अपने घरों में अलग रखी हुई हैं। डॉक्टर कहते हैं कि अस्पताल में उपचार करना जितना ज्यादा कठिन है, उससे ज्यादा कहीं कठिन अपने परिवार और बच्चों से दूरी बनाकर उन्हीं के सामने रहना है। यही वजह है कि हम लोग यहां उपचार करवाने आने वाले लोगों से अपील करते हैं कि वह वापस जाकर 14 दिन खुद को क्वॉरेंटाइन रखें। जब उनका यह पीरियड कंप्लीट हो जाए तो दूसरे लोगों को सोशल डिस्टेंस बरतने के लिए प्रेरित करें।