जरूरतमंदों को सूखा राशन दिया जाए, बना खाना देना अनुचित, प्रशासन ध्यान दे: सुनील शर्मा कोट

जरूरतमंदों को सूखा राशन दिया जाए, बना खाना देना अनुचित, प्रशासन ध्यान दे: सुनील शर्मा कोट

जरूरतमंदों को सूखा राशन दिया जाए, बना खाना देना अनुचित, प्रशासन ध्यान दे: सुनील शर्मा कोट

Tricity Today | (लेखक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और विधि शिक्षा के प्राध्यापक हैं।)

इस समय देश बहुत भयानक दौर से गुजर रहा है। कोरोना नामक भयानक बीमारी प्रति मिनट देश पर हावी होती जा रही है। तबलीगी जमात में घटी घटना ने तो जैसे देश में भूकंप ही ला दिया है। इस घटना से हमें सबक लेना चाहिए। गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी को कोरोना को लेकर एक नई नीति बनानी चाहिए। हो सकता है, लोग मुझे मानवता का दुश्मन समझें। परंतु, कभी-कभी मानव को बचाने के लिए मानवता का दुश्मन बनना पड़ता है।

कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए जिले में नई नीति बनाएं। जगह-जगह जो धर्मार्थ केंद्र खुले हैं, समाजसेवी गरीब-मजदूरों को भोजन खिला रहे हैं, इस प्रकार खाना खिलाने पर तुरंत प्रतिबंध लगे। जरूरतमंद लोगों को सूखा राशन उनके घर पर पहुंचाया जाए। क्या पहले यह गरीब मजदूर लोग अपने आप भोजन बनाकर नहीं खा रहे थे। आवश्यकता है सिर्फ उन लोगों को सूखा राशन देने की।

इसके लिए एक कमेटी गठित की जाए। उन लोगों तक जाने के लिए इन समाज सेवियों से भी सहयोग लें। बड़ी-बड़ी समाज सेवी संस्थाओं से सहयोग लें। सरकारी अनुदान से और अन्य व्यक्ति, जो सहयोग करना चाहता है, सूखा राशन लेकर उस कमेटी के द्वारा वालंटियर लगाकर उनके घर-घर भोजन पहुंचाया जाए। उनका जब मन करे, जब वह बनाये, जब भूख लगे तो खा लें। सामाजिक दूरी का सिद्धांत जगह-जगह लगे हुए धर्मार्थ केंद्रों से टूट रहा है। आज तो तबलीगी जमात से कोरेना नामक वायरस निकला है, ऐसा ना हो इन धर्मार्थ केंद्रों से भी ऐसा ही वायरस निकलना प्रारंभ हो जाए।

किसको क्या पता जो भोजन करने आ रहे हैं, वह उस वायरस से संक्रमित हैं या नहीं। या जो भोजन खिला रहे हैं, वह भी संक्रमित है या नहीं। जो भोजन खिला रहे हैं, धर्मार्थ का काम कर रहे हैं, उनको लेकर बड़ी चिंता है। क्योंकि कोरोना का इलाज करने वाले डॉक्टर पूरी सुविधा के साथ उनका इलाज करते हैं। परंतु कुछ समय बाद बहुत से डॉक्टर खुद संक्रमित हो जाते हैं तो इसलिए धर्मार्थ का काम करने वाले लोग समाज के लिए बड़े महत्वपूर्ण हैं।

यह लोग सिर्फ सूखे राशन की व्यवस्था करके जिलाधिकारी के नेतृत्व में जो कमेटी बने, उसके पास पहुंचा दें। वह फिर उस भोजन को जरूरतमंदों तक पहुंचाएं। जो लोग भोजन बनाकर नहीं खा सकते, उनके भोजन की व्यवस्था  कमेटी करे और जो धर्मार्थ में लगे हैं उनसे निवेदन करे कि वह फोटो  व्हाट्सएप फेसबुक पर वायरल ना करें। इससे जो लोग लॉक डाउन का पालन कर रहे हैं, उनके भी धर्मार्थ की भावनाएं उमड़ रही हैं। जो जहां है, यह प्रधानमंत्री का कहना है, वह वहीं रहे। घर से बाहर ना निकले। प्रधानमंत्री की इस अपील का पालन किया जाए। 

प्रधानमंत्री राहत कोष में मुख्यमंत्री राहत कोष में धनराशि दी जाए। यह भी सहयोग का बड़ा माध्यम है। डीएम बीएन सिंह को इसलिए यहां से हटा दिया गया कि व्यवस्था सही नहीं बन पाई। ऐसा ना हो कि धर्मार्थ में लगे हुए लोग कोरोना से संक्रमित हो जाएं और एक नई समस्या खड़ी हो जाए।

आज तबलीगी जमात को दोषी ठहराया जा रहा है। सोचिए वह ट्रेनों में गए होंगे, पूरा देश हलचल में आ गया है। जब भोजन करने यह लोग आते हैं, सोचो इकट्ठे होकर आते हैं। जिन बर्तनों में खाते हैं, जिन पत्तलों में खाते हैं, उनमें वायरस रह जाता होगा। इससे भी संक्रमण बढ़ने की संभावना प्रबल होती है। अगर एक-दो लोगों को भी संक्रमण हुआ तो जिले में गंभीर समस्या खड़ी हो जाएगी। उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार ने माना है पलायन करने वाले 10 व्यक्तियों में से 3 व्यक्तियों में कोरोना संक्रमण होने की संभावना है। इसलिए नई नीति बनाकर कोरोना से लड़ा जाए ।

(लेखक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और विधि शिक्षा के प्राध्यापक हैं।)

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