Tricity Today | शाहबेरी मामले में ईडी ने जांच शुरू की
Noida : करीब 3 वर्षों से संघर्ष कर रहे Shahberi में ठगी का शिकार हुए खरीददारों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। इस मामले को लेकर लगातार प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय, यूपी के मुख्यमंत्री कार्यालय और तमाम जिम्मेदार एजेंसियों को शिकायत भेज रहे सचिन राघव से अब ईडी ने संपर्क किया है। ईडी ने उनसे तमाम सूचनाएं और दस्तावेज लिए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय को 8 बार रिमाइंडर भेजने के बाद इस मामले में ईडी की लखनऊ ब्रांच ने जांच पड़ताल शुरू की है।
पिछले एक वर्ष के दौरान सचिन राघव ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को 8 बार मेल के जरिए इस मामले की शिकायत भेजी थी। सचिन राघव लगातार यह मुद्दा उठा रहे हैं। उनका मानना है कि शाहबेरी को लेकर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण, गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन और पुलिस ने केवल लीपापोती की है। अब तक जिम्मेदार बिल्डरों और अफसरों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। घोटाले को अंजाम देने वाली बड़ी मछलियां खुलेआम घूम रही हैं। बैंकों ने फर्जी और जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके करोड़ों रुपए के लोन दे दिए हैं। अब तक सैकड़ों फ्लैट खरीददार लोन की ईएमआई चुकाने से इंकार कर चुके हैं।
सचिन राघव का कहना है, "इस पूरे मामले में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण, बैंक और जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी मिले हुए हैं। इन लोगों की नाक के नीचे इतना बड़ा निर्माण हो गया। ऐसा नहीं है इन लोगों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। खुद मैंने शाहबेरी में हादसा होने से एक साल पहले विकास प्राधिकरण, जिला प्रशासन और पुलिस से शिकायत की थी। कई बार अफसरों से बात भी की थी। किसी ने कोई कदम नहीं उठाया। दूसरी ओर हाईकोर्ट से स्थगन आदेश होने के बावजूद बैंकों ने बिल्डरों के साथ मिलीभगत करके करोड़ों रुपए के लोन जारी कर दिए। अवैध रूप से 7,000 रजिस्ट्री यहां की गई हैं। इस पूरे घोटाले में 1,400 करोड़ रुपए फ्लैट खरीदारों से लूट गए हैं।"
पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर सचिन राघव तमाम अड़चनें आने के बावजूद इस मामले में लगातार पैरवी कर रहे हैं। वह सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। साथ ही केंद्र और राज्य सरकार को लगातार इस मामले पर शिकायतें भेज रहे हैं। सचिन राघव ने बताया, "मुझसे प्रवर्तन निदेशालय की लखनऊ शाखा ने संपर्क किया है। ईडी को गृह मंत्रालय की ओर से निर्देश दिया गया है। ईडी के अधिकारियों ने मुझसे इस मामले में दर्ज हुई एफआईआर और तमाम दूसरी सूचनाएं मांगी हैं। मैंने उन्हें सारे दस्तावेज भेज दिए हैं। अब जल्दी ही इस मामले में कार्रवाई होने की उम्मीद है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मेरे रिमाइंडर और ईमेल पर संज्ञान लेते हुए लखनऊ प्रवर्तन निदेशालय को जांच शुरू करने के लिए कहा है।"
इस पूरे प्रकरण को लेकर एडवोकेट अतुल शर्मा का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का ज्युडिक्शन इस मामले में बनता है। यहां सरकार के सैकड़ों करोड रुपए डूब गए हैं। इस मामले में बैंक अफसर, विकास प्राधिकरण, जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारी संलिप्त हैं। इनमें आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं। बड़ी संख्या में एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। लिहाजा दर्ज एफआईआर के आधार पर प्रदर्शन निदेशालय जांच शुरू कर सकता है। केंद्र सरकार के अधीन बैंक काम करते हैं। बैंकों की कारगुजारी के कारण सरकार को फाइनेंशियल लॉस हुआ है। इसके कारण सीबीआई का भी अधिकार क्षेत्र बनता है।
इस मामले में ईडी ने जांच शुरू कर दी है। इसे लेकर जिला स्तर पर अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं है। गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन, विकास प्राधिकरण और पुलिस कमिश्नरेट से अभी प्रवर्तन निदेशालय ने संपर्क नहीं किया है। मिली जानकारी के मुताबिक ईडी फ्लैट खरीदारों से मिले दस्तावेजों और सबूतों का अध्ययन कर रही है। इसके बाद जिम्मेदार अफसरों से भी जवाब माँगा जाएगा। फिर ईडी इस पूरे मामले पर एक रिपोर्ट तैयार करके केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजेगी। गृह मंत्रालय के अगले आदेश पर कार्रवाई शुरू होगी।