Noida: आठवीं की छात्रा ने कैंसर से जूझ रहे श्रमिक और उसके परिवार को फ्लाइट से रांची भेजा, गुल्लक तोड़ टिकट खरीदे

Noida: आठवीं की छात्रा ने कैंसर से जूझ रहे श्रमिक और उसके परिवार को फ्लाइट से रांची भेजा, गुल्लक तोड़ टिकट खरीदे

Noida: आठवीं की छात्रा ने कैंसर से जूझ रहे श्रमिक और उसके परिवार को फ्लाइट से रांची भेजा, गुल्लक तोड़ टिकट खरीदे

NBT | आठवीं की छात्रा ने कैंसर से जूझ रहे श्रमिक और उसके परिवार को फ्लाइट से रांची भेजा, गुल्लक तोड़ टिकट खरीदे

कहते हैं, बच्चे भगवान का रूप होते हैं। कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझ रहे एक मजदूर और उसके परिवार के लिए नोएडा का एक बच्चा शायद भगवान का रूप लेकर ही मदद के लिए आगे बढ़ गया। शहर की कक्षा आठवीं की लड़की ने कैंसर से जूझ रहे और लॉकडाउन में फंसे मजदूर के परिवार को उनके घर भेजा है। इसके लिए बच्ची ने अपनी 3 साल की बचत खर्च कर दी। इस दयावान बच्ची के माता-पिता ने ना केवल अपनी बेटी के फैसले पर अमल किया बल्कि जरूरतमंद परिवार को मदद पहुंचाने में पूरा सहयोग दिया है। इस बुरे दौर में लड़की ने एक शानदार मिसाल कायम की है।

कैंसर पीड़ित श्रमिक प्यारी कोल (55 वर्ष), उनकी पत्नी सुशीला देवी और बेटी काजल नोएडा में रह रहे थे। अपना इलाज करवा रहे थे। लॉकडाउन में काम बंद हो गया। तीनों बेरोजगार हो गए। हालात जब ज्यादा बिगड़ गए तो तीनों ने घर वापस जाने की योजना बनाई। किसी तरह दिल्ली तक तो पहुंच गए लेकिन आगे का कोई साधन नहीं मिल रहा था। लिहाजा, दिल्ली के एक शेल्टर होम में दिन गुजार रहे थे।

इसी बीच नोएडा के सेक्टर-50 की निवासी छात्रा को दिल्ली में शेल्टर होम में फंसे इस पीड़ित परिवार की जानकारी मिल गई। कक्षा 8 की छात्रा निहारिका ने अपनी गुल्लक तोड़कर तीनों को फ्लाइट से रांची भिजवाया। खास बात यह कि छात्रा उस श्रमिक परिवार से कभी मिली नहीं थी।

आपको निहारिका के बारे में बताते हैं। निहारिका द्विवेदी नोएडा के पाथ-वे स्कूल में पढ़ती हैं। निहारिका ने बताया कि लॉकडाउन लागू होने के बाद रोते बिलखते श्रमिक परिवारों की खबरें देखकर वह मन ही मन परेशान हो रही थीं। वह इन लोगों के लिए क्या कर सकती हैं, बस यही सोचती थीं। निहारिका ने बताया, चार दिन पहले दिल्ली में रहने वाले एक रिश्तेदार ने मम्मी (सुरभि द्विवेदी) को फोन किया। बताया कि यूसुफ सराय के सरकारी स्कूल में बने शेल्टर होम में नोएडा से आया श्रमिक परिवार रुका है। पति को कैंसर है। इस वजह से उसकी पत्नी और बेटी बहुत परेशान हैं। वह लोग किसी भी तरह अपने घर रांची जाना चाहते हैं। 

निहारिका ने यह बात सुनी और मम्मी से मदद करने की मंजूरी मांगी। इसके बाद पिछले तीन साल की अपनी तीन गुल्लक तोड़ दीं। उनमें से 48,530 रुपये निकाल लिए। फिर रिश्तेदार से उस परिवार की जानकारी और मोबाइल नंबर लिया। यह बात जब निहारिका के पापा गौरव द्विवेदी को पता लगी तो बेटी के जज्बे को उन्होंने पूरा सपोर्ट किया। निहारिका ने तीनों के लिए रांची तक फ्लाइट का टिकट बुक करवाया। उनके पिता ने कैब बुक की। परिवार को शेल्टर होम से एयरपोर्ट तक पहुंचवाया गया। रविवार की शाम 5:30 बजे दिल्ली से रांची के लिए इस फ्लाइट ने उड़ान भरी। शाम 7 बजे प्यारी का परिवार रांची पहुंच गया था।

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