Noida: घरों की मुंडेर और पेड़ों पर लौटे विलुप्त पक्षी, कई प्रजातियां तो दशकों बाद नजर आईं, Lockdown Stories

Noida: घरों की मुंडेर और पेड़ों पर लौटे विलुप्त पक्षी, कई प्रजातियां तो दशकों बाद नजर आईं, Lockdown Stories

Noida: घरों की मुंडेर और पेड़ों पर लौटे विलुप्त पक्षी, कई प्रजातियां तो दशकों बाद नजर आईं, Lockdown Stories

Tricity Today | घरों की मुंडेर और पेड़ों पर लौट विलुप्त पक्षी

इन पक्षियों को देखकर पक्षी प्रेमियों में दौड़ी खुशी की लहरgangaतीनों ही विलुप्त होती प्रजातियों में शामिलgangaअब तक 1500 से ज्यादा पक्षियों को बर्ड वाचर अपने कैमरों में कैद

दूसरे लॉकडाउन में प्रदूषण के स्तर और कम होता दिख रहा है। सड़कों पर वाहनों की संख्या नहीं की बराबर है। नदियों के पानी भी निर्मल है। इस वातावरण में घरों की छतों, मुडेरों और पेड़ों पर ऐसे पक्षियों की चहचहाट हो रही है, जो बरसों से नजर नहीं आ रहे थे। वायु और ध्वनि प्रदूषण के चलते यह अपने घरों से बाहर नहीं निकलते था, निकलते तो इनकी आवाज हमारे कानों तक नहीं आती थी। घरों और छतों से पक्षी प्रेमी ऐसे पक्षियों की फोटो अपने कैमरों में कैद कर रहे हैं। जिसने लॉकडाउन के दौरान पक्षी प्रेमियों के मन में नया उत्साह भर दिया है।

जिले में ओखला पक्षी विहार और धनौरी वैटलैंड में पक्षी प्रवास के लिए आते हैं। यह पक्षी साइबेरियन क्षेत्र से यहा प्रवास के लिए आते है। लॉकडाउन के पहले तक यह पक्षी अपने सुदूर क्षेत्र को पलायन कर चुके हैं। इसकी वजह बढ़ता प्रदूषण था। लॉकडाउन के दौरान नदियों के अलावा प्रदूषण में तेजी से कमी देखी गई। पीएम.2.5 व पीएम.10 में लगातार तेजी से कमी आई। इसके अलावा ध्वनी प्रदूषण भी काफी कम हो गया। ऐसे में सुबह भी पक्षियों की चहचहाट सुनने को मिल रही है। यह वजह है कि अब तक 1500 से ज्यादा पक्षियों को बर्ड वाचर अपने कैमरों में कैद कर चुके है। इसमे 22 अप्रैल को नीली चट्टान के रंग का कबूतर, यल्लो फु टेड ग्रीन कबूतर के अलावा 25 अप्रैल को ओरिंटल वाइट आई चिडिय़ा देखी गई। 

यह तीनों ही विलुप्त होती प्रजातियों में शामिल है। इसके पहले लॉक डाउन में ब्लू पैंसी, पर्पल हिरोन के अलावा कई अन्य पक्षी भी देखे गए। इनमे अधिकांश झुंड के रूप में देखे जा रहा हैं। पक्षी प्रेमी आनंद आर्या ने बताया कि इस तरह के पक्षी हर साल अप्रैल के समय दिखाई देते है। लेकिन लोगों की भीड़ व ध्वनी प्रदूषण के चलते इनकी चहचहाट सुनाई नहीं देती। यह अधिक प्रदूषण के चलते दिखाई नहीं देते। ऐसे में प्रदूषण काफी कम है यह पक्षी अपने घोसलों से बाहर आए है।

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