दिल्ली में दिवाली पर पटाखे नहीं जलाए जाएंगे, एनजीटी में हलफनामा दाखिल करने से पहले केजरीवाल सरकार का बड़ा फैसला

दिल्ली में दिवाली पर पटाखे नहीं जलाए जाएंगे, एनजीटी में हलफनामा दाखिल करने से पहले केजरीवाल सरकार का बड़ा फैसला

दिल्ली में दिवाली पर पटाखे नहीं जलाए जाएंगे, एनजीटी में हलफनामा दाखिल करने से पहले केजरीवाल सरकार का बड़ा फैसला

Google Image | On Diwali, firecrackers will not be permitted in Delhi

दिल्ली-एनसीआर में फैले खतरनाक प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए अरविंद केजरीवाल सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। दिवाली पर दिल्ली में पटाखे नहीं जलाए जाएंगे। पटाखों की बिक्री और छुड़ाने पर सरकार ने पाबंदी लगा दी है। अरविंद केजरीवाल सरकार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) में दाखिल एक याचिका पर इस मुद्दे को लेकर जवाब दाखिल करना था। दूसरी ओर केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय को गुरुवार को हुई सुनवाई में फटकार खानी पड़ी थी। अब अरविंद केजरीवाल सरकार ने एनजीटी में हलफनामा दाखिल करने से पहले ही दिल्ली में पटाखे जलाने पर पाबंदी लगा दी है।

अरविंद केजरीवाल सरकार कल तक अपनी रिपोर्ट एनजीटी में पेश करेगी

गुरुवार को ही सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने एनजीटी को बताया कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इसको लेकर आज शाम 4 बजे बैठक कर रहे हैं। सरकार ने कहा कि बैठक में हम पटाखों पर बैन लगाने के बारे में भी विचार करेंगे। इसके बाद एनजीटी ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह कल तक अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश कर दे। अब गुरुवार को इसी बैठक में अरविंद केजरीवाल सरकार ने पटाखों पर पाबंदी लगाने का फैसला लिया है। इस बारे में सरकार की ओर से अब से थोड़ी देर पहले एक आधिकारिक बयान जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में प्रदूषण जानलेवा स्तर तक पहुंच चुका है। ऐसे में अगर दीपावली पर पटाखे छुड़ाए गए तो स्थिति और ज्यादा बिगड़ सकती है। लिहाजा, दिवाली के दौरान दिल्ली में पटाखों की बिक्री और जलाने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है। ऐसा करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। केजरीवाल सरकार शुक्रवार को अपने फैसले की जानकारी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को देगी।

दिल्ली-एनसीआर सहित देश के 122 शहरों में 30 नवंबर तक पटाखे जलाने और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की गई। इस पर गुरुवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सुनवाई की और फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में ट्रिब्यूनल ने कहा, वह 9 नवंबर को विस्तृत फैसला देगा। सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की रामधुन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे’ याची और पक्षकारों को सुनाई है।

आपको बता दें कि दिल्ली-एनसीआर के अलावा 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 122 शहर ऐसे हैं, जहां प्रदूषण का बुरा हाल है। इन सभी राज्यों से बुधवार को जवाब मांगा गया था। एनजीटी के प्रमुख जस्टिस एके गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने महात्मा गांधी की रामधुन को याद किया जब पटाखा बनाने वाले कारोबारियों की एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि यह सीधे तौर पर 10 लाख लोगों के रोजगार से जुड़ा मामला है। एसोसिएशन ने कहा कि ग्रीन पटाखों से 30 फीसदी प्रदूषण कम होता है। ऐसे में इस रोजगार से जुड़े लोगों को नजरअंदाज करके पटाखों पर पूरी तरह से बैन नहीं लगाया जाना चाहिए। कोरेना महामारी के चलते पहले से लोग बेरोजगार हैं।

इस पर पीठ ने कहा, "हमारे आदर्श महात्मा गांधी हैं। उनकी रामधुन कहती है, वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे।" पीठ ने आगे सवाल पूछा, "हमें पटाखों को बनाने वालों से सहानभूति है लेकिन क्या आप लोगों को आम लोगों के स्वास्थ्य या उनकी जान से सहानुभूति है?" ट्रिब्यूनल ने कहा कि हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि यदि प्रदूषण की वजह से एक भी व्यक्ति की मौत होती है तो हम उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। यह टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा कि 9 नवंबर को पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के बारे में विस्तृत फैसला देंगे।"

एनजीटी ने कहा कि हम ग्रीन पटाखे जलाने के खिलाफ नहीं हैं। हम तो सिर्फ कुछ वक्त के लिए इस पर प्रतिबंध लगाने की बात कर रहे हैं। ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जाए। इससे जन स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इस पर पटाखा उत्पादकों ने कहा कि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण पराली है। पराली की तुलना में ग्रीन पटाखों से कम प्रदूषण होता है। इसके जवाब में एनजीटी ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि पटाखों से ही प्रदूषण हो रहा है। इसके कई कारण हैं। पीठ ने कहा है कि अन्य कारणों पर रोक नहीं लगी हुई है तो इसका मतलब यह नहीं कि पटाखों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाए।

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने एनजीटी को बताया कि पटाखों को जलाने से कोरोना के मामले बढ़ेंगे, इसको लेकर अभी तक कोई अध्य्यन नहीं किया गया है। जिससे साफ तौर पर कहा जाए कि पटखों के प्रदूषण से कोरोना के मामले बढ़ेंगे। इस पर एनजीटी ने मंत्रालय को जमकर फटकार लगाई। पीठ ने मंत्रालय से कहा कि क्या आपको पर्यावरण कानूनों की जानकारी है। पीठ ने कहा कि यदि कानून के बारे में जानकारी होती तो आपको पता होता कि किसी भी चीज को लागू करने के लिए अध्य्यन करने की जरूरत होती है, प्रतिबंध लगाने के लिए किसी चीज की जरूरत नहीं।

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